विश्व दिव्यांग दिवस: दिव्यांगों के लिए मददगार साबित हो रहे समाजसेवी
दिव्यांगत अब अभिशाप नहीं रह गया है। मदद और प्रोत्साहन मिले तो दिव्यांग व्यक्ति हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर सकता है। नागरिक अस्पताल में माली के पद पर कार्यरत मानसिंह अपने कार्य के साथ अपने नृत्य के बल पर जिला में अलग पहचान बनाए हुए है। इसी प्रकार समाज में बहुत से लोग और संस्थाएं हैं जो बहुत से दिव्यागों के लिए शिक्षा दीक्षा के साथ स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए सक्रियता के साथ जुटे हुए हैं।
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी
दिव्यांगत अब अभिशाप नहीं रह गया है। मदद और प्रोत्साहन मिले तो दिव्यांग व्यक्ति हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर सकता है। नागरिक अस्पताल में माली के पद पर कार्यरत मानसिंह अपने कार्य के साथ अपने नृत्य के बल पर जिला में अलग पहचान बनाए हुए हैं। इसी प्रकार समाज में बहुत से लोग और संस्थाएं हैं जो दिव्यागों के लिए शिक्षा, दीक्षा के साथ स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए सक्रियता के साथ जुटे हुए हैं। इनमें से एक रोटरी क्लब रेवाड़ी मेन और नव प्रेरणा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चल रहा रोटरी नव प्रेरणा वोकेशनल सेंटर दिव्यांग और मानसिक रूप से असक्त बच्चों और किशोरों को स्वावलंबी बनाने की ओर अग्रसर है।
शहर के सेक्टर 18 स्थित भक्तिनगर में स्थापित इस सेंटर में वर्तमान में 30 बच्चे विभिन्न प्रकार की वस्तुएं जैसे मिठाई के डिब्बे, मोमबत्ती, फेंसी गुल्लक, सजावट का सामान, फूलदान, लिफाफे, डोना, गुलदस्ते, दीये आदि तथा त्योहार के अनुसार उपयोगी सामान बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी बच्चे और किशोर मानसिक रूप से असक्त के साथ शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। रोटरी क्लब रेवाड़ी मेन के प्रधान अरुण गुप्ता, सचिव जेपी चौहान, जनसंपर्क अधिकारी यादके सुगंध, दिव्यांग और मानसिक रूप से असक्त बच्चों को पढ़ाने के लिए संचालित नव प्रेरणा संस्थान के हरीश मलिक,महेंद्र चक्रवर्ती, प्राचार्या गायत्री शर्मा और उनकी टीम इन बच्चों को पढ़ाने के साथ आत्मनिर्भर होने का भी प्रशिक्षण देने का बीड़ा उठाया हुआ है।
प्रदर्शनी लगाकर करते हैं सामानों की बिक्री:
रोटरी क्लब रेवाड़ी मेन और नव प्रेरणा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे इस सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बच्चों द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी लगाकर बिक्री भी करते हैं। इसमें से प्राप्त आमदनी इन्हीं बच्चों में खर्च किया जाता है। वोकेशनल सेंटर स्थापित करने से पहले ये बच्चे सेक्टर तीन में चल रहे नव प्रेरणा संस्थान में पढ़ाई के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। अब नव प्रेरणा संस्थान में पढ़ाई तथा वोकेशनल सेंटर में विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। दोनों संस्थाओं की ओर से मशीन स्थापित करने के साथ कुशल प्रशिक्षकों की व्यवस्था की हुई है।
आत्मनिर्भर बनाना है उद्देश्य: रोटरी क्लब ऑफ रेवाड़ी मेन के प्रधान अरुण गुप्ता कहते हैं सेंटर संचालित करने का उद्देश्य इन बच्चों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ना है। ये बच्चे और किशोर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपना स्वरोजगार भी चला सकेंगे। मानसिक रूप से असक्त बहुत से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना जगाने के साथ उचित मंच दिया जा रहा है। नवप्रेरणा संस्थान के निदेशक हरीश मलिक का कहना है कि संस्थान के बच्चे न केवल पढ़ाई में रुचि लेते हैं बल्कि खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों में भी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। रोटरी नवप्रेरणा वोकेशनल सेंटर स्थापित होने के बाद ये बच्चे प्रयोगिक प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार और स्वावलंबी बनने की ओर अग्रसर है।