Move to Jagran APP

बिना मान्यता के इंस्टीट्यूट ने करा दिया डिग्री व डिप्लोमा, खुलासा हुआ तो संचालक गायब

रोहतक के एक एजुकेशन इंस्‍टीट्यूट द्वारा बिना मान्‍यता डिग्री और डिप्‍लोगा कराने का खुलासा हुआ है। आरोप है कि इंस्‍टीट्यूट ने एक छात्र और छात्रा को यह डिग्री व डिप्‍लोगा दिया था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 21 Mar 2020 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2020 04:27 PM (IST)
बिना मान्यता के इंस्टीट्यूट ने करा दिया डिग्री व डिप्लोमा, खुलासा हुआ तो संचालक गायब

रोहतक, जेएनएन।  मेरठ और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की यूनिवर्सिटी के नाम पर रोहतक के एक इंस्टीट्यूट ने अधिवक्ता के बेटे को योग डिप्लोमा और बेटी को बी-लिब की डिग्री थमा दी। अधिवक्ता की तरफ से सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी गई, जिसमें पता चला कि इंस्टीट्यूट ने जिन सत्र में परीक्षा कराकर डिप्लोमा और डिग्री दी है, उस सत्र में तो इंस्टीट्यूट के पास मान्यता ही नहीं थी।

loksabha election banner

अधिवक्ता की ओर से मांगी गई आरटीआइ में उजागर हुआ फर्जीवाड़ा

हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी अधिवक्ता जयपाल सिंह ने दिसंबर 2019 में आर्य नगर थाने में केस दर्ज कराया था। इसमें जयपाल ने बताया कि कुछ साल पहले एक एजेकुशन इंस्टीट्यूट के मालिक से उनका संपर्क हुआ था। उस समय झांसा दिया गया कि इंस्टीट्यूट में उनके बेटे विकास को भी पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन योगा एंड नेचुरोपैथी और बेटी को बी-लिब की डिग्री करा दी जाएगी। पेपर भी इंस्टीट्यूट में ही होंगे।

मेरठ की शुभारती यूनिवर्सिटी ने नहीं दी थी मान्यता, फिर भी छात्रा को दे दी गई बी-लिब की डिग्री

इंस्टीट्यूट की तरफ से वर्ष 2016 में उनकी बेटी को बी-लिब की डिग्री दे दी गई, जो मेरठ की स्वामी विवेकानंद शुभारती यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी की गई थी। साथ ही जून 2017 में उनके बेटे विकास को भी पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन योगा एंड नेचुरोपैथी का डिप्लोमा दे दिया गया। यह छत्तीसगढ़ बिलासपुर की डा. सीवी रमन यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी किया गया था।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की यूनिवर्सिटी से करार खत्म होने के बाद छात्र को दे दिया योग का डिप्लोमा

जयपाल के अनुसार, डिग्री और डिप्लोमा जारी होने के बाद 2017 में इंस्टीट्यूट की तरफ से कहा गया कि अब वह बेटे को एलएलबी और बेटी को पीएचडी की डिग्री भी करा देंगे। दोनों की डिग्री के नाम पर दो लाख 40 हजार रुपये भी ले लिए गए, लेकिन इन दोनों कोर्सों की डिग्री नहीं कराई गई। रुपये लेने के बाद भी डिग्री नहीं कराने पर अधिवक्ता की तरफ से थाने में केस दर्ज करा दिया था। इसके बाद से इंस्टीट्यूट संचालक फरार चल रहा है।

शक होने पर अधिवक्ता ने मांगी थी आरटीआइ से जानकारी

जयपाल ने बताया कि उन्‍होंने पिछले माह डिग्री और डिप्लोमा को लेकर आरटीआइ एक्ट के तहत दोनों यूनिवर्सिटी से सूचना मांगी थी। दोनों यूनिवर्सिटी की तरफ से आरटीआइ का जो जवाब दिया गया उसके बाद डिग्री और डिप्लोमा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। स्वामी विवेकानंद शुभारती यूनिवर्सिटी की तरफ से जवाब दिया गया कि वर्ष 2016,17 और 2018 में यूनिवर्सिटी की तरफ से रोहतक के इंस्टीट्यूट को परीक्षा केंद्र की मान्यता ही नहीं दी गई।

जयपाल के अनुसार, इसके अलावा बिलासपुर की डा. सीवी रमन यूनिवर्सिटी की तरफ से जवाब आया कि उन्होंने जो एमओयू किया था वह 31 मार्च 2016 को खत्म हो गया था। अधिवक्ता का दावा है कि आरटीआइ से जवाब मिलने के बाद स्पष्ट हो गया कि डिग्री और डिप्लोमा भी फर्जीवाड़े से कराया गया है।

केस दर्ज के बाद भी गिरफ्तारी नहीं

केस दर्ज होने के बाद भी इंस्टीट्यूट मालिक की गिरफ्तारी नहीं होने पर अधिवक्ता की तरफ से पिछले माह कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट के लिए अपील दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को भी फटकार लगाई थी कि इंस्टीट्यूट मालिक की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही। अब इस मामले पर 3 अप्रैल को सुनवाई होनी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.