रामपुरा हाउस के सहारे अहीरवाल में सुरजेवाला की सेंध
राजनीति का केंद्र रहे रामपुरा हाउस का साथ मिलने से अहीरवाल में रणदीप ¨सह सुरजेवाला की पैठ भी बढ़ती जा रही है। रामपुरा हाउस से राव अजीत ¨सह व अर्जुन ¨सह का साथ मिलने के अलावा सुरजेवाला को दिल्ली दरबार से भी एक के बाद एक अहम जिम्मेदारियां मिली है।
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
राजनीति का केंद्र रहे रामपुरा हाउस का साथ मिलने से अहीरवाल में रणदीप ¨सह सुरजेवाला की पैठ भी बढ़ती जा रही है। रामपुरा हाउस से राव अजीत ¨सह व अर्जुन ¨सह का साथ मिलने के अलावा सुरजेवाला को
दिल्ली दरबार से भी एक के बाद एक अहम जिम्मेदारियां मिली है। दिल्ली से मिली इस शक्ति का हरियाणा में भी अब असर दिखने लगा है, क्योंकि उनके चाहने वालों की संख्या अब लगातार बढ़ रही है। यह कहना उचित होगा कि पिछले
वर्ष अर्जुन के सहारे अहीरवाल में दमदार एंट्री करने वाले सुरजेवाला को अब अहीरवाल में सेंध लगाने में कामयाबी मिल
चुकी है और कांग्रेस में उनका नया गुट मजबूत होने लगा है।
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खास है 23 सितंबर
रविवार का दिन सुरजेवाला की अहीरवाल में हुई अन्य जनसभाओं की तुलना में अहम है, क्योंकि 23 सितंबर का यहां की राजनीति के लिए बड़ा अहम दिन है। रविवार को कनीना में होने वाले उस शहीद सम्मान समारोह के खास राजनीतिक मायने हैं, जहां बतौर मुख्य अतिथि सुरजेवाला पहुंच रहे हैं। सुरजेवाला यहां खुद की जमीन मजबूत करने के लिए अर्जुन के कंधों को ताकत देंगे। राजनीतिज्ञ इस समीकरण को एक और एक ग्यारह का गणित हल करने में कामयाब मान रहे हैं, लेकिन कनीना की इस सभा से कांग्रेस में दूसरे टिकटार्थियों की परेशानी बढ़ना तय है। कनीना अटेली विधानसभा क्षेत्र का उपमंडल है। अर्जुन राव खुलकर अटेली से अपनी दावेदारी ठोंक चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कुछ माह पूर्व पटौदी व बावल जैसे स्थानों पर भी सुरजेवाला की सभाएं करवाई है।
इस स्थिति में कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ना स्वभाविक है, लेकिन रणदीप की सुलझी हुई भाषा शैली उनकी स्वीकार्यता बढ़ा रही है।
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अर्जुन की स्वीकार्यता बढ़ी
राव अर्जुन ¨सह पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र ¨सह के पौत्र, केंद्रीय मंत्री भाजपा नेता राव इंद्रजीत ¨सह भतीजे तथा राव अजीत ¨सह के बेटे हैं। राव बिरेंद्र ¨सह के पौत्र के साथ खड़े होने से कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी को भी शक्ति मिल रही है। इसी तरह सुरजेवाला का साथ मिलने से राजनीति में नए चेहरे होते हुए भी अर्जुन की स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। अर्जुन के पिता राव अजीत ¨सह भी अब खुलकर सुरजेवाला के साथ आ चुके हैं। बदले समीकरणों से रामपुरा हाउस की राजनीति से जुड़े पुराने चेहरों का सुरजेवाला गुट को साथ मिलेगा।