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मनेठी एम्स की राह में खड़ी हुई बड़ी बाधा

वही हुआ जिसकी आशंका थी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार गठित एफएसी (फोरेस्ट एडवाइजरी कमेटी) ने एम्स निर्माण के लिए दी गई मनेठी ग्राम पंचायत की जमीन को गैर कृषि कार्य (एम्स का निर्माण करने) के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी। इसके साथ ही मनेठी गांव की दी गई जमीन पर एम्स निर्माण की राह में बड़ी बाधा खड़ी हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 06:46 AM (IST)
मनेठी एम्स की राह में खड़ी हुई बड़ी बाधा
मनेठी एम्स की राह में खड़ी हुई बड़ी बाधा

फोटो नंबर: 34

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मेन स्टोरी:

-लामबंद होने लगे ग्रामीण, दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद एम्स संघर्ष समिति ने बुलाई 23 जून को बैठक

-एफएसी से नहीं मिल पाई निर्माण की अनुमति

-एक ही जगह का प्रस्ताव भेजने पर उठा एफएसी में सवाल महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी

वही हुआ जिसकी आशंका थी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार गठित एफएसी (फोरेस्ट एडवाइजरी कमेटी) ने एम्स निर्माण के लिए दी गई मनेठी ग्राम पंचायत की जमीन को गैर कृषि कार्य (एम्स का निर्माण करने) के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी। इसके साथ ही मनेठी गांव की दी गई जमीन पर एम्स निर्माण की राह में बड़ी बाधा खड़ी हो गई है।

दैनिक जागरण में बुधवार को 'एम्स के लिए नई जगह तलाश करे सरकार' शीर्षक से छपी खबर के बाद सरकार पर दबाव बनाने के लिए मनेठी व आसपास के ग्रामीण फिर से लामबंद होने लगे हैं। मनेठी एम्स संघर्ष समिति के अध्यक्ष व सरपंच श्योताज सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में 23 जून को मनेठी उप तहसील परिसर में पंचायत बुलाने का निर्णय लिया गया। ग्रामीणों का दावा है कि जमीन न अरावली की है न वन विभाग की। यह जमीन पंचायत की है। राज्य सरकार को यहीं पर निर्माण का रास्ता निकालना होगा।

वही, राज्य सरकार द्वारा एक ही जगह का प्रस्ताव भेजने पर एफएसी (फोरेस्ट एडवाइजरी कमेटी) में सवाल उठाया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि एम्स ऐसा प्रस्ताव नहीं है, जिसे सिगल फोरेस्ट पैच (वानिकी क्षेत्र) की जगह निर्मित किया जाए। यह परियोजना कहीं पर भी पूरी की जा सकती है। विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि अब जगह बदलना ही सबसे श्रेष्ठ उपाय है, परंतु ग्रामीण निराश नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मनेठी का जंगल दुर्लभ वन्य जीवों की शरणस्थली है। एफएसी ने भी यह कहा है कि सिर्फ मनेठी की उसी जमीन पर एम्स क्यों बनाया जाए, जहां पर जंगल है। एफएसी ने यह टिप्पणी भी की है कि राज्य सरकार ने दूसरी जगह विकल्प देखने का प्रयास तक नहीं किया।

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दैनिक जागरण में खबर पढ़ने के बाद मामला मेरी जानकारी में आया है। हम यह पूरा प्रयास करेंगे कि मनेठी में उसी जगह पर एम्स का निर्माण हो जहां पर ग्रामीण चाहते हैं, लेकिन कानून सब पर लागू होते हैं। कानून के दायरे में रहते हुए अगर कोई रास्ता निकला तो पूरी तरह निकालने का प्रयास करेंगे।

-राव नरबीर सिंह, वनमंत्री, हरियाणा


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