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सन्नाटे के पीछे छुपी जिदगी की उम्मीद

समय-शाम छह बजे। स्थान-रेवाड़ी की ब्रास मार्केट। दिन-सोमवार। मैं माडल टाउन से निकलकर शहर के कुछ प्रमुख बाजारों का दौरा करने के बाद यहां पहुंचा हूं। आम दिनों की बात करें तो शाम ढलते ही ब्रास मार्केट की रौनक बढ़ जाती थी मगर लाकडाउन के इस दौर में यहां की हर दुकान लाक है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 04:56 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 04:56 PM (IST)
सन्नाटे के पीछे छुपी जिदगी की उम्मीद

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी

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समय-शाम छह बजे। स्थान-रेवाड़ी की ब्रास मार्केट। दिन-सोमवार। मैं माडल टाउन से निकलकर शहर के कुछ प्रमुख बाजारों का दौरा करने के बाद यहां पहुंचा हूं। आम दिनों की बात करें तो शाम ढलते ही ब्रास मार्केट की रौनक बढ़ जाती थी, मगर लाकडाउन के इस दौर में यहां की हर दुकान लाक है। अपवाद को छोड़कर अन्य प्रमुख बाजारों की स्थिति भी यहां से अलग नहीं है। हर तरफ सन्नाटा पसरा है, मगर इस भय मिश्रित सन्नाटे के बीच जिदगी की उम्मीद छुपी है। कभी पीतलनगरी के नाम से सुविख्यात इस शहर में मेले जैसा माहौल रहता था। अलवर जिले से भी प्रतिदिन हजारों ग्राहक यहां आते थे। आज न रविवार है और न ही किसी संगठन ने हड़ताल का आह्वान किया है, मगर कोरोना के बढ़ते कदम रोकने के लिए जारी की गई गाइडलाइन के कारण प्रमुख बाजारों में अभूतपूर्व बंद का ²श्य नजर आता है। यह अभूतपूर्व बंद हर शाम नजर आता है। आवश्यक सेवाओं की कुछ दुकानों को छोड़कर दोपहर तक भी बाजार बेरौनक रहते हैं।

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कभी नहीं देखा ऐसा बंद ब्रास मार्केट के बाहर खड़े होकर किसी का इंतजार कर रहे माडल टाउन निवासी सत्यवीर सिंह ने कहा कि सत्तर बंसत देख लिए। इस तरह की लंबी अवधि का बंद कभी नहीं देखा, जैसा कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा है। दुकानदारों को ग्राहकों से डर है तो ग्राहकों को भी उन दुकानों पर जाने से डर लगता है, जहां दोपहर दो बजे से पहले थोड़ी सी भी भीड़ दिखाई पड़ती हो। मोती चौक पर हर दिन मेला लगता रहा है। संडे को भी यहां बाजार गुलजार रहता था, मगर अब तो यहां स्थित घंटेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने वाले भी कभी-कभी दिखाई पड़ते हैं। दर्शन भी दूर से ही किए जा रहे हैं। रेलवे रोड व काठमंडी की भी यही स्थिति है, मगर सरकुलर रोड पर वाहनों की भीड़ शहर के जीवंत होने का अहसास कराती है। इसी भीड़ में थोड़ी-थोड़ी देर बाद सरकुलर रोड़ से गुजर रही एंबुलेंस खुद हालात बयां कर रही है। शहर के अधिकांश अस्पताल सरकुलर रोड व माडल टाउन में ही हैं। एक निजी अस्पताल में काम कर रहे सुखबीर का कहना है कि हमने अपने जीवन में कभी भी इतनी एंबुलेंस दौड़ती नहीं देखी।

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डराती है नाईवाली चौक की भीड़ प्रमुख बाजारों में पसरे सन्नाटे के बीच कुछ डरावना भी दिखता है। दोपहर से पहले नाईवाली चौक बाजार में लाइनों में लगी रेहड़ियों पर दिखाई पड़ी भीड़ कुछ लापरवाह दिखती है। हालांकि शाम को यहां भी सन्नाटा रहने लगा है, मगर दोपहर से पहले जुटने वाली भीड़ कोरोना को ताकत दे सकती है। लोग यह मान भी रहे हैं कि आखिर यहां इतनी नजदीक रेहड़ियां लगवाने ही क्यों दी जा रही है। अगर अस्पतालों से भीड़ हटानी है तो इन्हें समझाने की जरूरत है।


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