नॉन अटें¨डग की आड़ में शिक्षा संग खिलवाड़
जागरण संवाददाता, रोहतक : हल्दी लगे न फिटकरी, रंग भी चौखा हो.. यह कहावत एजूकेशन एकेडमियों पर चरिता
जागरण संवाददाता, रोहतक :
हल्दी लगे न फिटकरी, रंग भी चौखा हो.. यह कहावत एजूकेशन एकेडमियों पर चरितार्थ हो रही है। इन एकेडमियों में न इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत, न शिक्षा विभाग से मान्यता लेने का झंझट न ही विद्यार्थियों को लाने ले जाने की ¨चता। इतना ही नहीं विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षाओं में पास कराने की शर्तिया गारंटी भी। एकेडमी संचालकों को बदले में चाहिए तो केवल विद्यार्थियों से मोटी फीस। नॉन अटें¨डग के नाम पर यह खेल जिले में चल रहा है।
जिले में करीब सौ शैक्षणिक एकेडमी चल रही हैं। इन एकेडमियों में 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को डिग्री देने का नाम देकर पढ़ाया जाता है। विद्यार्थियों को किसी भी स्कूल में दाखिल दिखाकर एकेडमी में ही पढ़ाया जाता है। विद्यार्थियों को इसकी एवज में 30 से 50 हजार रुपये लिए जाते हैं। विद्यार्थियों को न तो स्कूल में जाने की जरूरत, न ड्रेस पहनने की पाबंदी और न ही टीचर की पिटाई का डर रहता है। ऐसे में विद्यार्थी व उनके अभिभावक भी बच्चे को स्कूल भेजने के झंझट से बचने के लिए एकेडमी संचालकों के चंगुल में आसानी से फंस रहे हैं। लेकिन इससे न तो बच्चों को क्वालिटी एजूकेशन मिलती है और न अनुशासन और नैतिकता का पाठ पढ़ पाते हैं।
एकेडमी संचालक बच्चों को बोर्ड की परीक्षाओं में पास कराने की गारंटी भी देते हैं। यहीं कारण है कि बोर्ड की परीक्षाओं में नकल खुलेआम चल रही है। हाल ही में चल रही बारहवीं की परीक्षाओं में उड़दस्तों द्वारा पकड़े गए बच्चे ने एकेडमी संचालकों के नाम भी बताए थे। हैरानी की बात तो ये थी कि परीक्षा में बैठे बच्चों को अपने स्कूल का नाम तक नहीं पता थे।
स्कूल और एकेडमी संचालकों की मिलीभगत
एकेडमी संचालक ऐसे स्कूलों के साथ मिलीभगत करते हैं, जिनके पास बारहवीं कक्षा की मान्यता तो है, लेकिन उनके रेगुलर बच्चे नहीं हैं। इसके अलवा स्कूल में टीचर व इंफ्रास्ट्रक्चर व अन्य सुविधाएं भी इन स्कूलों में नहीं होतीं हैं। ऐसे में एकेडमी संचालक नॉन अटें¨डग का नाम देकर इन स्कूलों में विद्यार्थियों का दाखिला दिखा देते हैं। स्कूल संचालकों को भी प्रति विद्यार्थी एडमिशन फीस के तौर पर मोटी रकम दी जाती है।
रोहतक और सांपला बना गढ़
रोहतक और सांपला निजी एकेडिमयों का गढ़ बना हुआ है। रोहतक में जहां 50 से अधिक एकेडमी चल रही है, वहीं सांपला में भी आधा दर्जन से अधिक एकेडमियों में नॉन अटें¨डग के नाम पर विद्यार्थियों को ठगा जा रहा है। इन एकेडमी संचालकों की वजह से सरकार को भी चूना लग रहा है। अगर सरकार द्वारा मान्यता हो तो उनको टैक्स भी देना पड़ता, लेकिन कागजों में एकेडमी की कोई आमदनी नहीं दिखती, जिसके कारण टैक्स से भी बच जाते हैं।
शिक्षा में नहीं होने देंगे खेल : नांदल
जिला शिक्षा अधिकारी सत्यवती नांदल ने बताया कि नॉन अटें¨डग एकेडमी की शिकायतें मिली हैं। इनकी जांच करवाई जाएगी। अगर किसी स्कूल से फर्जी ढंग से बच्चों का दाखिला दिया गया है तो स्कूल संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। नए शैक्षणिक सत्र से स्कूल और एकेडमियों की जांच करवाई जाएगी।