जानिए- क्यों हरियाणा में हार कर भी जीता हुआ महसूस कर रही है कांग्रेस, हुड्डा बने हीरो
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए 31 सीटें हासिल कीं जिसकी उसे आशा तक न थी।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। वर्ष 2019 हरियाणा कांग्रेस की उम्मीद जगाने वाला रहा। विधानसभा चुनाव से पूर्व जिस पार्टी को बेहद कमजोर समझा जा रहा था, उसी कांग्रेस ने 31 सीटों पर कब्जा जमाकर भाजपा के 75 पार के नारे को लगाम लगा दी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जिद के कारण विस चुनाव से कुछ दिन पहले हुए बदलाव ने कांग्रेस को मजबूती दी। अध्यक्ष पद से डॉ. अशोक तंवर का जाना, कुमारी सैलजा का आना और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विधायक दल का नेता बनना पार्टी के लिए वरदान बन गया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा की नई जोड़ी ने कांग्रेस के भविष्य की संभावनाओं को जीवित कर दिया है। आज भाजपा के विकल्प के रूप में दूसरे दलों की बजाय कांग्रेस को ही देखा जा रहा है। कांग्रेस ने विस चुनाव में बेशक बेहतर प्रदर्शन किया, परंतु पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी पार्टी बिना संगठन रेंगती रही। अगर कांग्रेस के पास बूथ स्तर तक इकाइयां होती तो परिणाम अलग हो सकते थे। डॉ. अशोक तंवर की इसके लिए आलोचना भी होती रही, परंतु डॉ. तंवर इसके लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बाधक बनने का आरोप लगाने से आगे नहीं बढ़े।
वर्ष भर चली आंख मिचौली
कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर वर्ष भर आंख मिचौली चली। चुनाव निकट आते-आते हुड्डा ने हाईकमान पर इतना दबाव बढ़ा दिया था कि दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा था। 18 अगस्त को रोहतक में हुई भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रैली टनिर्ंग प्वाइंट थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस रैली का आयोजन आर-पार की लड़ाई के लिए किया था, परंतु दिल्ली दरबार ने समय रहते डैमेज कंट्रोल कर लिया। 4 सितंबर को हुड्डा को विधायक दल के नेता की और कुमारी सैलजा को उनकी सहमति से अध्यक्ष की कमान सौंप दी।
लोकसभा में बड़ा झटका, खुद बीएस हुड्डा और दीपेंद्र को मिली पराजय, श्रुति भी हारीं
लोकसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ। सोनीपत से हुड्डा व रोहतक से उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा का हारना धुरंधरों को हैरान करने वाला व भाजपा को 75 पार का नारा लगाने की हिम्मत देने वाला रहा। अन्य दिग्गजों ने भी हार का कड़वा घूंट पीया। कप्तान अजय सिंह यादव, कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई, अशोक तंवर व किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी की लोकसभा में हार हुई। रणदीप सुरजेवाला पहले जींद उपचुनाव व बाद में कैथल विस सीट से हारे। विरोधियों को लगे झटके, जाट बेल्ट में मिली कामयाबी व गैर जाट बेल्ट में हुई समर्थकों की जीत ने हुड्डा का कद बढ़ा दिया।
कुमारी सैलजा की मानें तो पूरा ध्यान संगठन पर है। नए वर्ष में बूथ स्तर तक सभी इकाइयां गठित की जाएगी। किसी भी संगठन की रीढ़ कार्यकर्ता होते हैं। हम अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ेंगे।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि अगर समय रहते संगठन मजबूत कर दिया जाता तो कांग्रेस और बेहतर कर सकती थी। परंतु हम संघर्ष में यकीन रखते हैं। कांग्रेस पूरी मजबूती से हर जिले में संगठन को मजबूत करेगी।