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Kisan Andolan: क्या संयुक्त किसान मोर्चा को धीरे से लगने वाला है जोर का झटका?

हैरानी की बात है कि संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े और अहम नेताओं में शुमार योगेंद्र यादव को पिछले दिनों इसलिए 1 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि वे इंसानियत के नाते लखीमपुर खीरी में पीड़ित भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलने चले गए थे।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 10:45 AM (IST)
Kisan Andolan: क्या संयुक्त किसान मोर्चा को धीरे से लगने वाला है जोर का झटका?
Kisan Andolan: क्या संयुक्त किसान मोर्चा को धीरे से लगने वाला है जोर का झटका?

रेवाड़ी  [महेश कुमार वैद्य]। तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे संयुक्त किसान मोर्चा के किसान आंदोलन को 11 महीने पूरे हो गए। इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा खुश हो सकता है कि उसने इतने लंबे समय तक आंदोलन चलाया और अब भी जारी है, लेकिन अब इसमें आपसी फूट साफ देखी जा रही है। अपने ही दिग्गज नेताओं को मामूली बात कर निलंबित करके 'अपमानित' करना धीरे-धीरे हास्यास्पद कृत्य में तब्दील होता जा रहा है। आलम यह है, 'अपनी डपली और अपना राग' की कहावत को संयुक्त किसान मोर्चा जाने-अनजाने और चाहे-अनचाहे अपने यहां लागू कर चुका है। इसके चलते ही अब तक एसकेएम से जुड़े आधा दर्जन संगठन और कई बड़े नेता संयुक्त किसान मोर्चा और किसान आंदोलन दोनों का बाय-बाय कह चुके हैं। बावजूद इसके संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के हित को लेकर आंदोलन के बजाय अंदरूनी राजनीति में उलझा हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े और अहम नेताओं में शुमार योगेंद्र यादव को पिछले दिनों संयुक्त किसान मोर्चा ने इसलिए 1 महीने के लिए निलंबित कर दिया, क्योंकि वे इंसानियत के नाते लखीपुरखीरी में पीड़ित उस परिवार से मिलने चले गए, जिस परिवार के एक सदस्य और भाजपा कार्यकर्ता पीट-पीटकर मार डाला गया था। 

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योगेंद्र यादव अपने सिर नहीं लेने चाहते एकेएम में फूट की तोहमत

वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा से योगेंद्र यादव के निलंबन का मामला साधारण नहीं है। इस मामले में सवाल निलंबन की अवधि का नहीं बल्कि उन मुद्दों का है, जिन्हें उन्होंने उठाया है। छन-छनकर बाहर आ रही सूचनाओं का सच यह है कि योगेंद्र को संयुक्त किसान मोर्च का निर्णय चुभ रहा है, पर वह नहीं चाहते कि मोर्चे की एकता तोड़ने का ठीकरा उनके सिरे फूटे।

निलंबन अवधि में योगेंद्र बड़ी लकीर खींचने की तैयारी में

असहमति का आलम यह है कि उन्हीं योगेंद्र यादव को बर्खास्त करने की बातें हो रही हैं, जिन्होंने अन्य साथियों के साथ मिलकर देशभर के किसान संगठनों को एक झंडे के नीचे लाने का अहम प्रयास किया था। योगेंद्र ने मोर्चे की एकता के लिए दी गई निलंबन की सजा तो स्वीकार कर ली है, पर उन्हें इसका मलाल कम नहीं है। बताया जा रहा है कि निलंबन अवधि में योगेंद्र बड़ी लकीर खींचने की तैयारी में हैं। इसके लिए वह अलग से ताल ठोंकेंगे।

दौरे पर निकलेंगे योगेंद्र यादव

इस बाबत योगेंद्र यादव (नेता, स्वराज अभियान व जय किसान आंदोलन) का कहना है कि मेरे लिए एक महीने का समय एक अवसर जैसा है। मुझे विभिन्न राज्यों से बुलावा आ रहा है। पहले दक्षिण हरियाणा की मंडियों का दौरा करूंगा। किसानों को उनका हक दिलाऊंगा। फिर चार-पांच राज्यों में जय किसान आंदोलन से जुड़ा संगठन का काम करूंगा। सामूहिक निर्णय का सम्मान करता हूं।

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