गीदड़ का भी शिकार कर सकता है फॉरेस्ट ईगल आउल
उल्लू की इस प्रजाति का आकार बड़ा होता है। यह जंगलों में पाया जाने वाला बड़ा शिकारी पक्षी है। इसे फॉरेस्ट ईगल आउल के नाम से भी जाना जाता है। इस पक्षी का आकार लगभग 50 से 65 सेंटीमीटर तक होता है। उल्लू की यह प्रजाति एक बड़े आकार की प्रजाति है। इसका वजन लगभग दो किलोग्राम होता है।
परिदो की दुनिया: स्पॉट बैलिड ईगल आउल
परिवार: स्ट्रीगीडी
जाति: बूबो
प्रजाति: नैपालैसिस
लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी -----------
उल्लू की इस प्रजाति का आकार बड़ा होता है। यह जंगलों में पाया जाने वाला बड़ा शिकारी पक्षी है। इसे फॉरेस्ट ईगल आउल के नाम से भी जाना जाता है। इस पक्षी का आकार लगभग 50 से 65 सेंटीमीटर तक होता है। इसका वजन दो किलोग्राम के आस-पास होता है। इसके शरीर का रंग मुख्यत: स्लेटी-भूरा होता है। इसके शरीर के ऊपरी पंख व शरीर का ऊपरी हिस्सा गहरा भूरे रंग का होता है। इसका गला व शरीर का नीचला हिस्सा पीला-भूरा, ऊपरी हिस्सा धारीदार व छींटदार होता है। इसकी छाती, पेट व पूंछ के नीचे के हिस्से पर गहरे भूरे रंग के धब्बे होते है। कानों के ऊपर पंखों के गुच्छे होते है। देखने में कान के पंख बड़े व सिर पर दोनों बाहर की ओर दिखते है। इसके चेहरे का रंग धुंधला पीला होता है। इसके पांव व पंजे पंखों से ढके रहते है। इसकी चोंच मुड़ी हुई तथा पीले रंग की होती है। इसके पंजों के नाखून बड़े व मजबूत होते है तथा इनका रंग स्लेटी होता है। इसकी आंख की पुतली गहरी-भूरे रंग की होती है। ये मुख्यत: आद्रता गहरे सदाबहार जंगलों में वाली जगहों पर पाए जाते है। रात के समय रहते हैं सक्रिय:
पक्षियों की यह प्रजाति रात के समय सक्रिय होती है। दिन के समय ये गहरे जगलों में पेड़ों के पत्तों में छुपे रहते है। कभी-कभी ये दिन के समय भी शिकार कर लेते हैं। शाम होते ही ये शिकार के लिए सक्रिय हो जाते है। भोजन श्रृंखला में पक्षियों में ये सबसे ऊपर आते है। यह एक शक्तिशाली पक्षी है, जो आकार में अपने से कई गुना बड़े जीवों को अपना शिकार बनाते है। ये गीदड़ का भी शिकार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त जंगली मुर्गों, क्लीज फीजंट, मोर, खरगोश, सीवट, बड़ी गिलहरी तथा कभी-कभी साजों व बड़ी छिपकलियों का भी शिकार कर लेते हैं। मजबूत होते हैं पंजे:
इसके पंजे काफी मजबूत व नाखून तेज होते हैं। एक बार पकड़ने के बाद शिकार चुंगल से मुक्त नहीं हो सकता। इस पक्षी के प्रजनन का समय दिसंबर से मार्च तक होता है। इनके घोंसले बड़े पेड़ों के खोल में होते है। ये गिद्ध व चील के पुराने घोंसलो का भी प्रयोग कर लेते हैं। इसके साथ-साथ पहाड़ों में पत्थरों की दरारों में भी अपना घोंसला बनाते है। मादा पक्षी एक अंडा देती है तथा नर व मादा मिल कर चूजे को पालते हैं।