हर छोटी-बड़ी खामी हो दूर, तभी हादसों से मिलेगी निजात
जागरण संवाददाता रोहतक सर्दियों के सीजन आ चुके हैं। कोहरे और देर रात अंधेरे के दौ
जागरण संवाददाता, रोहतक : सर्दियों के सीजन आ चुके हैं। कोहरे और देर रात अंधेरे के दौरान होने वाले हादसों से निपटने के लिए सभी छोटी-बड़ी खामियों को दूर किया जाए। लोक निर्माण विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि हादसों से स्थाई तौर से निपटने के लिए जरूरी है कि तकनीकी खामियां भी मार्गों और रास्तों की दूर हों। वहीं, यातायात पुलिस के पास बेहतर संसाधन हों। इसी के बाद बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं।
लोक निर्माण विभाग के एसई प्रदीप रंजन ने बताया कि हादसों से निपटने के लिए जरूरी है कि सड़क किसी भी विभाग की हो, लेकिन टूटी नहीं होने चाहिए। गड्ढे भी नहीं होने चाहिए। यदि कहीं कोई ज्वाइंट हैं तो वह इस तरह हों कि हादसे न हों। रोड साइन बोर्ड जैसे स्कूल, कालेज, अस्पताल, सरकारी कार्यालय, ब्रेकर आदि के साइन बोर्ड सही दिशा और उपयुक्त स्थान पर हों। सही स्थानों पर पट्टी लगी हों। रिफ्लेक्टर भी लगाना जरूरी है। कैट आई यानी रात में वाहनों की लाइट पड़ने पर चमकने वाले रिफ्लेक्टर भी उपयुक्त स्थानों पर लगाना अनिवार्य है। बर्म क्लींयर हों, मोड़ होने चाहिए साफ
एसई प्रदीप रंजन कहते हैं कि बर्म क्लीयर हों। बर्म सड़क के दोनों तरफ कच्चे रास्ते होते हैं। बर्म पर यदि कहीं गड्ढा हो या फिर अन्य कोई तकनीकी खामी है तो वह भी दूर हो। क्योंकि किसी कारण से सड़क से बर्म पर वाहन उतारना पड़े तो हादसा नहीं होगी। इसी तरह मोड़ भी पूरी तरह से साफ हो। झाड़ियां, गड्ढे न हों। मोड़ वाले स्थनों पर सड़क टूटी नहीं होनी चाहिए। वहीं, हादसों के शिकार होने वाले वाहन तत्काल हटवाने के लिए भी इंतजाम हों। इन्होंने बताया कि हादसे वाले वाहन यदि यहीं पड़े रहते हैं तो मौके पर अन्य वाहनों के पहुंचने पर दुर्घटनाएं होने के आसार बन जाते हैं। यातायात के दूसरे नियमों का भी गंभीरता से पालन अनिवार्य हो। गुणवत्ता वाले हेलमेट भी जरूरी : सुभाष गुप्ता
रोड सेफ्टी आर्गनाइजेशन के चेयरमैन सुभाष गुप्ता कहते हैं कि प्रशासन काम खामियों को दूर कराना है। सुभाष गुप्ता रोड सेफ्टी एसोसिएट के भी सदस्य हैं। इन्होंने बताया कि प्रति माह होने वाली बैठक में डेंजर जोन पर बातचीत होती है। एडीसी महेंद्रपाल ने इस प्रकरण में गंभीरता से कार्य किया है। इनका कहना है कि हादसों से निपटने के लिए सबसे बड़ी बात यही है कि गुणवत्ता वाले हेलमेट वाहन चालकों के पास हों। जबकि चार पहिया वाहन चालक नियमों का पालन करें।