बड़ी चुनौती है संक्रमित कचरे से बचाव
कोरोना संकट के समय ऐसे बहुत से बदलाव हम लोगों के लिए करने आवश्यक हैं जिससे कि संक्रमण के खतरे को कम से कम किया जा सके। लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील मिलती जा रही है और आने वाले दिनों में जनजीवन पहले की ही तरह सामान्य हो जाएगा। हालांकि यह ढील लॉकडाउन में मिल रही है कोरोना संक्रमण ने अभी कोई ढील नहीं दी है। कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और ऐसी स्थिति में हमें देखना होगा कि शहर से कचरे का उठान ठीक से हो और इसका निस्तारण भी ठीक तरीके से ही किया जा सके।
अमित सैनी, रेवाड़ी
कोरोना संकट के समय ऐसे बहुत से बदलाव हम लोगों के लिए करने आवश्यक हैं, जिससे संक्रमण के खतरे को कम से कम किया जा सके। लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील मिलती जा रही है और आने वाले दिनों में जनजीवन पहले की ही तरह सामान्य हो जाएगा। हालांकि यह ढील लॉकडाउन में मिल रही है, कोरोना संक्रमण ने अभी कोई ढील नहीं दी है। कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और ऐसी स्थिति में हमें देखना होगा कि शहर से कचरे का उठान ठीक से हो और इसका निस्तारण भी ठीक तरीके से ही किया जा सके। संक्रमित कचरे से बचाव निश्चित तौर पर बड़ी चुनौती है। निस्तारण की नहीं सुविधा लॉकडाउन के दौरान बेशक घरों से कचरा कम ही बाहर आ रहा था, लेकिन अब फिर से कचरे की मात्रा बढ़ने वाली है। एक अनुमान के मुताबिक रेवाड़ी शहर से हर रोज 65 टन तथा बावल व धारूहेड़ा नपा क्षेत्र से 35 टन के करीब कचरा निकलता है। नगर परिषद की ओर से कचरे का उठान हर रोज कराया जाता है, लेकिन इसके निस्तारण की उचित व्यवस्था आजतक भी नहीं बन पाई है। रामसिंहपुरा में नगर परिषद को सालों की मशक्कत के बाद करीब 14 एकड़ जमीन तो मिल गई है लेकिन इस पर लगने वाले ठोस कचरा संयत्र की फाइल आजतक भी आगे नहीं बढ़ पाई है। स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी इस फाइल पर कुंडली मारे बैठे हैं, जिसका खामियाजा जिलावासियों को उठाना पड़ रहा है। रामसिंहपुरा में खुले में कचरा डालने पर कई बार विवाद हो चुका है तथा इसकी री-साइकिलिग नहीं होने पर कचरे के ढेर बढ़ते ही जा रहे हैं। संयत्र लगे तो बने बात रामसिंहपुरा में करीब पांच एकड़ जमीन पर कलस्टरस्तरीय ठोस कचरा संयत्र लगाया जाना है। इस प्रोजेक्ट भी बनाकर भेजा जा चुका है। यह संयत्र लग जाता है तो न सिर्फ रेवाड़ी, बावल व धारूहेड़ा निकाय क्षेत्र का कचरा यहां री-साइकिल होगा बल्कि नांगल चौधरी, कनीना, अटेली मंडी व महेंद्रगढ़ निकाय क्षेत्र के कचरे का भी उचित तरीके से निस्तारण हो सकेगा। करीब तीन वर्ष पूर्व 72.65 करोड़ रुपये की लागत का प्रोजेक्ट बनाया गया था, अब इसकी लागत और भी बढ़ सकती है।
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डोर टू डोर कचरा उठान की है व्यवस्था नगर परिषद की ओर से करीब छह पूर्व शहर में डोर टू डोर कचरा उठान व्यवस्था शुरू कर दी गई है। फरीदाबाद की एक एजेंसी को टेंडर दिया गया है। 30 के करीब गाड़ियां शहर के हर वार्ड से कचरा लेकर आती हैं। कोरोना के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उनको देखते हुए चुनौती यही है कि संक्रमित कचरा शहर में न फैल पाए अन्यथा स्थिति काफी बिगड़ सकती है।
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इनसेट::
क्वारंटाइन सेंटरों का कचरा मेडिकल वेस्ट एजेंसी को स्वास्थ्य विभाग व नप की ही माने तो संक्रमित कचरे को लेकर जिलास्तर पर पहले ही व्यवस्था कर दी गई थी, जिसका बड़ा लाभ मिला है अन्यथा संक्रमण फैलने का खतरा अधिक हो सकता था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जहां पर भी आइसोलेशन वार्ड व क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, वहां पर कचरा उठान का कार्य गुरुग्राम की मेडिकल वेस्ट एजेंसी को दिया गया है। यह एजेंसी ही मेडिकल वेस्ट कचरे का उठान कर रही है, जिससे अस्पताल, क्वारंटाइन सेंटर व आइसोलेशन वार्ड का कचरा बाहर नहीं आ पाता।
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एरोबिक कम्पोस्ट प्लांट लगाने की तैयारी
लॉकडाउन से पूर्व नगर परिषद की ओर से गीले कचरे के उचित निस्तारण के लिए एरोबिक कम्पोस्ट प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। अब इस प्लांट के प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इस प्लांट के लगने से गीले कचरे से खाद बनाई जाएगी जिसका इस्तेमाल खेती बाड़ी में हो सकेगा। करीब 50 प्रतिशत कचरा गीला ही होता है। इसके अतिरिक्त सूखे कचरे को भी री-साइकिल करने के लिए तैयारी की जा रही है।
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यहां से हो सकता है संक्रमण का खतरा -सफाई कर्मचारियों के पास मास्क, दस्ताने व किट की कमी।
-कूड़ेदानों में पशु मुंह मारते हैं। संक्रमित कचरा बाहर फैला तो बढ़ेगी दिक्कत।
-कचरे का उठान नियमित कराने से ही बचाव संभव।
-कई डंपिग स्टेशनों पर सड़क पर ही एकत्रित होता है कचरा, इससे बचाव बेहद आवश्यक।
-कचरा उठान वाले वाहनों व उनके चालकों की नियमित जांच, सैनिटाइजिग व्यवस्था कराने की आवश्यकता।
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हमारा पूरा प्रयास है कि संक्रमण का खतरा न रहे। रामसिंहपुरा में हम रोजाना कचरा पहुंचा रहे हैं। जहां तक बात ठोस कचरा संयत्र की है तो उसकी फाइल मुख्यालय में है तथा वहीं से इसको मंजूरी मिलनी है। हमारे पास न सफाई कर्मचारियों की दिक्कत है और न ही कचरा उठान की। डोर टू डोर कचरा उठान व्यवस्था शुरू होने के बाद से किसी तरह की दिक्कत नहीं आ रही। संक्रमण से बचाव के लिए आइसोलेशन सेंटर व अस्पतालों का कचरा सीधे मेडिकल वेस्ट एजेंसी ही उठाकर ले जा रही है। वहीं नप की ओर से शीघ्र ही गीले कचरे से खाद बनाने के प्लांट के काम को सिरे चढ़ाया जाएगा जिससे आधे कचरे का निस्तारण यहीं पर हो जाएगा। लॉकडाउन के दौरान हम नालों की सफाई करा चुके हैं।
-डॉ. विजयपाल यादव, ईओ नप