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10 चिकित्सकों की सौंपी थी प्रबंधन को सूची, नहीं हुई किसी पर भी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रदेश के एकमात्र पंडित भगवत दयाल स्नातकोत्तर स्वास्थ्य संस्थान (पीजीआइ

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 11:55 AM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 11:55 AM (IST)
10 चिकित्सकों की सौंपी थी प्रबंधन को सूची, नहीं हुई किसी पर भी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रदेश के एकमात्र पंडित भगवत दयाल स्नातकोत्तर स्वास्थ्य संस्थान (पीजीआइएमएस) रोहतक में दवा कंपनी और चिकित्सकों की मिलीभगत का मामला नया नहीं है। समय-समय पर अथॉरिटी को इस संदर्भ में शिकायतें मिलती रही हैं। लेकिन अथॉरिटी ने चाह कर भी कुछ नहीं किया। यहीं कारण है कि मरीजों के स्वास्थ्य और पैसे से जमकर खिलवाड़ होता रहा। स्वास्थ्य मंत्री ने पीजीआइ के निदेशक डा. नित्यानंद को छह साल पुराने मामले में निलंबित किया है। इससे पहले अथॉरिटी को दस चिकित्सकों की सूची सौंपी गई थी, जो दवा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए विदेश टूर पर जाते रहे हैं। लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। इतना ही नहीं उक्त चिकित्सकों से जवाब-तलब तक नहीं किया गया। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा निदेशक को निलंबित किए जाने के बाद पीजीआइ के चिकित्सकों में हड़कंप की स्थिति बन गई है। ऐसे फंसे है पीजीआइ निदेशक

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स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को शिकायत मिली थी, जिसमें पीजीआइ के निदेशक डा. नित्यानंद पर दवा कंपनी को फायदा पहुंचा कर कनाडा के वैंकूवर यात्रा का जिक्र किया गया था। यह यात्रा 2013 में की गई थी। डा. हेमंत गौड़ द्वारा स्वास्थ्य मंत्री को मेल भेजी थी। माइक्रो लैब को फायदा पहुंचाने के लिए डा. नित्यानंद ने हवाई टिकट की मांग की थी। रामा सुब्रह्मण्यम नाम के व्यक्ति को टिकट उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। इन दस्तावेजों के आधार पर स्वास्थ्य मंत्री ने निदेशक को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस मामले की जांच मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च डिपोर्टमेंट के एसीएस अमित झा को सौंप दी है। छह साल पुराना मामला सामने आने के बाद डा. नित्यानंद भी अचंभित हो गए। इसी माह डा. नित्यानंद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हालांकि उनको एक्सटेंशन मिलने की चर्चा थी। निदेशक डा. नित्यानंद के पास चीफ विजिलेंस आफिसर का कार्यभार भी है, जो भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करते है। जांच में होंगे कई बड़े खुलासे

स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले की जांच एसीएस अमित झा को सौंप दी है। अगर जांच सही दिशा में चली तो इस मामले में कई बड़े खुलासे सामने आएंगे। अथॉरिटी को जिन दस चिकित्सकों की सूची सौंपी थी, उसपर भी अब नए सिरे जांच खुल सकती है। डेंटल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर पर कार्रवाई की गई थी, इसके बाद ही दवा कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले चिकित्सकों के नामों की सूची अथॉरिटी को दी गई थी। निदेशक डा. नित्यानंद से पूछताछ किए जाने के बाद भी परतें खुल सकती हैं क्योंकि निदेशक के सामने इस तरह की काफी शिकायतें रूटीन में आती हैं। अब खुद ही फंस गए तो अन्य चिकित्सकों के नाम भी जांच में उजागर हो सकते हैं। यहीं कारण है कि पीजीआइ के चिकित्सकों में हड़कंप की स्थिति बन गई है। गर्मी की छुट्टियों में विदेश गए चिकित्सकों का खंगाला जाएगा रिकॉर्ड

पीजीआइएमएस में एक-एक महीने तक चिकित्सकों का अवकाश होता है। गर्मी की छुट्टियों में ही अधिकतर चिकित्सक दवा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए परिवार के साथ विदेशी टूर पैकेज करवाते हैं। जून माह में जितने भी चिकित्सक विदेशी टूर पर गए थे, उनका रिकॉर्ड खंगालने की तैयारी पीजीआइ प्रबंधन कर रहा है। विदेश में गए चिकित्सकों के फेसबुक, ट्विटर व इंस्टाग्राम पर उनकी फोटो देखने के बाद ही पता चल जाएगा कि कौन-कौन चिकित्सक विदेशों में घूमने गए गया। ऐसे में चिकित्सकों में बेचैनी बढ़ गई है।

सोमवार को कुर्सी पर बैठ सकते हैं नए निदेशक

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को निदेशक डा. नित्यानंद को निलंबित करने के आदेश जारी किए थे। शनिवार और रविवार को अवकाश होने के कारण अब सोमवार को ही नए निदेशक को कार्यभार सौंपा जा सकता है। पीजीआइ सूत्रों के मुताबिक निदेशक पद लेने के लिए वरिष्ठ चिकित्सक अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं क्योंकि तीन साल में आठ निदेशक बदले जा चुके हैं। अधिकतर निदेशकों को पद विवादों के चलते गंवाना पड़ा है। यहीं कारण है कि निदेशक पद के लिए कोई भी चिकित्सक दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।

हेल्थ विवि कुलपति बात करने से बच रहें

इस मामले में कुलपति डा. ओपी कालरा मीडिया से बात करने से बच रहे हैं। दैनिक जागरण प्रतिनिधि ने कुलपति से उनके मोबाइल नंबर पर फोन करके पक्ष लेना चाहा तो उन्होंने बाद में कॉल करने का मैसेज देकर बात नहीं की। इसके बाद भी प्रयास किया, लेकिन उन्होंने बात नहीं की।


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