युवा और बुजुर्ग मिलकर संभाल रहे हैं रामलीला की बागडोर
मुख्य बाजार स्थित मनीराम बाग की रामलीला दो पीढि़यों युवा व बुजुर्गों के सहकार की अनूठी मिसाल है। श्री रामलीला क्लब की ओर से करीब छह दशक से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। खास बात यह भी की इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी अभिनय करते हैं। वर्ष 1954 में सेठ प्रभाली लाल और लक्ष्मीचंद झिवानिया ने यहां रामलीला का मंचन शुरू किया था। रामलीला की एक खासियत यह भी है कि इसमें में पिता पुत्र मिलकर विभिन्न पात्रों की भूमिका निभा रहे हैं। कस्बे की सबसे पुरानी रामलीला होने के कारण इसकी लोकप्रियता भी कम नहीं है।
संवाद सहयोगी, धारूहेड़ा: मुख्य बाजार स्थित मनीराम बाग की रामलीला दो पीढि़यों युवा व बुजुर्गों के आपसी सामंजस्य की अनूठी मिसाल है। श्री रामलीला क्लब की ओर से करीब छह दशक से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। खास बात यह है की इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी अभिनय करते हैं। वर्ष 1954 में सेठ प्रभाली लाल और लक्ष्मीचंद झिवानिया ने यहां रामलीला का मंचन शुरू किया था। रामलीला की एक खासियत यह भी है कि इसमें पिता पुत्र मिलकर विभिन्न पात्रों की भूमिका निभा रहे हैं। कस्बे की सबसे पुरानी रामलीला होने के कारण इसकी लोकप्रियता भी कम नहीं है।
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इस वर्ष का आकर्षण:
इस वर्ष रामलीला में मंच के माध्यम से लोगों को रक्तदान करने व पौधरोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। रामलीला से जुड़े लोगों का एक सामाजिक संगठन है, जिसकी ओर से समय समय पर रक्तदान, पौधरोपण, स्वास्थ्य जांच शिविर आदि लगवाए जाते रहते हैं। पिछले तीन साल में रामलीला से जुड़ा यह संगठन 200 से अधिक यूनिट रक्तदान तथा 50 से अधिक बार पौधरोपण कर चुका। रामलीला मंचन के दौरान दर्शकों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाता है।
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क्या कहते हैं पात्र:
मुझे रावण का अभिनय करना बहुत पंसद है। मैं कई सालों से यह रोल कर रहा हूं। अगले साल भी मैं यही रोल करूंगा। रावण की भूमिका निभाने पर मुझे गर्व महसूस होता है।
-अशोक जोशी, पात्र रावण
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मैं रामलीला में सीता माता का रोल कर रहा हूं। मुझे सीताजी की पवित्रता पर गर्व है। मैं पिछले दो साल से यह रोल कर रहा हूं। मुझे रामलीला में भाग लेना बहुत पंसद है।
-तरूण शोर्या, पात्र सीता
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मैं तीन साल से लक्ष्मण का रोल कर रहा है। मेरे पापा भी रामलीला में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसी के चलते मुझे रामलीला में पात्र बनने का चाव रहता है। मैं व्यवसाय से दुकानदार हूं।
-गौरव सैनी, पात्र लक्ष्मण
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कई सालों से रामलीला में भूमिका निभा रहा हूं। मुझे राम का रोल करना बहुत पसंद है। मैं निजी कंपनी में कार्यरत हूं। नौकरी की व्यस्तता के बावजूद प्रभु श्रीराम की कृपा से रामलीला में योगदान दे पा रहा हूं।
-लक्ष्मण, पात्र राम
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इस बार मैं दशरथ की भूमिका में हूं। मेरी इच्छा थी कि मैं मंच पर किसी भी पात्र के रूप में अपने विचार रख सकूं। रामलीला के जरिए यह इच्छा पूरी हो पाई है।
- रतन ¨सह सैनी, दशरथ
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यादों के झरोखे से
करीब छह दशक पूर्व धारूहेड़ा में रामलीला का मंचन शुरू किया था। शुरुआत में बुजुर्ग ही ज्यादातर पात्रों की भूमिका निभाते थे। आजकल युवा पीढ़ी भी रुचि दिखा रही है। पिता पुत्र विभिन्न पात्रों की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें रतन सैनी दशरथ का और बेटा गौरव सैनी सीता का, अशोक जोशी दशरथ का व बेटा अश्वनी हनुमान का तथा लीलाधर सैन मंथरा का तथा बेटा अरूण सैन मेघनाद का रोल निभा रहा है। खुशी इस बात की है कि छह दशक का सफर तय कर चुका रामलीला क्लब सामाजिक सरोकार में भी अपनी भूमिका निभा रहा है।
-दलीप सिकरवाल, क्लब प्रधान