जंगल में बीजों को फैला देता है मालागिर
लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी। प¨रदो की दुनिया: मालागिर (ऑरेंज हैडि
लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।
प¨रदो की दुनिया: मालागिर (ऑरेंज हैडिड थ्रस)
परिवार: टूरडिडी
जाति : जूथेरा
प्रजाति: सिटरिना
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इस पक्षी को स्थानीय भाषा में मालागिर व नारंगी कस्तुरा कहते हैं। इस पक्षी का सिर, गर्दन व नीचला हिस्सा नारंगी बादामी रंग का, पूंछ के नीचे का हिस्सा सफेद रंग, शरीर का ऊपरी हिस्सा स्लेटी रंग और पैर व पंजे भूरे पीले रंग के होते हैं। इसमें मादा पक्षी का रंग जैतूनी भूरा होता है। भारत में यह पक्षी मुख्यत आद्रता वाले सदाबहार जंगलों में रहते हैं और स्थानीय प्रवास करते हैं। यह पक्षी शर्मिला व एकांत प्रिय है, जो ज्यादातर समय अकेले या एक जोड़े में दिखाई देता है। यह ज्यादातर समय जंगलों में पेड़ों के नीचे उगी झाड़ीनुमा वनस्पति के नीचे गहरे पत्तों में छुपा रहता है। सुबह सह शाम के समय यह ज्यादा सक्रिय होते हैं। इस दौरान इनकी मधुर आवाज सुनाई देती है। सर्दियों में ये शांत रहते हैं और इनकी आवाज भी सुनने को नहीं मिलती। इस पक्षी की मधुर आवाज व सुनहरे रंग के कारण कई देशों में इसे ¨पजरे में भी रखा जाता है।
जंगली फलों से फैलाता है बीज
इसका मुख्य भोजन छोटे कीड़े, कीट, केंचुआ, जंगली बेरी व अन्य छोटे जंगली फल होते हैं। ये आमतौर पर जमीन पर बैठक कर ही अपना भोजन करते है। यह सर्वभक्षी पक्षी है। इस पक्षी के प्रजनन का समय मई से जून तक होता है। इस दौरान जोड़ा बनने के बाद नर व मादा दोनों मिलन कर पेड़ की शाखाओं पर तिनकों से बड़ा घोंसला बनाते है। इस घोंसले में मुलायम जड़ों, काई व पत्तों आदि का प्रयोग करते है, ताकि चूजों के लिए मुलायम जगह बन सके। मादा तीन से चार अंडे देती है। इस पक्षी की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है। यह जंगलों में बीजों को फैलाने का काम करते है। छोटे बेरी व अन्य जंगलों फलों के बीजों को जंगल के अलग-अलग हिस्सों में फैलाते है।
पपीहा रख देता है अपने अंडे
जब यह पक्षी अंडे देता है तो इसके घोंसले में पाईड कुक्कू (पपीहा) चुपचाप अपना एक अंडा रख जाती है। दोनों पक्षियों के अंडों का रंग लगभग एक जैसा होता है। यह देखने में आया है कि पपीहा के अंडे से चूजा मालागिर के अंडे से पहले निकलता है। इस पक्षी के अंडे से बच्चा निकलने से तक वह आकार में भी बढ़ जाता है और मजबूत हो जाता है। पपीहा का चूजा ज्यादातर भोजन को स्वयं खा जाता है और उसके थ्रस के चूजों को कम भोजन मिल पाता है। कभी-कभी पपीहा का चूजा थ्रस के चूजों को घोंसले से नीचे भी गिरा देता है।