Move to Jagran APP

खतरे में नौनिहालों की जिदगी, अधिकांश स्कूलों में नहीं फायर सेफ्टी

-विद्यार्थियों की सुरक्षा से किया जा रहा है खिलवाड़ बड़े-बड़े स्कूलों तक ने नहीं ले रखी है फायर विभाग से एनओसी -तंग गलियों में चल रहे स्कूलों तक दमकल विभाग की गाड़ियां पहुंचना भी मुश्किल जागरण संवाददाता रेवाड़ी सूरत हादसे के बाद फरीदाबाद में भी आगजनी की एक भीषण घटना हुई। इस घटना में स्कूल चलाने वाली एक महिला व उसके दो बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। ये कोई मामूली घटनाएं नहीं है। आगजनी की एक के बाद एक हो रही इन घटनाओं ने आग से सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले इंतजामों की पोल खोलकर रख दी है। जिला की अगर बात की जाए तो यहां सैकड़ों ऐसे स्कूल है जिनमें फायर सेफ्टी का कोई प्रबंध ही नहीं है। इन स्कूलों में नौनिहालों के जीवन को ही दांव पर रखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 06:58 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 06:58 PM (IST)
खतरे में नौनिहालों की जिदगी, अधिकांश स्कूलों में नहीं फायर सेफ्टी
खतरे में नौनिहालों की जिदगी, अधिकांश स्कूलों में नहीं फायर सेफ्टी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी:

loksabha election banner

सूरत हादसे के बाद फरीदाबाद में भी आगजनी की एक भीषण घटना हुई। इस घटना में स्कूल चलाने वाली एक महिला व उसके दो बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। ये कोई मामूली घटनाएं नहीं है। आगजनी की एक के बाद एक हो रही इन घटनाओं ने आग से सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले इंतजामों की पोल खोलकर रख दी है। जिला की अगर बात की जाए तो यहां सैकड़ों ऐसे स्कूल है जिनमें फायर सेफ्टी का कोई प्रबंध ही नहीं है। इन स्कूलों में नौनिहालों के जीवन को ही दांव पर रखा जा रहा है।

गिनती के स्कूलों के पास है फायर सेफ्टी सिस्टम

स्कूलों में फायर सेफ्टी सिस्टम का होना बेहद अनिवार्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि मामूली सी चिगारी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है। माता पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि जिला में गिनती के स्कूलों में ही फायर सेफ्टी सिस्टम मौजूद है। कुछ बहुमंजिला इमारत वाले बड़े स्कूलों ने ही फायर सेफ्टी सिस्टम अपनाया हुआ है वरना 80 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में सुरक्षा उपकरण नाम की चीज नहीं है। हैरानी इस बात की है कि इस भयंकर लापरवाही के बावजूद आजतक भी प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए हैं।

गली-मोहल्लों में नहीं पहुंच पाएगी फायर ब्रिगेड तक भी

शहर के गली मोहल्लों में भी दर्जनों निजी स्कूल चल रहे हैं। प्ले स्कूल के नाम पर घरों में ही इन स्कूलों को संचालित किया जा रहा है। संकरे गली मोहल्लों में खुले इन स्कूलों में अगर कोई घटना होती है तो फायर ब्रिगेड का पहुंचना तक मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में इन स्कूलों में फायर उपकरणों का होना बेहद आवश्यक है लेकिन ऐसा है नहीं।

दूसरों को नसीहत क्या, सरकारी स्कूल भी ऐसे ही

निजी स्कूलों को तो नसीहत क्या देंगे, फायर सेफ्टी के मामले में सरकारी स्कूल व सरकारी कॉलेज भी ऐसे ही हैं। जिला में 400 के करीब सरकारी स्कूल व दर्जनभर से अधिक सरकारी कॉलेज हैं लेकिन फायर सेफ्टी के इंतजाम इनमें भी नहीं है। बच्चे तो इन स्कूलों में भी पढ़ते हैं फिर इनको अलग दायरे में कैसे रखा जा सकता है। इनसेट:

कोचिग सेंटरों की जांच भी फेल

सूरत हादसे के बाद जिला प्रशासन की ओर से कोचिग सेंटरों की जांच के लिए भी अलग-अलग कमेटियों का गठन किया गया था। एसडीएम स्तर के अधिकारियों को इन कमेटियों का इंचार्ज बनाया गया था। शायद ही इनमें से किसी कमेटी ने काम करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की हो। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि शहर के एक भी कोचिग सेंटर में फायर उपकरण नहीं है जिनका समय पर इस्तेमाल किया जा सके। निजी स्कूल भी फायर सिस्टम को लेकर बेहद गंभीर है। ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होते ही एसोसिएशन की बैठक ली जाएगी तथा सभी स्कूल संचालकों को फायर सेफ्टी सिस्टम लगवाने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा।

- डॉ. सूर्यकमल, प्रधान, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन जिला में गिने चुने स्कूलों में ही फायर सेफ्टी सिस्टम मौजूद है। हमारे पास फायर सेफ्टी के लिए जो संस्थान आवेदन करते हैं उनको नियमों के अनुसार सेफ्टी सिस्टम की जानकारी दी जाती है। फायर सेफ्टी सिस्टम लगाए जाने के बाद फायर एनओसी इन संस्थानों को मिलती है। अगर आदेश आते हैं तो निश्चित तौर पर सभी स्कूलों की जांच की जाएगी।

- मामचंद शर्मा, उप अग्निशमन अधिकारी

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.