स्वास्थ्य बीमा की तरफ बढ़ा लोगों का रुझान
जीवन बीमा की तरह स्वास्थ्य बीमा के प्रति भी लोगों का रूझान बढ़ने लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां बीमारियां तेजी से पैर फैला रही है वहीं अस्पताल का उपचार भी जीवनभर की पूंजी को पल में छीन लेता है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जीवन बीमा की तरह स्वास्थ्य बीमा के प्रति भी लोगों का रूझान बढ़ने लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां बीमारियां तेजी से पैर फैला रही हैं वहीं अस्पताल का उपचार भी जीवनभर की पूंजी को पल में छीन लेता है। ऐसे में सालभर में कुछ नियमित किश्त भरकर अगर लाखों रुपये का हेल्थ कवर मिल जाता है तो भला बुराई क्या है। कल तक बीमा कंपनियों के एजेंट हेल्थ बीमा करने के लिए लोगों के घर जाते थे लेकिन अब लोग बीमा कंपनियों को टटोलने में लगे हैं। बीमा कंपनियों में भी आपसी प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है। ज्यादा से ज्यादा सुविधा देने की होड़ में फायदा आम आदमी का ही है।
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दस से पंद्रह हजार रुपये की किश्त में लाखों का बीमा कवर
आयुष्मान भारत योजना को हेल्थ इंश्योरेंस के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार की यह योजना कहीं न कहीं जरूरतमंद लोगों का बीमा कवर ही है जिसमें वह बहुत सी बीमारियों का उपचार पैनल के निजी अस्पतालों में करा सकते हैं। जिला में दो लाख लोग इस योजना के तहत पंजीकृत हैं जिनमें से करीब 65 हजार लोगों के गोल्डन कार्ड भी बने हैं। हालांकि निजी बीमा कंपनियों में हेल्थ बीमा के लिए आम आदमी को हर साल थोड़ी किश्त देनी पड़ती है। निजी कंपनियां भी अब तो दस से पंद्रह हजार रुपये में आठ से दस लाख रुपये तक का हेल्थ कवर दे रही हैं जिससे बीमारी का उपचार कराते समय सोचने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
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पिछले तीन-चार साल में स्वास्थ्य बीमा के प्रति लोग संवेदनशील होने लगे हैं। पहले स्वास्थ्य बीमा कराने के लिए एजेंटों के माध्यम से लोगों के पास जाना पड़ता था लेकिन अब लोग खुद इंश्योरेंस कराने आने लगे हैं। लोगों की सुविधा के लिए बीमा कंपनियां विभिन्न स्कीमें ला रही हैं। अब तो कुछ इंश्योरेंस में ओपीडी, लैब जांच, आयुर्वेदिक और फिजियोथेरेपी तक के खर्च को कवर किया जा रहा है।
- संजय यादव, शाखा प्रबंधक, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस रेवाड़ी
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जिस तेजी से बीमारियां पैर फैला रही हैं ऐसे में स्वास्थ्य बीमा किसी वरदान से कम नहीं है। सरकार ने भी आम आदमी के लिए आयुष्मान भारत जैसी योजना लाकर स्वास्थ्य बीमा कवर देने का ही काम किया है।
- डॉ. टीसी तंवर, उपसिविल सर्जन एवं आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी
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स्वास्थ्य बीमा हर जरूरतमंद के लिए बेहतर साबित हो रहा है। कई बार छोटी मोटी बीमारियों का उपचार कराने के लिए भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। मेरे बेटे की छह माह पहले अचानक तबीयत खराब हो गई तो तुरंत शहर के निजी अस्पताल में लेकर आया था। उस दौरान मेरी जेब में रुपये नहीं थे। अस्पताल प्रबंधन की ओर से तीस हजार से अधिक रुपये का बिल आया था। स्वास्थ्य बीमा होने के कारण किसी से रुपये मांगने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
- पवन कुमार, ग्रामीण, मस्तापुर