कार्रवाई की बजाय लीपापोती में जुटी पुलिस
पीड़ितों को ही परेशान कर रही है पुलिस
केस नंबर-एक।
20 मई की रात गोकल बाजार निवासी सतीश कुमार के घर पर कुछ लोग शराब पीकर पहुंचते हैं और खुलेआम धमकी देते हैं। गोकल गेट पुलिस चौकी 100 मीटर दूर भी नहीं है। आधी रात को सतीश कुमार चौकी पहुंचकर शिकायत देते हैं और अपने घर के पास गुंडागर्दी कर रहे लोगों की चिकित्सकीय जांच करवाने का अनुरोध करते हैं, जिससे यह साबित हो जाए कि उन्होंने शराब पी हुई है लेकिन पुलिस के कानों पर जूं नहीं रेंगती। सुरक्षा देने सतीश के घर पहुंचने की बजाय जान से मारने की धमकी देने पहुंचे लोगों की शिकायत चौकी में धूल फांकती रही। परेशान सतीश कुमार व उनकी बेटी अगले दिन 21 मई को जब एसपी राजेश दुग्गल से मिली तो चौकी प्रभारी कुछ हरकत में आए, लेकिन ये क्या? दोनों पक्षों को चौकी में बुलाकर पुलिस ने काफी देर तक समझौते का दबाव बनाया। आखिर जब शिकायतकर्ता नहीं माने तो किसी तरह की ठोस कानूनी कार्रवाई करने की बजाय मात्र 107-51 की कार्रवाई करके पुलिस ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। खुद को ठगा हुआ पाकर सतीश कुमार ने 22 मई को फिर एसपी से गुहार लगाई, लेकिन पुलिस अधीक्षक से मिलने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला। रात को किसी के घर जाकर शराब पीकर दबंगई दिखाना पुलिस के लिए सामान्य बात हो गई, लेकिन क्या उच्चाधिकारियों को यह सवाल चौकी प्रभारी से नहीं पूछना चाहिए कि रात को ही मेडिकल क्यों नहीं करवाया गया?
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केस नंबर-दो
नेहरू पार्क। लगभग दो सप्ताह पूर्व कई युवकों के बीच पार्क में जमकर झगड़ा हुआ। लाठी-भाटा जंग के बीच एक युवक को ईंट फेंककर मारी गई। पार्क के बाहर खड़ी कार क्षतिग्रस्त कर दी गई। जब तक पुलिस पहुंची तब तक सब चंपत हो चुके थे। दहशत का खेल खेलने वालों को पकड़ने के लोगों ने खूब सुझाव दिए,
लेकिन पुलिस ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि बिना शिकायतकर्ता हम क्या कर सकते हैं? किसी ने सुझाव दिया कि पार्क के बाहर जिस गाड़ी के शीशे टूटे पड़े हैं, उसके मालिक से सब कुछ पता लग सकता है। आप तुरंत प्राइवेट अस्पतालों में दबिश देकर उस युवक तक भी पहुंच सकते हो, जिसे ईंट मारकर घायल किया गया था, लेकिन वर्दी ने इंवेस्टीगेशन से दूर रहकर मौन रहना उचित समझा। लोगों की दशहत कम नहीं पाई।
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गोकल गेट चौकी से जुड़े मामले की कल पूरी जानकारी लेंगे। अभी यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। नेहरू पार्क वाला मामला मेरे संज्ञान में है। कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आ रहा है। जिसे चोट लगी थी, वह भी सामने नहीं आया। फिर भी हम प्रयास कर रहे हैं कि पार्क में झगड़ा करने वाले लोगों तक पहुंच सकें।
-सतपाल यादव, उप पुलिस अधीक्षक