गंदगी का था जमावड़ा, 68 वर्षीय मास्टरजी ने झाडू से बदली गांव की तस्वीर, अब दे रहे चैलेंज
68 साल के मास्टरजी जगत सिंह ने अपने गांव भगवतीपुर को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने का बीड़ा उठाया है। बिना किसी लोभ-लालच के वह रोजाना दो घंटे गांव की गलियों,नालियों की सफाई करते हैं
रोहतक [ओपी वशिष्ठ] साफ सफाई कर अपने घरों को चकाचक रखने वाले तो बहुत लोग होंगे मगर ऐसे बहुत कम ही लोग है जो दूसरों के घरों के आगे झाड़ू लगाएं। मगर रोहतक में एक ऐस ही शख्स हैं जो गांव की साफ सफाई कर चमकाने में लगे हैं। 68 साल के मास्टरजी जगत सिंह ने अपने गांव भगवतीपुर को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने का बीड़ा उठाया है। बिना किसी लोभ-लालच के वह रोजाना दो घंटे गांव की गलियों व नालियों की सफाई करते हैं। अब तो मास्टरजी को गांव में स्वच्छता का प्रहरी कहा जाने लगा है। अन्य ग्रामीण भी उनका अनुसरण करने लगे हैं।
स्वच्छता के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीणों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है। गांव भगवतीपुर निवासी 68 वर्षीय जगत सिंह आर्य सेवानिवृत जेबीटी टीचर हैं। रिटायरमेंट के बाद पिछले तीन साल से वह रोजाना तीन बजे उठते हैं। एक घंटे पशुओं को चारा-पानी देने के बाद हाथ में झाडू उठाकर गांव में निकल जाते हैं। गलियों की सफाई और नालियों से गंदगी निकालना शुरू कर देते है। सुबह किस गली में सफाई करनी है, उसे एक दिन पूर्व शाम को ही चिह्नित कर लेते हैं।
मास्टरजी को देखते हुए अन्य ग्रामीणों ने भी सफाई करनी शुरू कर दी है। ऐसे उठाया स्वच्छता का बीड़ा नाली से पानी निकासी को लेकर दो परिवारों में झगड़ा हो गया था। कोई भी पानी निकासी नहीं कर रहा था, जिसके कारण गली में पानी भर गया था। लोगों का पैदल निकलना दुभर हो गया था। दोनों परिवार के झगड़े को निपटाने के लिए गांव में पंचायत भी हुई। इस पंचायत के बाद मास्टर जगत सिंह आर्य ने मध्यस्थता करते हुए खुद ही पानी निकासी शुरू की। इसके बाद तो इस काम को जीवन का हिस्सा बना लिया।
शुरु में तो परिवार के लोग मना करते थे, लेकिन अब परिवार के सदस्य उनका सहयोग करते हैं। पर्यावरण शुद्धि के लिए करते हैं हवन-यज्ञ मास्टर जगत सिंह पिछले छह वर्षों से गांव में हवन-यज्ञ भी करते हैं। हवन-यज्ञ करने का उद्देश्य पर्यावरण की शुद्धि और गांव में सामाजिक भाईचारा और सुख-शांति का रहता है। इसका फायदा भी मिल रहा है। हवन-यज्ञ के दौरान जो भी धनराशि मिलती है, उसे स्वच्छता में खर्च किया जाता है। गांव में अपने घर के आसपास बेहतर ढंग से सफाई रखने वाले परिवारों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है।
स्कूल में भी करते थे सफाई
जगत सिंह ने बताया कि वह बतौर प्राथमिक शिक्षक भर्ती हुए थे। उनकी अधिकतर सेवाएं मेवात जिले के गांवों में रही। एक बार मेवात जिले के संगेल गांव के राजकीय स्कूल में मिट्टी का भरत करना था, लेकिन अंदर वाहन नहीं जा सकता था। गली में मिट्टी डलवानी पड़ी। उन्होंने रातों-रात कस्सी तसला देकर मिट्टी को स्कूल में पहुंचाया था। स्कूल में साफ-सफाई उनकी प्राथमिकता रहती थी।
जनप्रतिनिधियों के गोद लिए गांव से प्रतिस्पर्धा को तैयार
जगत सिंह का कहना है कि गांव की सफाई करने का कार्य उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। गांव की नालियां व गलियों में रोजाना सफाई की जाती है। सफाई कर्मचारियों का सहयोग भी करते हैं। जो गांव सांसद व विधायकों ने गोद लिए हुए हैं, सफाई के मामले में वह भगवतीपुर गांव के साथ प्रतिस्पर्धा करवाने के लिए तैयार हैं। उनका उद्देश्य गांव स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करने का है।