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प्रधान बनने के बाद पहला आंदोलन छात्रों पर दर्ज मुकदमें खत्म करवाने के लिए होगा

ओपी वशिष्ठ, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में किसी भी छात्र का अहित होगा तो व्यवस्था के

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 07:10 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 07:10 PM (IST)
प्रधान बनने के बाद पहला आंदोलन छात्रों पर दर्ज मुकदमें खत्म करवाने के लिए होगा

ओपी वशिष्ठ, रोहतक :

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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में किसी भी छात्र का अहित होगा तो व्यवस्था के खिलाफ पहली आवाज मेरी होगी। प्रयास रहेगा कि किसी भी विद्यार्थी का भविष्य बर्बाद न हो। इसलिए पहली प्राथमिकता अप्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव का विरोध कर रहे विद्यार्थियों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमों को खत्म करवाने की होगी। पुलिस ने पहले तो निहत्थे छात्रों पर लाठीचार्ज किया, दूसरा उनके खिलाफ ही हत्या के प्रयास जैसी संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज कर दिए। यह किसी भी मायने में सही नहीं है। अगर मुकदमें खारिज करने के लिए आंदोलन भी करना पड़ा तो वह भी होगा। यह कहना है कि एमडीयू छात्र संघ की नवनियुक्त अध्यक्ष यशिका का। उन्होंने बृहस्पतिवार को दैनिक जागरण प्रतिनिधि से विशेष बातचीत की।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग की छात्र यशिका मूल रूप से रेवाड़ी की रहने वाली हैं। साधारण से परिवार में जन्मी यशिका के पिता कंवर सैन ड्राइवर हैं जबकि मां नीतू सैन गृहणी हैं। भाई देवव्रत नौकरी करते हैं। इसी साल जुलाई में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के जूलोजी विभाग में दाखिल लिया था। यशिका का कहना है कि कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह छात्र राजनीति करेंगी। जब महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के ड्रा में अध्यक्ष पद छात्रा के लिए आरक्षित हुआ तो उसके सहपाठियों ने चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। पहले तो उसने मना किया, लेकिन बाद में यह सोचा कि छात्र हितों की आवाज उठाने का इससे बेहतर कोई अवसर नहीं मिलेगा और नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। बुधवार को प्रधान पद के नामांकन दाखिल करने के बाद ही लगने लगा था कि चुनाव में जीत हो सकती है। मुझे इसका फायदा इसलिए भी हुआ कि वह किसी भी छात्र संगठन से नहीं जुड़ी हैं। इस जीत का श्रेय एमडीयू में पढ़ने वाले प्रत्येक छात्र-छात्रा को जाता है।

जीत पर एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ

टैगोर सभागार में लंबी प्रक्रिया के बाद नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। इसके बाद वह हॉस्टल में खाना खाने के लिए चली गई। इसके बाद सीनियर का फोन आया कि प्रधान निर्वाचित हो गई। एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। बाद में विश्वास हो गया क्योंकि नामांकन प्रक्रिया से पहले ही उसके साथियों ने जीत को लेकर आश्वास्त कर दिया था। हार-जीत की बात टैगोर सभागार से बाहर निकलने से पहले ही भूल गई थी। जिनसे वह चुनाव जीती हैं, उनको भी साथ लेकर चलने का प्रयास रहेगा।

छात्र पंचायत में होंगे हर महत्वपूर्ण फैसले

यशिका का कहना है कि लंबे समय से छात्र संघ के चुनाव बंद थे। इसलिए अभी छात्र संघ चुनाव के प्रधान की शक्तियों की जानकारी भी नहीं है। सबसे पहले छात्र संघ के संविधान के बारे में पता लगाया जाएगा। इसके बाद छात्र पंचायत बुलाई जाएगी, जिसमें सभी छात्र-छात्राओं के सुझाव मांगे जाएंगे। इसके बाद सिलसिलेवार उन सुझाव पर काम होगा। हमारा कार्य विवि प्रशासन के साथ टकराव नहीं बल्कि सामंजस्य के साथ छात्र समस्याओं के बारे में अवगत करना होगा। कोई भी निर्णय लेने से पहले छात्र पंचायत बुलाई जाएगी, विद्यार्थियों की सर्वसम्मति के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

यह रहेगी पहली प्राथमिकता

1. छात्र संघ चुनाव के दौरान दर्ज किए विद्यार्थियों पर मुकदमों खारिज करवाना

2. हॉस्टल में खाना व अन्य सुविधाओं को दुरूस्त करवाना

3. विद्यार्थियों को मेरिट के आधार पर छात्रवृत्ति दिलवाना

4. विवि कैंपस में सुरक्षा के उचित प्रबंधन करवाना

5. पीएचडी स्कॉलर्स को हॉस्टल के टाइ¨मग में राहत दिलाना

6. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को प्रेरणा मिल सके।


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