किसे मिलेगा दुष्यंत की नौका में सवारी का मौका
उनमें डर है। झिझक है। दुविधा है। कभी चेहरे से परेशानी झलकती है तो कभी उत्साह। सांसद दुष्यंत चौटाला के मंगलवार के रेवाड़ी दौरे को लेकर इनेलो कार्यकर्ताओं की स्थिति कुछ ऐसी ही है। कोई कार्यकर्ता इतना उत्साहित है कि उसे दुष्यंत में भविष्य के मुखिया नजर आ रहे हैं तो किसी को इस बात की झिझक है की कहीं दुष्यंत की नौका में सवार होने से पार्टी का नजला उन पर न गिर जाए।
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
उनमें डर है। झिझक है। दुविधा है। कभी चेहरे से परेशानी झलकती है तो कभी उत्साह। सांसद दुष्यंत चौटाला के मंगलवार के रेवाड़ी दौरे को लेकर इनेलो कार्यकर्ताओं की स्थिति कुछ ऐसी ही है। कोई कार्यकर्ता इतना उत्साहित है कि उसे दुष्यंत में भविष्य के मुखिया नजर आ रहे हैं तो किसी को इस बात की झिझक है की कहीं दुष्यंत की नौका में सवार होने से पार्टी का नजला उन पर न गिर जाए। फिलहाल सवाल कई हैं, लेकिन जवाब देने में प्रमुख पदाधिकारी तक दुविधा में फंसे हैं। अहीरवाल की राजनीति में आज का अहम सवाल यह है कि आखिर दुष्यंत की नौका में किस-किस नेता को सवार होने का मौका मिलेगा।
अधिकांश पदाधिकारी अभय ¨सह अथवा दुष्यंत में से किसी एक के साथ चलने का फैसला इसलिए नहीं ले सकते क्योंकि उनकी उम्मीद अभी 'कुनबे' की संभावित एकता पर टिकी है। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ नेता ऐसे हैं जो सीधे दुष्यंत से तार जोड़ चुके हैं। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को एक ऐसे नेता दुष्यंत चौटाला के साथ खड़े दिखाई दे सकते हैं, जिनका इनेलो से मोहभंग हो चुका था। एक ऐसे नेता भी दुष्यंत खेमे में खड़े नजर आ सकते हैं जिन्हें अभय ¨सह चौटाला का खास माना जाता है, लेकिन पार्टी में एक ऐसा वर्ग भी है जो यह मान रहा है कि दुष्यंत के लिए अलग राह पर चलना आसान नहीं होगा।
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सभी दलों की टिकी निगाहें
दुष्यंत के 23 अक्टूबर के रेवाड़ी दौरे पर सभी दलों की निगाहें टिकी हुई है। दुष्यंत एक ओर एम्स को लेकर मनेठी में चल रहे धरने में शामिल होंगे वहीं दूसरी ओर बावल में नाबालिग की बरामदगी को लेकर चल रहे धरने में शामिल होंगे। परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रधान डा. राजपाल यादव की टीम दुष्यंत के दौरे से दूरी बना सकती है, लेकिन दुष्यंत की छात्र संघ से बनी निकटता उनकी दमदार छवि पेश कर सकती है।
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युवा दुष्यंत के साथ
सूत्रों के अनुसार फिलहाल पुराने चेहरे पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के आदेशों की ही पालना करेंगे, लेकिन युवा चेहरे खुलकर दुष्यंत के साथ खड़े दिखाई दे सकते हैं। मंगलवार को तस्वीर काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। अभी ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो 25 अक्टूबर को फिर से कुनबा एक होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन यह कहने वालों
का पलड़ा भारी है कि अब जल्दी ही हिसार के सांसद अपनी अलग टीम के साथ कप्तानी करते नजर आएंगे। कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि अमित शाह की टीम भी युवा सांसद से दोस्ती को तरजीह दे रही है।