'राजनीति' के तराजू से आवंटित हुई जिला परिषद की ग्रांट
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जिला परिषद में पक्ष और विपक्ष भाजपा ही है। चेयरपर्सन पक्ष जहां कें
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जिला परिषद में पक्ष और विपक्ष भाजपा ही है। चेयरपर्सन पक्ष जहां केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ¨सह के साथ हैं, वहीं उनके विरोध में डटे अधिकांश पार्षदों को लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर ¨सह व उनके सिपहसालारों का आशीर्वाद प्राप्त है। पिछले दिनों इंद्रजीत व नरबीर समर्थक जिला पार्षदों के बीच ग्रांट आवंटन में भेदभाव का मुद्दा मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा था, लेकिन एक अप्रैल 2016 से 10 सितंबर 2017 तक आवंटित की गई 5 करोड़ 12 लाख 30 हजार 780 रुपये की राशि में से तीन चौथाई से अधिक राशि 18 में से सिर्फ 10 पार्षदों के बीच वितरित हुई है।
चेयरपर्सन मंजूबाला राव इंद्रजीत ¨सह समर्थक हैं। लिहाजा राव समर्थकों पर खूब दरियादिली हुई है, जबकि अपवाद को छोड़कर राव नरबीर समर्थकों को ठेंगा दिखाया गया है। पूर्व में राव नरबीर ¨सह के पाले में शामिल रहे एक पार्षद पर भी कृपा हुई है। आलम यह है कि प्रत्यक्ष नजर आ रहे भेदभाव पर अब विपक्ष ने नहीं बल्कि बल्कि सत्तारूढ़ दल के ही एक नेता ने सवाल उठाए हैं। व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश खोला ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है।
-------
किस वार्ड में किस पार्षद को कितनी मिली राशि
एक अप्रैल 2016 से 10 सितंबर 2017 तक
वार्ड नंबर सदस्य का नाम राशि
1 जगफूल ¨सह 34 लाख
2 मुकेश कुमार 56 लाख 39 हजार
3 शारदा 2 लाख
4 कांता देवी 47 लाख 47 हजार
5 अमित कुमार 6 लाख 57 हजार 780
6 अनिल कुमार 59 लाख 85 हजार
7 सुमन 53 लाख
8 आजाद ¨सह 50 लाख 82 हजार
9 प्रशांत 6 लाख
10 शशिबाला 57 लाख 50 हजार
11 अजय 55 लाख 05 हजार
12 नीलम देवी 7 लाख
13 मंजुबाला (प्रधान) 35 लाख 90 हजार
14 नीतू चौधरी 8 लाख 55 हजार
15 ¨पकी ---
16 धर्मेंद्र ---
17 रोहन ---
18 हरीश कुमार 32 लाख 20 हजार
---------
कुल राशि 5,12,30,780
---------------------
94 फीसद राशि सिर्फ 10 वार्डों में आवंटित कर दी गई। यह गलत बात है। हमने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है।जब मुख्यमंत्री हर विधानसभा में समान राशि वितरण की बात कर रहे हैं तो जिला परिषद में ऐसा क्यों हो रहा है। हम इस मामले में अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं।
-सतीश खोला, प्रदेश संयोजक
व्यवसायिक प्रकोष्ठ, भाजपा
-----------
हमने ग्रांट वितरण में कोई भेदभाव नहीं किया। हमने प्राथमिकता तय की है। जहां अधिक जरूरत थी और जो पार्षद काम करने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे थे, उनको कुछ अधिक मिल गया। कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने पहले आवंटित राशि ही खर्च नहीं की। ऐसे में इसे भेदभाव की संज्ञा न दें। अभी ग्रांट का सिलसिला बंद नहीं हुआ है। जहां कमी रही होगी, वहां भविष्य में देखेंगे।
-मंजूबाला, जिला प्रमुख
---------