नियम 134ए: निर्धारित सीट से कम आए आवेदन
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : शिक्षा नियमावली 134ए के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क दाखिला पाने
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : शिक्षा नियमावली 134ए के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क दाखिला पाने की चाहत में आवेदन करने वालों की अंतिम दिन खूब भीड़ रही। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में अन्य दिनों की अपेक्षा आवेदन करने वालों की संख्या अधिक थी। इनमें से सैकड़ों आवेदन करने वालों को मायूस होकर भी लौटना पड़ा, क्योंकि इन्होंने अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में पढ़ाया था, जो मान्यता प्राप्त नहीं थे। इस बार शिक्षा विभाग ने गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के बच्चों का आवेदन पत्र स्वीकार ही नहीं किया। काफी मन्नत करने के बावजूद इनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके अलावा आधे अधूरे फॉर्म के कारण अभिभावकों को कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़े। इनमें से कुछ आवेदन पत्र जमा कराने में सफल हुए तो कईयों को निराशा मिली। यही कारण रहा कि निर्धारित सीटों की तुलना में आवेदन करने वालों की संख्या कम रही। सबसे ज्यादा भीड़ रेवाड़ी के खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में देर शाम तक रही। आवेदन पत्र जमा कराने के बाद अब आवेदकों को 15 अप्रैल को आयोजित होने वाली मूल्यांकन परीक्षा का इंतजार है।
मूल्यांकन परीक्षा :
15 अप्रैल: मूल्यांकन परीक्षा
18 अप्रैल: खंडस्तर पर मूल्यांकन परीक्षा के परिणाम की घोषणा
19 अप्रैल: प्रथम ड्रॉ
20-26 अप्रैल: प्रथम ड्रा में शामिल विद्यार्थियों का दाखिला
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किस खंड में कितने आए आवेदन:
खंड निर्धारित सीट आवेदन पत्र प्राप्त
रेवाड़ी 3012 2097
बावल: 1440 188
खोल: 930 124
जाटूसाना: 886 368
नाहड़ : 531 482
-------- समाजसेवियों की नहीं थी कमी:
खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों के बाहर आवेदन करने वालों की परेशानियां दूर करने के लिए समाजसेवा करने वालों की भी कमी नहीं थी। कई बार उनका मार्गदर्शन कुछ लोगों के लिए मददगार साबित हुआ तो कईयों को इस कारण आवेदन पत्र कई बार खरीदकर भरना पड़ा। फोटोस्टेट दुकानदारों की चांदी:
आवेदन पत्र बेचने के नाम पर खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों के आसपास के फोटोस्टेट संचालकों ने जमकर चांदी कूटी। कोई पांच रुपये का एक फार्म दे रहा था तो कोई फोटोस्टेट करने के नाम पर 2 से 5 रुपये तक वसूल रहे थे। कई अभिभावकों से बिजली नहीं होने की स्थिति में जनरेटर या इन्वर्टर के नाम पर दो से तीन रुपये तक अतिरिक्त लिए जा रहे थे। इसके बावजूद अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए निजी स्कूलों में फ्री पढ़ाने की आस में यह परेशानी काफी कम लग रही थी। मूल्यांकन परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद भी अभिभावकों को कई अड़चनों से गुजरना पड़ेगा।