जय श्री राम बोलते ही ट्रेन से कर लिया था गिरफ्तार
अयोध्या में भव्य राममंदिर की जो परिकल्पना रामभक्तों ने की थी वह अब साकार हो रही है।
अमित सैनी, रेवाड़ी
अयोध्या में भव्य राममंदिर की जो परिकल्पना रामभक्तों ने की थी, वह अब साकार हो रही है। राममंदिर आंदोलन में अपना अहम योगदान देने वाले लोगों के मस्तिष्क पटल पर सालों पूर्व की स्मृतियां फिर से सामने आ रही हैं। शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी व भाजपा के वरिष्ठ नेता रत्नेश बंसल आज भी 30 साल पूर्व की बातों को याद करके रोमांचित हो उठते हैं।
रत्नेश बताते हैं कि अयोध्या में अक्टूबर 1990 में कारसेवा शुरू हो चुकी थी। देशभर से कारसेवक सेवा के लिए जा रहे थे। रेवाड़ी से भी वह तथा उनके साथी कारसेवा में जाने के लिए ट्रेन से अयोध्या रवाना हो गए थे। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्व. ओमप्रकाश ग्रोवर, रामकिशन गुप्ता, दुष्यंत कुमार, एडवोकेट मांगेलाल रस्तोगी, मनोहर लाल सैनी आदि की उनकी टीम 30 नवंबर 1990 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव पहुंची थी। उत्तर प्रदेश पुलिस को सूचना मिल चुकी थी कि इस ट्रेन में बड़ी तादाद में कारसेवक आ रहे हैं। उन्नाव के निकट ट्रेन को रुकवा लिया गया। पुलिस टीम ने ट्रेन की बारिकी से तलाशी ली लेकिन कोई पकड़ में नहीं आया। ट्रेन चलने लगी तो लगा दिया जयकारा तलाशी पूरी होने के बाद ट्रेन जब चलने लगी तो हमारे साथ ही बैठे एक जोशिले नौजवान ने जय श्री राम का जयकारा लगा दिया। जो लोग कारसेवा के लिए जा रहे थे, उन्होंने भी जोर-जोर से जयकारे लगाने शुरू कर दिए। आवाज सुनते ही पुलिस फिर ट्रेन में आ गई तथा सभी कारसेवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्नाव जेल चूंकि पूरी तरह से भर चुकी थी, इसलिए हम लोगों को एक कॉलेज में अस्थायी तौर पर बनाई गई जेल में भेज दिया गया। यहां न पीने का पानी था और न बिछाने की दरी। सभी रामभक्त अस्थायी जेल में धरने पर बैठ गए। इसके बाद वहां के डीएम व पुलिस अधिकारी मौके पर आए तथा पिस्टल दिखाकर हमें डराने की भी कोशिश की लेकिन हमारी जायज मांगों को उन्हें मानना पड़ा। पानी व दरी का इंतजाम किया गया। वहां मौजूद कर्मचारियों के साथ बाजार जाकर हम लोग ही खाने का सामान लेकर आए तथा अस्थायी जेल में ही खाना बनाकर हम लोग खाते थे। 6 दिसंबर को छोड़ा तो मांगा प्रमाणपत्र 6 दिसंबर 1990 को हम लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया। इसपर हमने कहा कि 7 दिनों तक हमें गिरफ्तार करके रखा गया है, इसका प्रमाण पत्र दिया जाए। हमें वहां के प्रशासन की तरफ से प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें कब से कब तक जेल में रखा गया इसका पूरा उल्लेख किया गया है। रत्नेश बंसल का कहना है कि हमने जो सपना 30 साल पहले देखा था वो आज फलीभूत हो रहा है, इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी।