भाजपा ने पांच उद्देश्य साधने के लिए OP dhankar को सौंपी हरियाणा की कमान
हरियाणा में पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को पार्टी की कमान सौंप कर भाजपा पांच बड़े उद्देश्य साधना चाहती है। पार्टी ने धनखड़ को हरियाणा भाजपा अध्यक्ष बनाकर बड़ा संदेश दिया है।
रेवाड़ी, [महेश कुमार वैद्य]। हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष पद पर ओमप्रकाश धनखड़ की नियुक्ति पार्टी की दूरगामी रणनीति है। दरअसल इस नियुक्ति के सहारे भाजपा हरियाणा मेें पांच उद्देश्य पूरा करने का प्रयास करेगी। अगर पार्टी सफल रही तो बिना बैसाखी तीसरी पारी का मार्गप्रशस्त हो जाएगा। दूरगामी लक्ष्य यही है। यह धनखड़ पर निर्भर है की वह इन उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाएंगे।
दूरगामी रणनीति का हिस्सा है पूर्व मंत्री की प्रदेशाध्यक्ष बनाने का फैसला
कांग्रेस के पास जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रूप में बड़ा जाट व किसान चेहरा है वहीं जजपा के पास दुष्यंत चौटाला हैं। इनेलो के अभय चौटाला भी किसानों की राजनीति के सहारे ही पार्टी को ताकतवर बनाने में जुटे हैं। धनखड़ इन सबके बीच जाट व किसान राजनीति को धार देंगे।
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एक लक्ष्य: पांच उद्देश्य
-पार्टी किसान राजनीति को मुट्ठी में रखेगी। धनखड़ की किसान नेता की अपनी पहचान है।
-भाजपा जाटों से दूरी नहीं बनाएगी। सामाजिक समरसता पर जोर रहेगा।
-पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को घर में घेरने की तैयारी। धनखड़ का रोहतक से जुड़ाव जगजाहिर है।
-संघ नीति लागू होगी। धनखड़ को आरएसएस की विचारधारा समझाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अभाविप से उनका संघ से नाता है।
-जाट मतदाताओं को साधने के लिए दुष्यंत चौटाला पर पूर्ण निर्भरता खत्म होगी।
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यह गणित भी समझिए
कांग्रेस ने राजस्थान में हाल ही में जाट को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। धनखड़ राजस्थान की राजनीति साधने में भी मददगार होंगे। प्रदेश में बड़ौदा
उपचुनाव भी सामने है। गैर जाट कार्ड खेलने पर हुड्डा बिना मेहनत ताकतवर बन सकते थे। अब उन्हें धनखड़ से दो-दो हाथ करने होंगे।
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सीएम मनोहरलाल के मददगार होंगे धनखड़
मनोहर व धनखड़ के बीच तब से कैमेस्ट्री बनी है, जब पीएम मोदी राष्ट्रीय महामंत्री के नाते हरियाणा के प्रभारी थे। प्रदेशाध्यक्ष पद की रायशुमारी के लिए पिछले दिनों यहां आए भाजपा के एक वरिष्ठ केंद्रीय नेता के सामने हरियाणा के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने तर्क दिया था कि आपको कैसा अध्यक्ष चाहिए?
मनोहर लाल के साथ भाई की तरह कदमताल करने वाला बराबर के कद का या शिष्य बनकर काम करने वाला? भाई जैसा चाहिए तो धनखड़ को आगे लाइए और शिष्य चाहिए तो फिर किसी को भी बनाइये। धनखड़ न मनोहर के पिछलग्गू रहेंगे न उन्हें कमजोर करेंगे। दोनों की संगठन की समझ बहुत गहरी है। धनखड़ के बनने से मनोहर मजबूत होंगे।