सिंहपुरा के ग्रामीणों को आरटीआइ का नहीं दिया जवाब, गुपचुप बैठक करके समझौते का बनाया दबाव
बिजली निगम के सात अधिकारियों-कर्मचारियों पर रिश्वत के आरोपों में नया मोड आ रहा है। अब अधिकारी समझौते का दबाव बनाने लगे हैं। रिश्वत मांगने के आरोपित अधिकारियों पर कार्रवाई की छोड़िए ग्रामीणों को डराया जा रहा है। ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए रिश्वत लेने की शिकायतों को शपथ-पत्र के साथ वापस लेने के लिए जा रहा है। बुधवार को कैनाल रेस्ट हाउस में दो घंटे तक ग्रामीणों और बिजली निगम के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। इस दौरान अधिकारियों को जांच दबाने कि लिए ग्रामीणों ने खूब खरी-खरी सुनाई हैं।
जागरण संवाददाता, रोहतक : बिजली निगम के सात अधिकारियों-कर्मचारियों पर रिश्वत के आरोपों में नया मोड आ रहा है। अब अधिकारी समझौते का दबाव बनाने लगे हैं। रिश्वत मांगने के आरोपित अधिकारियों पर कार्रवाई की छोड़िए ग्रामीणों को डराया जा रहा है। ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए रिश्वत लेने की शिकायतों को शपथ-पत्र के साथ वापस लेने के लिए जा रहा है। बुधवार को कैनाल रेस्ट हाउस में दो घंटे तक ग्रामीणों और बिजली निगम के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। इस दौरान अधिकारियों को जांच दबाने कि लिए ग्रामीणों ने खूब खरी-खरी सुनाई हैं।
कैनाल रेस्ट हाउस में बता रहे हैं कि ग्रामीणों के अलावा कुछ खापों के पदाधिकारी वार्ता करने पहुंचे। अधिकारी बचाव में कहते रहे कि आप शिकायतें वापस ले लें। ग्रामीण इस बात पर अड गए कि रिश्वत ली थी तो हम इस बात से कैसे मुकर जाएं। इस दौरान ग्रामीणों ने एक जेई, एक एसडीओ के अलावा बिल वितरण से जुड़ी निजी कंपनी के कर्मचारियों तक के बैठक में बता दिए। बिजली निगम के अधिकारी बोले तो कुछ नहीं, लेकिन वार्ता के दौरान शिकायतें वापस लेने के लिए कहते रहे। कुछ ग्रामीणों के साथ उन्होंने एकांत में भी वार्ता की। बताते हैं कि इस दौरान यही कहा कि ग्रामीणों पर भी बिजली चोरी, मारपीट और सरकारी काम में दखल के केस दर्ज हैं। यदि ग्रामीण शिकायतें वापस नहीं लेंगे तो उन केस में हम पीछे नहीं हटेंगे। जांच में आरोप सिद्ध फिर भी अधिकारी बचा रहे
सिंहपुरा के पूर्व सरपंच ऋषिपाल सिंह ने बताया कि हमारी तरफ से सभी स्तर पर शिकायत दी जा चुकी हैं। बिजली निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों पर रिश्वत लेने के आरोप शपथ-पत्र सहित लगाए थे। तत्कालीन सीटीएम की जांच में आरोप सिद्ध हो चुके हैं। बिजली निगम के उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। नगर निगम के संयुक्त आयुक्त सुरेश कुमार भी जांच करके रिपोर्ट दे चुके हैं। उस जांच में भी आरोप सिद्ध हो चुके हैं। हालांकि उस जांच में ग्रामीणों पर अभद्रता करने और असहयोग करने के भी आरोप हैं। ग्रामीण चाहते हैं कि जिन सात अधिकारियों के नाम जांच में सार्वजनिक हो चुके हैं उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज हो। यह भी आरोप है कि बिजली निगम के उच्चाधिकारियों ने आरोपित एसडीओ, जेई, लाइनमैन व निजी कंपनी के कर्मचारियों को बचाने में जुटे हुए हैं। आरटीआइ का जवाब भी नहीं दिया जा रहा। डीसी से दो बार मिल चुके हैं पंचायत के पदाधिकारी
ग्रामीणों का दावा है कि कई गांवों की पंचायतें डीसी कैप्टन मनोज कुमार से दो बार मिल चुकी हैं। हर बार आरोपित अधिकारियों पर केस दर्ज करने की मांग की जा चुकी है। हर बार यही आश्वासन मिलता है कि हम केस दर्ज कराएंगे। फिर भी केस दर्ज नहीं हो सके। इसलिए नाराज ग्रामीणों ने आंदोलन तक करने का फैसला लिया था। हालांकि कोविड के चलते धरना, प्रदर्शन पर प्रतिबंध है। इसलिए ग्रामीण आंदोलन से फिलहाल पीछे हट गए हैं। ग्रामीण कार्रवाई न होने से हताश भी हैं।