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Kisan Andolan : रेवाड़ी में किसानों के बीच पहुंच आंदोलनकारियों और मोदी विरोधियों पर गरजे गुर्जर

गांव सालावास में आयोजित कार्यक्रम में कृषि कानून विरोधियों पर तीखा कटाक्ष करते हुए गुर्जर ने कहा कि यह आंदोलन किसानों का नहीं बल्कि मोदी विरोधियों का है। इनका एजेंडा स्पष्ट हो चुका है। मोदी राज में किसान खुश हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 09:37 AM (IST)
केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की फाइल फोटो।

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। पर्यवेक्षक नियुक्त होने के बाद केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर शुक्रवार को पहली बार रेवाड़ी नगर परिषद के उपप्रधान पद के लिए पदाधिकारियों व पार्षदों के बीच आम सहमति बनाने यहां पहुंचे, मगर जिला कार्यालय पहुंचने से पूर्व गुर्जर ने किसानों के बीच पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधियों की जमकर घेराबंदी की। यहां के गांव सालावास में आयोजित कार्यक्रम में कृषि कानून विरोधियों पर तीखा कटाक्ष करते हुए गुर्जर ने कहा कि यह आंदोलन किसानों का नहीं बल्कि मोदी विरोधियों का है। इनका एजेंडा स्पष्ट हो चुका है। मोदी राज में किसान खुश हैं। राजस्थान व गुजरात में हुए पंचायती राज व निकाय चुनाव परिणाम इसका प्रमाण है। कृष्ण पाल गुर्जर ने दैनिक जागरण से भी विस्तार से बात की।

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इस मौके पर कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च है। जनता हमारे साथ है। अतीत में कई पार्टियों की सरकारों में किसानों पर गोलियां चलीं, मगर मोदी-मनोहर के राज में पुलिस ने संयम बरता। मोदी विरोधियों की जमीन खिसक चुकी है। खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली बात हो रही है। कार्यक्रम के संयोजक राजेंद्र पटेल, धर्मेंद खटाना व हिमांशु पालीवाल सहित कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने गुर्जर का अभिनंदन किया। संबोधन से पूर्व गुर्जर ने किसानों के साथ नगाड़ा बजाया।

कृष्णपाल गुर्जर के वार, पलटवार की चुनौती

  • सरकार कृषि कानूनों में जरूरी सुधार के लिए तैयार हो चुकी है। आंदोलनकारी कमी तो बताएं?
  • मंडियां बंद होने की बात क्यों? कानून में ऐसा कुछ नहीं है। केंद्र के इसी बजट में एक हजार नई मंडियां बनाने का प्रस्ताव है।
  • दूधिया दूध का कांट्रैक्ट करके भैंस मालिक नहीं बन जाता। कांट्रैक्ट फार्मिंग यही है। फिर विरोध क्यों?
  • पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व शरद पवार दोनों पूर्व में कृषि सुधारों की पैरवी करते रहे हैं। अब दोनों विरोध में क्यों?
  • आंदोलनकारी अब तक यह नहीं बता पा रहे हैं कि कृषि कानूनों में काला क्या है? काला बताएं समाधान पाएं।

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