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संस्कारशाला:: संतोष व खुशी में छिपा है सफलता का राज

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : ¨जदगी एक खूबसूरत सफर है, जिसमें इंसान बहुत कुछ हासिल करता

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 06:01 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 06:01 PM (IST)
संस्कारशाला:: संतोष व खुशी में छिपा है सफलता का राज
संस्कारशाला:: संतोष व खुशी में छिपा है सफलता का राज

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : ¨जदगी एक खूबसूरत सफर है, जिसमें इंसान बहुत कुछ हासिल करता है और बहुत कुछ हासिल नहीं भी कर पाता। हमारे पास कुदरत की दी गई दो अनमोल नियामतें हैं। कुदरत जहां खुशियां बांटने में व्यस्त है, वहीं हम केवल भौतिक चीजों को जुटाने में लगे हुए हैं। इंसान यह भूल जाता है कि आलीशान बंगला, बड़ी कार, दौलत, रुपया, ताकत सब कुछ यहीं छोड़कर अगले सफर पर अकेला ही चला जाना है। जिस प्रकार कस्तूरी मृग के अंदर ही होती है फिर भी उसकी खुशबू की तलाश में मृग समस्त जंगल में भटकता है उसी तरह इंसान भी खुशियां पाने के लिए नये नये रास्ते ढूंढता है। जबकि वास्तविकता तो यही है कि असली खुशी तो उसके अंतर्मन में स्थित सोच में बसी हुई है। आज के दौर में युवा अपना उज्ज्वल भविष्य इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, अधिकारी या उद्यमी के रूप में देखता है लेकिन ये मानवीय लक्ष्य तो आजीविका कमाने मात्र के लिए है। जीवन का एकमात्र लक्ष्य संतोष एवं खुशी के साथ जीना होना चाहिए। खुश हरने वाला व्यक्ति कभी किसी की आलोचना नहीं करता। प्रसन्नचित व्यक्ति अपने हुनर एवं आत्मसंतोष के दम पर निरंतर जीवनपथ पर अग्रसर रहता है। 'आदमी ता उम्र खुशियों के लिए, बड़े दुर्गम रास्ते पाटता है, पर खुशी चाहने वालों की बजाय बांटने वाले को खुशी मिलती है। जीवन में प्रत्येक कार्य खुशी-खुशी किया जाये तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं लगेगा।' हिटलर ने कहा है कि खुश रहने के लिए एक तो तुरंत फैसला लेने की क्षमता, दूसरी गलती को सही करने का साम‌र्थ्य होना चाहिए। कहा भी गया है कि अपने दुख में रोने वाले मुस्कराना सीख ले, दूसरों के दर्द में आंसू बहाना सीख ले, जो खिलाने में आनंद है वह स्वयं खाने में नहीं, ¨जदगी में तू किसी के काम आना सीख ले। विकास का फैसला तय करती है खुशी:

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खुशी मनुष्य के जीवन जीने का आधार है। इसी कारण खुशी को विकास के फैसले के तौर पर स्वीकारा गया गया है और दुनिया भर के कई देश इस पर नीतियां बनाकर उस पर अमल करने में लगे हैं। खुशी विषय पर प्रसिद्ध और अनुभवी मार्गदर्शक गोष्ठियां आयोजित करते हैं। खुशी व संतुष्टि से मानसिक बीमारियां दूर रहती हैं। इसलिए यह कटु सत्य है कि अच्छा दिन खुशियां लाता है और बुरा दिन अनुभव सिखाता है। ¨जदगी के लिए दोनों ही जरूरी हैं। उतार चढ़ाव भरे जीवन में हर समय संघर्ष और चुनौतियां हैं। इसलिए इंसान के पास जो है उसमें खुश रहना सीखना चाहिए। खुशी से बढ़चढ़कर पौष्टिक खुराक और कुछ नहीं है। दूसरों को खुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का काम है।

- राजेश प्रकाश, ¨प्रसिपल, एसडी स्कूल खुशपुरा।

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मानव जीवन का लक्ष्य हो खुश रहना व खुशियां बांटना

रेवाड़ी: मानव जीवन का लक्ष्य क्या है। इसका उत्तर सबके पास अलग- अलग हो सकता है परंतु मानव का लक्ष्य खुश रहना और खुशियां बांटना है। खुश रहने के लिए बहुत ज्यादा धन दौलत की जरूरत नहीं होती। हमें अपने हर कर्म में खुशी का अनुभव करने का प्रयत्न करना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि जो कार्य आप इस समय कर रहे हैं वहीं सर्वश्रेष्ठ कर्म है। उसे पूरी ईमानदारी से करो तो उसे करने में अनंत खुशी का अनुभव होता है। हम अपने घर में, अपने कार्यस्थल पर और अपने सामाजिक जीवन में खुश रहकर खुशियां बांट सकते हैं। खुशी सकारात्मक सोच से आती है। जब हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है तो चीजों के प्रति हमारा नजरिया बदल जाता है। जिन चीजों को हम उपेक्षित नजरों से देखते रहे हैं वे भी हमें आनंददायी लगने लगती हैं। इससे जीवन में सरलता आती है। सरलता से अंतर्मन में संतोष का भाव आता है। संतोष के आने से मन मस्तिष्क के द्वेष और लोभ नष्ट हो जाते हैं। मन की मलीनता नष्ट हो जाती है और खुशियां जीवन में प्रवेश करती हैं। मानव जीवन में अगर खुशी नहीं है तो जीवन ही निरर्थक है। अध्यापन क्षेत्र में मिलती हैं नया करने की खुशियां:

शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रतिदिन इस बात का आत्म¨चतन करना चाहिए कि उन्होंने आज क्या किया तो मानस पटल पर कई ऐसे चित्र उभर आते हैं जिनसे खुशी का अनुभव होता है। इस प्रक्रिया में कोई बहुत बड़ा प्रोजेक्ट नहीं होता। छोटे- छोटे कार्य भी हम अनजाने में करते हैं। वो किसी दूसरे के चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इससे हमें जीवन में सही लक्ष्य की ओर लेजाने में मदद मिलती है। सीढि़यों से उतरते किसी छोटे बच्चे के जूते के फीते घुटनों के बल बैठकर बांधने में कुछ पल के लिए मन में एक असीम सुख का अनुभव होता है। गृह कार्य निरीक्षण करते करते किसी बच्चे की कार्य पुस्तिका में कोई प्रेरक संदेश लिखना, अनेक छोटे छोटे कार्य बड़ी खुशी का कारण बन जाते हैं। इसकी शुरुआत हम अपने घर से कर सकते हैं अपनों के साथ खुशियां बांटकर। घर के चार छह सदस्य खुश रहेंगे तो वहां से और लोग और इसी प्रकार खुशियों को बांटने का प्रयास करेंगे। हम वही चीज दूसरों को देते हैं जो हमारे पास है। इसलिए हम सभी को खुश रहना चाहिए और मानव जीवन को अर्थवान बनाना चाहिए।

- रेखा यादव, मुख्य अध्यापिका, कैनाल वैली पब्लिक स्कूल, बेरलीखुर्द।


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