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अब कान के ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा पीजीआइ

ऐसे बच्चे जिन्हें जन्म से ही सुनने में आने वाली दिक्कतें हैं उन्हें जांच और ऑपरेशन के लिए अब पीजीआई रोहतक या दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं है। अब यह सुविधा नागरिक अस्पताल में सहज उपलब्ध होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 06:32 AM (IST)
अब कान के ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा पीजीआइ
अब कान के ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा पीजीआइ

ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी

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ऐसे बच्चे जिन्हें जन्म से ही सुनने में दिक्कतें हैं उन्हें जांच और ऑपरेशन के लिए अब पीजीआइ रोहतक या दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं है। अब यह सुविधा नागरिक अस्पताल में सहज उपलब्ध होगी। ऐसे बच्चों को अब न केवल जांच और ऑपरेशन सुविधा रेवाड़ी में मिलेगी बल्कि उनके चिकित्सा प्रमाण पत्र भी यहीं बनेंगे। अभी तक ऐसे बच्चों की जांच और चिकित्सा प्रमाण पत्र हर वर्ष पीजीआइ रोहतक में ही होता था।

ओएई और एएसएसआर की मिलेगी सुविधा:

श्रवण स्थिर राज्य प्रतिक्रिया (एएसएसआर) की जांच और ओटो एकॉस्टिक एमीसंस (ओटीई) की जांच प्रक्रिया के बाद व्यक्ति की सुनने की क्षमता का पता लगता है। एएसएसआर कान की जांच के लिए एक प्रकार की एमआरआइ प्रक्रिया है। इसके आधार पर बहरेपन का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इस जांच के लिए नागरिक अस्पताल के कमरा नंबर 212 में ऑडियोलॉजी लैब बनाई गई है। इसमें श्रवण क्षमता मापन और खामियों को जांचने की सुविधा मिलेगी। आरंभ में बच्चों के सुनने के बारे में पता नहीं चल पाता लेकिन बच्चे के बड़े होने पर इसकी जानकारी मिलती है। ऐसे बच्चों की जांच के लिए जिलावासियों को एम्स, पीजीआइ या अन्य बड़े अस्पतालों में जाना पड़ता था। अब यह जांच सुविधा नागरिक अस्पताल में ही शुरू कर दी गई है। अब न दिल्ली का चक्कर लगाना पड़ेगा और न ही रोहतक जाना होगा। आरबीएस में नि:शुल्क सुविधा:

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य (आरबीएस) कार्यक्रम के तहत बच्चों की जांच व ऑपरेशन नि:शुल्क होते हैं। जन्म से 16 साल तक के बच्चों की जांच व ऑपरेशन की सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों के अलावा आर्टिमिस, फोर्टिस, नारायणा अस्पताल जयपुर में भी हैं। इसके लिए नागरिक अस्पताल के कमरा नंबर 209 में पंजीकरण कराना होगा। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 01274 256770 से भी सहायता प्राप्त की जा सकती है। आमतौर पर श्रवण संबधी समस्या और उसकी जांच के लिए निजी अस्पतालों में 15 सौ से दो हजार रुपये तक लगते हैं। सरकारी अस्पतालों में पीजीआई रोहतक या यमुनानगर जाना पड़ता था जहां छह माह से एक साल तक की प्रतीक्षा के बाद यह जांच हो पाती थी। अब यह सुविधा नागरिक अस्पताल में उपलब्ध होने से धन, समय और परेशानियां कम होंगी।

- डॉ. कृष्ण कुमार, सिविल सर्जन


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