स्नेह की डोर से बंधकर स्वावलंबी बनी सैकड़ों महिलाएं
कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है। इन पंक्तियों को साकार कर रही है रेवाड़ी स्थित अखिल भारतीय महिला परिषद की अध्यक्ष स्नेहलता गुप्ता व इस संगठन से जुड़ी अन्य महिलाएं। स्नेहलता इस संगठन से चार दशक पूर्व तब जुड़ी थी जब नारी की स्थिति अधिक दयनीय थी। एक बड़ा लक्ष्य लेकर स्नेहलता इस संगठन से जुड़ी और आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्नेहलता के साथ जुड़कर सैकड़ों महिलाएं सशक्त व स्वावलंबी बन चुकी है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है। इन पंक्तियों को साकार कर रही है रेवाड़ी स्थित अखिल भारतीय महिला परिषद की अध्यक्ष स्नेहलता गुप्ता व इस संगठन से जुड़ी अन्य महिलाएं। स्नेहलता इस संगठन से चार दशक पूर्व तब जुड़ी थीं, जब नारी की स्थिति अधिक दयनीय थी। एक बड़ा लक्ष्य लेकर स्नेहलता इस संगठन से जुड़ी और आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्नेहलता के साथ जुड़कर सैकड़ों महिलाएं सशक्त व स्वावलंबी बन चुकी हैं।
संगठन का अध्यक्ष पद बदलता रहा, लेकिन गुप्ता के काम करने के तौर-तरीके नहीं बदले। महिलाओं के प्रति उनके समर्पण व अद्वितीय योगदान को देखते हुए उन्हें सन 2006 में सर्वसम्मति से प्रधान चुना गया। इसके बाद अगली पारी में फिर उन्हीं को बागडोर सौंपी गई। बतौर प्रधान स्नेहलता पिछले दस वर्षों से परिषद की जिम्मेदारी संभाल रही है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि स्नेहलता नारी शक्ति को सशक्त बनाने के लिए चार दशक से सक्रिय है। स्नेहलता किसी भी काम का श्रेय खुद नहीं लेती बल्कि अखिल भारतीय महिला परिषद की पूरी टीम को इसका श्रेय देती हैं। परिषद के बैनर तले एकजुट होकर ही कई महिलाएं काम कर रही है। परिषद अब तक 500 से अधिक महिलाओं को स्वावलंबी बना चुकी है।
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बचाए सैकड़ों टूटते परिवार
रेवाड़ी के सेक्टर तीन निवासी स्नेहलता गुप्ता व परिषद से जुड़ी अन्य महिलाएं डॉ. तारा सक्सेना, शकुंतला यादव, कृष्णा यादव, नीलम शर्मा एडवोकेट, रमा यादव, रेखा भार्गव, रजनी भार्गव, उर्मिला भार्गव, अनीता यादव, मधु चौधरी, आशा जैन व स्नेहलता गोयल मिलकर टूटते परिवारों को बचाने का सबसे अहम काम कर रहे हैं। परिषद सामाजिक पंचायत जैसा अहम दायित्व निभाते हुए पति-पत्नी के बीच होने वाले विवादों में मध्यस्थ की भूमिका निभा रही है। यह परिषद के काम का ही परिणाम है, जिसके चलते पारिवारिक विवाद निपटाए जा रहे हैं। स्नेहलता गुप्ता के प्रयास से अब तक सैकड़ों परिवार टूटने से बच गए हैं। सरकार ने भी परिषद के काम की अहमियत समझते हुए दो काउंसलर, एक क्लर्क व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी परिषद को दिए हुए हैं। स्नेहलता के अलावा परिषद का गठन करने वाली शशि यादव व डॉ. तारा सक्सेना जैसी महिलाओं की सेवा व स्वावलंबन के प्रति लगन देखकर ही प्रदेश के गृह मंत्री रहे स्व. कन्हैयालाल पोसवाल ने रेवाड़ी के गुर्जरवाड़ी मोहल्ले में स्थित अपनी हवेली परिषद को दान दे दी थी। इसी हवेली में चल रहे सिलाई केंद्र व ब्यूटी पार्लर आदि स्वावलंबी कार्यक्रमों की बदौलत जिले में पांच सौ से अधिक निर्धन महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं और परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। स्नेहलता को समाजसेवा के इसी भाव ने अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बना दिया है। वे विभिन्न संस्थानों से सक्रिय रूप से जुड़ी है। सामाजिक कार्यों में उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। वह कहती हैं- एक नारी स्वयं में अपराजिता होती है। उसे जरूरत है तो सिर्फ अपने को समझने की। जिस प्रकार हनुमान जी समुद्र पार करते समय अपनी शक्तियों को भूल बैठे थे। तब जामवंत ने उन्हें उनकी शक्तियों के बारे में बताया था। उसके बाद उन्हें अपनी शक्तियां याद आ गई थीं। ठीक ऐसे ही एक नारी को भी अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की जरूरत है। इसके बाद वह स्वयं में अपराजिता बन जाएगी। हम सिर्फ महिलाओं को उनकी शक्ति याद दिलाने भर का काम कर रही हैं। शेष काम तो खुद ब खुद हो जाता है।
----------------------- स्नेहलता को मिले ये सम्मान
स्नेहलता को जिला प्रशासन द्वारा तीन बार सम्मानित किया जा चुका है। जनता-पुलिस समिति जैसे संगठन भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कमेटी की सदस्य भी मनोनीत किया गया है। पुरुष प्रधान समाज में हमेशा पुरुषों की ही चौधर रही है, लेकिन स्नेहलता व उनकी मित्र मंडली से जुड़ी महिलाओं ने इस मिथक को तोड़ा है। परिषद से जुड़ी महिलाएं जिले के कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर भी योगदान दे रही है।