जीरो का आठ और आइ से बना देते थे एल, पी, के
लग्जरी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी तैयार कराने के मामले में बड़ा पर्दाफाश हुआ है। आरोपित टाइपिस्ट से पूछताछ में पता चला है कि लग्जरी गाड़ियों के इंजन और चेसिस नंबर बदल देते थे।
विनीत तोमर, रोहतक
चोरी की लग्जरी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी तैयार कराने के मामले में बड़ा पर्दाफाश हुआ है। रिमांड पर लिए गए आरोपित टाइपिस्ट से पूछताछ में पता चला है कि लग्जरी गाड़ियों के इंजन और चेसिस नंबर बदल देते थे। एसटीएफ एसआइटी इंस्पेक्टर सतीश बामल के अनुसार, गाड़ी को चोरी करने के बाद आरोपित अपने खास मैकेनिक के पास लेकर जाते थे, जिसके बाद चेसिस और इंजन पर डाले गए असली नंबरों में छेड़छाड़ कर जीरो का आठ और आइ से एल, पी, के आदि अक्षर बना देते थे। इसी तरह आरोपित एक नंबर से चार, पांच से छह और यू आदि बना देते थे। नंबरों की पूरी सीरिज में दो से तीन अक्षरों के साथ छेड़छाड़ की जाती थी, फिर उन्हीं नंबरों के आधार पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते थे और गाड़ी की असली आरसी बनवा देते थे। दरअसल, लग्जरी गाड़ियों के मामले में एसटीएफ एसआइटी ने महम एसडीएम कार्यालय के बाहर बैठने वाले टाइपिस्ट सैमाण गांव निवासी रमेश बामल को रिमांड पर ले रखा है। मामले में एसटीएफ ने पहले दिन 14 गाड़ियां बरामद की थी, जिसके बाद आठ गाड़ियां शुक्रवार को भी बरामद कर महम थाने में जमा कराई गई। आने वाले दिनों में और भी गाड़ियां बरामद होने की संभावना है।
यह था मामला
गुरुग्राम एसटीएफ ने 3 जून को चरखी दादरी जिले के प्रेम नगर निवासी प्रवीण को स्कार्पियो गाड़ी के साथ गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि वह गाड़ी चोरी की है, जिसका महम एसडीएम कार्यालय में फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कर आरसी बनवाई गई थी। इस खेल में महम एसडीएम कार्यालय के कर्मचारी रोहतक के रेवेन्यू कालोनी निवासी अनिल कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर कृष्ण कुमार और ऑपरेटर सोमबीर को गिरफ्तार किया था। इनके अलावा महम निवासी मुख्य आरोपित अमित, सीसरखास गांव निवासी रमेश, सूबे, सैमाण गांव निवासी टाइपिस्ट रमेश बामल और जसवंत उर्फ काला समेत कई अज्ञात के खिलाफ महम थाने में मामला दर्ज है।
कर्मचारियों को बचाने के लिए खुद ही चंडीगढ़ पेश हो गए थे मुख्य आरोपित
दरअसल, 3 जून को सबसे पहले आरोपित प्रवीण को पकड़ा गया था। इसके बाद जैसे ही प्रवीण ने मुख्य आरोपित अमित और रमेश सीसरखास का नाम लिया, तो 5 जून को दोनों आरोपित चंडीगढ़ के सेक्टर-31 थाने में 17 लग्जरी गाड़ियों समेत जाकर पेश हो गए थे। आरोपितों की योजना थी कि एसडीएम कार्यालय में होने वाले फर्जीवाड़े का यह खेल उजागर ना हो और मामला केवल कार चोर गिरोह तक सिमट जाए। क्योंकि आरोपित अमित पहले भी इस तरह के मामले में पकड़ा जा चुका है। जेल से आने के बाद उसने दोबारा से कर्मचारियों से सांठगांठ कर यह खेल शुरू किया था। इस बार भी आरोपित की मंशा थी कि एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों तक बात ना पहुंचे और जेल से आने के बाद फिर से खेल शुरू हो जाएगा। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। चर्चा यह भी है कि एक बड़े अधिकारी ने पूरी सांठगांठ के साथ उनका सरेंडर कराया है। एसटीएफ एसआइटी इसकी भी जांच में जुटी हुई है।