दुष्कर्म मामले में कोर्ट की टिप्पणी- दूसरों पर आरोप लगाने से पहले लड़की अपने अंदर भी झांके
दुष्कर्म के एक मामले में कोर्ट ने कहा- लड़की किसी पर आरोप लगाने से पहले अपने अंदर झांककर देखें। निराधार व झूठे आरोप किसी की जिंदगी भी खराब कर सकते हैं।
जेएनएन, रोहतक। 'लड़की किसी पर आरोप लगाने से पहले अपने अंदर झांककर देखें। निराधार व झूठे आरोप किसी की जिंदगी भी खराब कर सकते हैं।' अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल ने दुष्कर्म के मामले में यह टिप्पणी करते हुए बेनीफिट ऑफ डाउट के आधार पर आरोपित युवकों को बरी कर दिया। नाबालिग लड़की ने एक लड़के पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, जबकि दूसरे के साथ वह खुद कैफे में गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मई 2018 में शहर की एक कालोनी की रहने वाली नाबालिग ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह मई 2015 में कंप्यूटर का कोर्स कर रही थी। वहां पर एक लड़का मिला, जिसने उसके साथ दोस्ती कर ली और शादी का झांसा देकर करीब डेढ़ साल तक शारीरिक संबंध बनाए। बाद में पता चला कि आरोपित ने अप्रैल 2017 में शादी कर ली।
इसके बाद भी वह पत्नी को तलाक देने का झांसा देकर उसका शोषण करता रहा। इसी दौरान अन्य युवक ने उससे बातचीत करनी शुरू कर दी। उसने भी शादी का झांसा देकर उसके साथ संबंध बनाए। उसके फोटो भी मोबाइल में ले लिए। विरोध करने मारपीट और परिवार समेत जान से मारने की धमकी दी जाती थी। पुलिस ने केस दर्ज कर दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। तभी से कोर्ट में विचाराधीन था।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट में इसका फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने सभी तथ्यों को देखने के बाद पाया कि दोनों ही मामलों में कोई भी मेडिकल एविडेंस नहीं है। पहले युवक की शादी होने पर उसने आरोप लगाया। उसके साथ जबरदस्ती हो रही थी तो पहले आरोप क्यों नहीं लगाया। इसके बाद पहले लड़के ने ही दूसरे से उसे मिलवाया। उस समय वह बालिग हो चुकी थी। वह अपनी मर्जी से कैफे में गई। घर पर उसके साथ जबरदस्ती हुई तो उसने किसी को क्यों नहीं बताया। वह बालिग थी और सहमति से यह सब हुआ। ऐसे में दोनों आरोपितों को बेनीफिट ऑफ डाउट के आधार पर बरी कर दिया गया।
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