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हानिकारक है गुजरीवास के चमत्कारी ट्यूबवेल का पानी

-स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में पानी में पाए गए बैक्टिरिया पानी में इतना अधिक नमक कि ब्लड प्रेशर वाले मरीज को हो सकती है परेशानी -शुगर के रोगी के लिए फायदेमंद नहीं नुकसानदायक है ट्यूबवैल का पानी दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद हुई थी पानी की जांच जागरण संवाददाता रेवाड़ी लालपुर-गुजरीवास गांव स्थित ट्यूबवैल के चमत्कारी पानी का सच सामने आ गया है। ट्यूबवैल का यह पानी पीने लायक तक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग व जनस्वास्थ्य विभाग दोनों की ही रिपोर्ट में यह बात सामने आ गई है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आम लोगों से अपील भी की है कि शुगर ठीक करने के चक्कर में इस पानी का सेवन कतई न करें क्योंकि यह शरीर के लिए खासा हानिकारक है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 06:43 AM (IST)
हानिकारक है गुजरीवास के चमत्कारी ट्यूबवेल का पानी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : गांव लालपुर-गुजरीवास स्थित ट्यूबवेल का पानी चमत्कारी नहीं, बल्कि सेहत के लिए खतरनाक है। जनस्वास्थ्य व स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस ट्यूबवेल के पानी से मधुमेह ठीक होना तो दूर ब्लड प्रेशर जैसी दूसरी बीमारियां बढ़ सकती हैं। विभाग ने लोगों से मधुमेह ठीक होने की उम्मीद में इस पानी का उपयोग न करने की अपील की है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में जहां पानी में बैक्टीरिया मिले हैं, वहीं वहीं जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की करनाल स्थित लैब ने पानी को मनुष्यों के लिए पीने योग्य नहीं माना है।

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डेढ़ माह पहले शुरू हुई अफवाह

लगभग डेढ़ माह पूर्व गुजरीवास के ट्यूबवेल के पानी से मधुमेह ठीक होने की अफवाह शुरू हुई। इसके बाद चर्म रोग, पेट की बीमारी व अन्य रोगों की चर्चा भी शुरू हो गई और लगातार भीड़ बढ़ने लगी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली सहित अन्य राज्यों तक से लोग पानी लेने के लिए पहुंचने शुरू हो गए। दैनिक जागरण ने सबसे पहले 23 मई को 'अंधविश्वास: पानी से मधुमेह दूर होने का दावा' में स्पष्ट तौर पर बताया था कि मनुष्य के लिए हानिकारक पानी को चमत्कारी कहकर प्रचारित किया जा रहा है। इसके पश्चात सोशल मीडिया पर भी यह मामला खूब उछला। किसी पोस्ट ने अंधविश्वास को बढ़ावा दिया तो किसी ने विज्ञान की बात की। उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा ने खुद पहल करते हुए छह जून को पानी की जांच के लिए अतिरिक्त उपायुक्त की अध्यक्षता में जनस्वास्थ्य विभाग-बावल के कार्यकारी अभियंता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी-रेवाड़ी व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी बावल की चार सदस्यीय टीम से जांच कराई। स्वास्थ्य विभाग व जनस्वास्थ्य विभाग की टीमों ने पानी के अलग-अलग सैंपल लिए। दोनों ही विभागों की रिपोर्ट शुक्रवार को आई है।

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पानी में खतरनाक बैक्टीरिया, पीने लायक नहीं

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ट्यूबवेल के प्रति 100 एमएल पानी में सात एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) ऑफ कॉलीफोर्म मिले हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. रेणु बंसल के अनुसार पानी में बैक्टीरिया कतई नहीं होना चाहिए। पानी में मौजूद बैक्टिरिया बीमारी का प्रमुख कारण है। यह पानी पीने लायक नहीं है।

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कई गुणा ज्यादा टीडीएस

जनस्वास्थ्य विभाग की करनाल स्थित लैब की रिपोर्ट के अनुसार ट्यूबवेल के पानी में टीडीएस (टोटल डिसोल्व सॉलिड) की मात्रा 2669 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जबकि टीडीएस की अधिकतम मात्रा 500 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। फ्लोराइड की मात्रा और पानी की कठोरता भी बहुत अधिक है। रिपोर्ट में साफ- साफ लिखा है कि यह पानी किसी भी सूरत में पीने लायक नहीं है।

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चिकित्सकों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि कुएं का यह पानी पीना खासा खतरनाक हो सकता है। यह पानी मधुमेह के मरीज के लिए बेहतर नहीं बल्कि उच्च रक्तचाप बढ़ा सकता है। हम मौके पर चेतावनी बोर्ड लगवाएंगे और लोगों से उस ट्यूबवेल का पानी न पीने की अपील करेंगे।

-अशोक कुमार शर्मा, उपायुक्त


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