गड्ढों में शहर की सड़कें, हादसों से लोग डरे, अधिकारियों ने मूंदीं आंखें
शहर की सड़कों की खस्ता हालात पर अधिकारियों ने पूरी तरह से आंखें मूंद ली हैं। नगर निगम की कालोनियों से लेकर मुख्य सड़कें तक टूटी पड़ी हैं। जनता को वही रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा है कि बजट नहीं है। फिलहाल शहर में करीब 100 किमी लंबी सड़कों पर गहरे गड्डे हैं या फिर जर्जर सड़कें हैं। अधिकारियों ने आंखे ऐसी मूंद ली हैं कि दो साल से सिर्फ सड़कों को दुरूस्त कराने की चर्चाएं हो रही हैं। बजट का कोई इंतजाम नहीं। अब हादसों से लोग सहमे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर की सड़कों की खस्ता हालात पर अधिकारियों ने पूरी तरह से आंखें मूंद ली हैं। नगर निगम की कालोनियों से लेकर मुख्य सड़कें तक टूटी पड़ी हैं। जनता को वही रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा है कि बजट नहीं है। फिलहाल शहर में करीब 100 किमी लंबी सड़कों पर गहरे गड्डे हैं या फिर जर्जर सड़कें हैं। अधिकारियों ने आंखे ऐसी मूंद ली हैं कि दो साल से सिर्फ सड़कों को दुरूस्त कराने की चर्चाएं हो रही हैं। बजट का कोई इंतजाम नहीं। अब हादसों से लोग सहमे हुए हैं।
बता रहे हैं कि करीब 70 करोड़ की लागत से विधानसभा चुनाव 2019 से पहले और उसके बाद तक सड़कें निर्मित होती रही हैं। बड़ा सवाल यह है कि सड़कें निर्मित करने वाले ठेकेदारों को निगम नहीं पकड़ रहा। सड़कें मरम्मत और टूटने के बाद उन्हें निर्मित कराने के लिए समय अवधि तय थी उसके खत्म होने का इंतजार अधिकारी कर रहे हैं। जिससे नए सिरे से सड़कें निर्मित की जा सकें। मेस्टिक लेयर की सड़कें सात साल के बजाय चंद माह बाद ही टूटने पर सवाल खड़े होते रहे हैं। यहां सड़कें जर्जर, कोई सुनने वाला नहीं ::::
केस एक : ओमैक्स सिटी के सामने निकलना भी मुश्किल हुआ
दिल्ली बाईपास चौक से ओमैक्स सिटी जाने वाले मार्ग यानी दिल्ली रोड पर हाल-बेहाल है। यहां सड़क इतनी जर्जर है कि रात के वक्त हादसे हो रहे हैं। संबंधित मार्ग की खस्ता हालात को देखते हुए ओमैक्स सिटी वालों ने नगर निगम में शिकायत की थी। फिर भी हालात नहीं सुधरे।
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केस दो : सेक्टर-6 में रीढ़ की हड्डी को बीमार कर रही टूटी सड़कें
नए बस अड्डे से सेक्टर-6 जाने वाले मार्ग पर सड़कों में इतने गड्ढे हैं कि हर कोई नगर निगम के रवैये से बेहाल है। स्थानीय लोग नगर निगम के अधिकारियों को चुनौती दे रहे हैं कि दम है तो अधिकारी बाइक पर यहां से निकलकर दिखाएं। दावा किया है कि यहां से निकलने पर रीढ़ की हड्डी तक जवाब दे जाती है।
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केस तीन : सुखपुरा चौक और जींद रोड
नगर निगम क्षेत्र में आने वाले सुखपुरा चौक और जींद रोड पर जर्जर सड़कों ने मुसीबत बढ़ा दी है। राहगीर एवं सुखपुरा निवासी छात्र अंकित का कहना है कि शहर में एक भी सड़क की हालात ठीक नहीं है। हादसे होने पर कोई भी अधिकारी गारंटी नहीं लेगा।
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केस चार : पालिका बाजार के निकट गड्ढे चार बार भरे, फिर भी वही हाल
पालिका बाजार एसोसिएशन के प्रधान गुलशन निझावन ने बताया कि मेरे घर के सामने वाले मुख्य मार्ग पर एक-एक फीट गहरे गड्ढे थे। शिकायत की तो चार माह बाद गड्ढे भरे गए। फिर वही हाल हो गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां चार बार मरम्मत के नाम पर न जाने कैसी निर्माण सामग्री डाली है कि सड़क दुरूस्त नहीं।
-- वर्जन
टूटी सड़कों को नए सिरे से निर्मित करने के लिए बजट नहीं है। लेकिन 25-25 लाख रुपये के दो अलग-अलग टेंडर किए जाएंगे। इस सप्ताह में बरसात आई थी। इसलिए थोड़े दिन बाद मेंटीनेंस व पेचवर्क के काम होंगे। जो टेंडर होंगे उनसे सभी 22 वार्डों में काम होंगे।
मनमोहन गोयल, मेयर, नगर निगम
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नगर निगम क्षेत्र में टूटी सड़कों के कई कारण हैं। जनस्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की खामी के चलते भी कई सड़कें टूटी पड़ी हैं। नियम तो यह है कि जो विभाग सड़क तोड़ता है वही मरम्मत का कार्य कराता है। जो हमारी सड़कें टूटी पड़ी हैं उनकी मरम्मत के लिए टेंडर किए जाएंगे।
सुरेश कुमार, संयुक्त आयुक्त नगर निगम
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जिन वार्डों में दूसरे विभागों ने सड़कें तोड़ी हैं वहां के पार्षदों को भी आवाज उठानी चाहिए। जब तक सड़क तोड़ने वाले विभागों को नहीं पकड़ेंगे तब तक समस्या हल नहीं होगी। नगर निगम की खामी यह है कि सड़क तोड़ने वाले विभागों को नोटिस नहीं दिए जाते।
राधेश्याम ढल, पार्षद, वार्ड-14