सुरक्षा चक्र के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं असुरक्षित शेल्टर होम
दूसरे राज्यों के लोगों को पलायन करने से रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से शेल्टर होम में इनके रहने व भोजन की व्यवस्था की गई है। ज्यादातर लोग राजस्थान व गुजरात से चलकर रेवाड़ी पहुंचे हैं जिनको अब यहां पर ठहराया गया है। हजारों लोग इन शेल्टर होम में रह रहे हैं। शेल्टर होम ने लोगों का पलायन तो रोक दिया लेकिन इतने लोगों के एक साथ रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : दूसरे राज्यों के लोगों को पलायन करने से रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से शेल्टर होम में इनके रहने व भोजन की व्यवस्था की गई है। ज्यादातर लोग राजस्थान व गुजरात से चलकर रेवाड़ी पहुंचे हैं, जिनको अब यहां पर ठहराया गया है। हजारों लोग इन शेल्टर होम में रह रहे हैं। शेल्टर होम ने लोगों का पलायन तो रोक दिया, लेकिन इतने लोगों के एक साथ रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। किसी एक भी व्यक्ति में कोरोना का संक्रमण हुआ तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम शेल्टर होम में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर तो नजर रखे हुए है लेकिन खतरा बरकरार है। मालपुरा शेल्टर होम में मिले14 लोग दूसरे राज्यों के लोगों लॉकडाउन के बाद अपने घरों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया था। जिले में भी बड़ी तादाद में गुजरात व राजस्थान की तरफ से लोग पहुंचे थे। ये लोग उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। इन लोगों को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से रेवाड़ी, धारूहेड़ा, बावल व कई ग्रामीण क्षेत्रों में शेल्टर होम बनाए गए थे। इनमें हजारों लोगों को रोका गया है। अकेले रेवाड़ी में बनाए तीन शेल्टर होम में ही 527 लोग रह रहे हैं। जिला प्रशासन ने पलायन रोक दिया है, लेकिन संक्रमण को रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग साझा टॉयलेट, बाथरूम व कमरे इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त दिनभर साथ बैठना भी रहता है। यहां बता देना जरूरी है कि तीन दिन पूर्व मालपुरा स्थित शेल्टर होम में ऐसे 14 लोग मिल चुके हैं जिनको राजस्थान के माउंट आबू में क्वारंटाइन किया गया था और वे वहां से भाग आए थे। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी मानना है कि एक भी संक्रमित बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। झुग्गियों में भी पहुंच रहे हैं बाहरी लोग जिलेभर में दर्जनों स्थानों पर डल रही झुग्गी झोपड़ियों में भी सैकड़ों लोग रह रहे हैं। अब इन झुग्गियों में भी बाहरी लोग छिपकर रहने आ रहे हैं। बुधवार को भी पुलिस ने कोनसीवास रोड स्थित झुग्गी में से दो युवकों को पकड़ा है जो करीब तीन माह पुन्हाना स्थित मदरसे में रहकर आए हैं। हर रोज 4 लाख का खर्च, समाजसेवियों पर जिम्मेदारी अभी तक जो बात सामने आई है, उसके अनुसार इन शेल्टर होम में और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए भोजन का पूरा प्रबंधन शहर की समाजसेवी संस्थाएं ही करने में जुटी हुई है। हर रोज भोजन के 30 हजार पैकेट तैयार हो रहे हैं। करीब 3:50 से 4 लाख रुपये का खर्चा इन संस्थाओं का हो रहा है। जिला प्रशासन की ओर से इस दिशा में उनको अभी कोई मदद नहीं मिल रही है, जिससे धीरे-धीरे विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। लॉकडाउन के अभी काफी दिन बाकी हैं और ऐसे में हर रोज लाखों खर्च करने वाली संस्थाएं कभी भी हाथ खड़े कर सकती हैं।
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जागरण सुझाव:
-प्रशासन इस बात का विशेष ध्यान रखे कि शेल्टर होम में रखे गए लोगों के बीच निश्चित दूरी बनी रहे।
-शेल्टर होम में कम संख्या में ही लोग रखें जाए।
-ध्यान रखा जाए तो इन लोगों में से कोई रात को न निकल जाए।
-कई लोग तो रेवाड़ी में ही रह रहे हैं। इनको घर तक पहुंचाया जा सकता है।
-शेल्टर होम में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए।
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मैंने उपायुक्त से विस्तार से इस संबंध में बात की है। सभी शेल्टर होम में शौचालयों की संख्या बढ़ाई जाएगी। मौसम में ठंडक देखते हुए कपड़ों की व्यवस्था होगी। सैनिटाइजेशन का ध्यान रखा जाएगा। सुरक्षा चेन किसी भी सूरत में नहीं तोड़ने देंगे।
- डॉ. बनवारीलाल, सहकारिता मंत्री