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Farmer Protest: जानिये- कैसे कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गया संयुक्त किसान मोर्चा का ताजा एलान

Farmer Protest किसान नेताओं का तर्क है कि जैसे इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था वर्तमान पीएम मोदी भी वैसा ही रवैया अपना रहे हैं। यह तारीख इसलिए चुनी है क्योंकि पूरे देश को इसी दिन इंदिरा गांधी द्वारा लागू की गई इमरजेंसी की जानकारी मिली थी।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 11:46 AM (IST)
Farmer Protest: जानिये- कैसे कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गया संयुक्त किसान मोर्चा का ताजा एलान
Farmer Protest: जानिये- कैसे कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गया संयुक्त किसान मोर्चा का ताजा एलान

नई दिल्ली/रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। संयुक्त किसान मोर्चा की आगामी 26 जून को आपातकाल लागू किए जाने की तिथि पर पूरे देश के राजभवनों के सामने प्रदर्शन की घोषणा से कांग्रेसी नेता खुद को ठगा हुआ पा रहे हैं। किसान नेताओं का तर्क है कि जिस तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही तरीके से देश में आपातकाल लागू किया था, वर्तमान पीएम मोदी भी वैसा ही रवैया अपना रहे हैं। यह तारीख इसलिए चुनी गई है क्योंकि पूरे देश को इसी दिन इंदिरा गांधी द्वारा लागू की गई इमरजेंसी की जानकारी मिली थी। कांग्रेसी नेताओं का दर्द यह है कि हर स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन करने के बावजूद आंदोलनकारी अब उनकी ही नेता इंदिरा गांधी को तानाशाह बताते हुए अकारण 45 वर्ष बाद उनकी तानाशाही की याद दिलाने जा रहे हैं।

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किसान मोर्चा ने तीन दिन पहले ही खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत 14 जून को गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस और 24 जून को कबीर जयंती मनाने का एलान किया था। इसी दिन 26 जून को आपातकाल की जानकारी देश को मिलने व आंदोलन के सात माह पूरे होने के उपलक्ष्य में राजभवनों के बाहर धरना-प्रदर्शन की घोषणा की थी।

किसान मोर्चा के 26 जून के एलान से कांग्रेसी इसलिए परेशान हैं, क्योंकि पूरा साथ देने के बाद भी किसान मोर्चा के नेताओं ने कांग्रेसियों को ठेंगा दिखा दिया है। आंदोलनकारी किसानों का आपातकाल के फैसले को तानाशाही बताते हुए राजभवनों पर प्रदर्शन का कार्यक्रम कांग्रेसी नेताओं को कांटे की तरह चुभ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस अब कृषि कानून विरोधियों के प्रदर्शन से दूरी बना सकती है। प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी हाईकमान को यह सार्वजनिक सलाह भी दी है। कांग्रेस के अंदर अब आंदोलनकारियों से दूरी बनाने की मांग उठने लगी है।

किसान नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि इंदिरा गांधी ने अगर इमरजेंसी लगाकर गलत किया था तो इसका विरोध होना ही चाहिए। जो लोग समझते हैं कि इमरजेंसी गलत कदम था तो उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर साथ आना चाहिए। हम लोकतंत्र बचाने के लिए तमाम तानाशाही शक्तियों का विरोध कर रहे हैं।

डॉ. एमएल रंगा (पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता) के मुताबिक, 45 वर्ष के बाद किसान मोर्चा का इस आंदोलन को आपातकाल के साथ जोड़ना न्याय संगत नहीं है। किसान नेताओं से निवेदन है कि इस पर विचार करके कोई और तारीख निश्चित कर लें। हमारा समर्थन पहले की तरह उनके साथ है। 

मौजूदा तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करें

कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव का कहना है कि हम तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने वाले हर संगठन के साथ हैं, मगर आपातकाल के साथ इस आंदोलन को जोड़ना तर्कसंगत नहीं है। जिस मुद्दे पर हमारी पार्टी खेद व्यक्त कर चुकी है, उसी आपातकाल को लेकर तारीख तय करना आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास है। बेहतर होगा मोर्चा से जुड़े लोग आपातकाल पर बात करने के बजाय मौजूदा तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करें। 

कांग्रेस SKM के साथ कतई शामिल नहीं होगी

एडवोकेट राव उदयभान, जिला झज्जर समन्वयक, कांग्रेस) के मुताबिक किसान संगठनों के साथ भाजपा के कुछ लोग भी जुड़े हुए हैं। इन्हीं से प्रेरित होकर ऐसी बयानबाजी की गई हैं। अगर आपातकाल को लेकर कोई भी संगठन किसी भी तरह का कोई प्रदर्शन करते हैं तो कांग्रेस उनके साथ कतई शामिल नहीं होगी।

इमरजेंसी इस देश में लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का प्रतीक थी, है और रहेगी: योगेंद्र यादव

इस पूरे मुद्दे पर किसान नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि जिस किसी ने भी पहले इमरजेंसी का समर्थन किया और फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ है, उन्हें 26 जून को लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाने में एतराज क्यों होगा? इमरजेंसी इस देश में लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का प्रतीक थी, है और रहेगी। आज मोदी सरकार द्वारा लादी गई अघोषित इमरजेंसी का विरोध करने वाले इंदिरा गांधी की इमरजेंसी पर चुप नहीं रह सकते।


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