एम्स के लिए पूरी हुई जमीन, शीघ्र परवान चढ़ेगी उम्मीदें
माजरा गांव में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के लिए आवश्यक जमीन की मांग आखिरकार पूरी हो गई है। एम्स की उम्मीदें अब शीघ्र ही परवान चढ़ेगी।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : माजरा गांव में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के लिए आवश्यक जमीन की मांग आखिरकार पूरी हो गई है। एम्स की उम्मीदें अब शीघ्र ही परवान चढ़ेगी। ग्रामीणों की ओर से एम्स के लिए आगे बढ़कर जमीन दी गई है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने एम्स के लिए जमीन की मांग पूरी होने पर ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया है। राव ने कहा है कि अब इलाके में एम्स बनने का सपना साकार होगा। लंबी मशक्कत के बाद हुई जमीन की जरूरत पूरी एम्स के लिए पहले मनेठी गांव के लोगों ने अपनी जमीन प्रस्तावित की थी लेकिन उक्त जमीन अरावली क्षेत्र की निकली जिसके चलते पर्यावरणीय समिति ने वहां पर एम्स बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद कई अन्य गांवों में भी एम्स के लिए जमीन तलाशने का काम किया गया लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पाई। ऐसी स्थिति में माजरा गांव के लोगों ने आगे बढ़कर जमीन देने का काम किया। सरकार ने भी एम्स के लिए जमीन अधिग्रहण करने की बजाय ग्रामीणों की मर्जी से जमीन लेने का तरीका अपनाया। ग्रामीणों ने खुद की मर्जी से सरकार द्वारा एम्स के लिए बनाए गए भूमि पोर्टल पर जमीन अपलोड की। ज्यादातर ग्रामीणों ने अपनी जमीन अपलोड कर दी थी लेकिन पिछले कुछ माह से जमीन के छोटे-छोटे पैच परेशानी बने हुए थे। एम्स के लिए 228 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी जिसके लिए लंबी मशक्कत की गई तथा अब यह जमीन पूरी हो गई है। एम्स के रास्ते में अब किसी भी तरह की कोई रूकावट नहीं है। खुद केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस बात की पुष्टि की है। एम्स की राह से राव ने निकाले कांटे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने एम्स की राह में बिछे कांटों को निकालने का काम किया है। बृहस्पतिवार को जारी बयान में राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कड़े संघर्ष व लंबे इंतजार के बाद अब जिले के गांव माजरा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने कहा कि एम्स निर्माण के लिए आवश्यक 228 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी, वह पूर्ण हो गई है। केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए ग्रामीणों का आभार जताया तथा कहा कि उनका यह सहयोग क्षेत्र को बड़ा लाभ देने वाला है। गांव के लोगों ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के महत्व को समझते हुए आगे बढ़कर भूमि उपलब्ध कराई। एम्स को लेकर कुछ समय पूर्व गांव के लोगों व सरकार के बीच मुआवजे को लेकर गतिरोध पैदा हो गया था। ग्रामीण 50 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजे की मांग पर अड़ गए थे। इस गतिरोध को दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्री ने किसानों के साथ सम्पर्क कर रेवाड़ी स्थित अपने निवास पर किसानों को आमंत्रित किया और मुआवजे का गतिरोध समाप्त कर इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के बारे में समझाया। उनकी यह मुहिम रंग लाई तथा किसान 40 लाख रुपये मुआवजे पर सहमत हुए। सरकार से बातचीत करके पूरे मसले का समाधान कराया गया।