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स्कॉलरशिप से शुरू किया ब्यूटिक, अब गांव की महिलाओं को दे रही रोजगार

बचपन से ही सपना था कि खुद का एक शोरूम हो और 20-30 लोग मेरी देखरेख में काम करें। पिता दिहाड़ी-मजदूरी करके घर का खर्च चलाते थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 07:12 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 07:12 AM (IST)
स्कॉलरशिप से शुरू किया ब्यूटिक, अब गांव की महिलाओं को दे रही रोजगार
स्कॉलरशिप से शुरू किया ब्यूटिक, अब गांव की महिलाओं को दे रही रोजगार

केएस मोबिन, रोहतक

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बचपन से ही सपना था कि खुद का एक शोरूम हो और 20-30 लोग मेरी देखरेख में काम करें। पिता दिहाड़ी-मजदूरी करके घर का खर्च चलाते थे। किसी तरह 12वीं की पढ़ाई पूरी हुई। मेरिट में नाम आने पर एक स्कॉलरशिप मिली। लेकिन, पढ़ाई छुट गई। कालेज के लिए रुपये नहीं थे। इसी दौरान हुमाना पीपल टू पीपल संस्था के संपर्क में आई। उन्होंने स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। स्कॉलरशिप में मिले 15 हजार रुपये से ब्यूटिक शुरू किया। गढ़ी बोहर निवासी 20 वर्षीय निक्की स्वरोजगार ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई है। स्वरोजगार के साथ ही अन्य को भी रोजगार दे रही हैं। कोरोना महामारी

प्रधानमंत्री कौशल केंद्र से मिले प्रशिक्षण से खुद का काम करने की हिम्मत मिली

निक्की बताती हैं कि पढ़ाई छुटने के बाद घर पर शादी की बातें चलने लगी थी। हुमाना संस्थान ने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पथ दिखाया। इससे पहले गांव से सात किलोमीटर दूर शहर में स्थित प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके) से डिजाइनिग का तीन माह का सर्टिफिकेट कोर्स किया। यहां से मिला प्रशिक्षण जीवन में काफी काम आया। खुद का काम शुरू करने की हिम्मत मिली। सहकर्मियों को वेतन देने के साथ 30 हजार तक कर रही कमाई।

निक्की ने गांव में ही खुद का ब्यूटिक शुरू कर लिया है, फिलहाल आलम यह है कि खुद के साथ ही तीन अन्य महिलाओं को भी काम दिया है। गांव की कई महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण भी देती हैं। सूट-सलावर सीलने, तुरपाई, बटन लगाने और अन्य साज-सज्जा के काम से सहकर्मियों को वेतन देने के बाद भी 25 से 30 हजार रुपये की कमाई हो रही है।


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