बुझे मन से बगावत पर उतरे राव समर्थक
बुझे मन से बगावत कर नरे हैं राव समर्थक विधायक
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी : बुझे मन से बगावत। सोमवार को गुरुग्राम में पत्रकारों के बीच पहुंचे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के कट्टर समर्थकों में से कइयों पर यह टिप्पणी सटीक बैठती है। मुख्यमंत्री पर उपेक्षा का लिखित आरोप लेकर हाजिर हुए चार विधायकों में से एक मंत्री व तीन विधायक मुखर होकर अपनी जुबान पर उन शब्दों को नहीं ला सके, जो लिखित बयान में थे। हस्ताक्षर करने वाले दो विधायकों को भी सीएम मनोहर लाल की आलोचना के लिए शब्दों का टोटा पड़ गया। कोसली के विधायक बिक्रम सिंह यादव की मनोस्थिति से पूरी परिस्थिति को समझा जा सकता है। बिक्रम ने सोमवार को सुबह जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री की कार्य प्रणाली की जमकर सराहना की थी, लेकिन शाम को जारी उस बयान पर उनके हस्ताक्षर हैं, जिसमें चारों विधायकों ने उपेक्षा का आरोप लगाया है।
राजनीति का क ख ग भी समझने वाले यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि इस आने वाली फिल्म का ट्रेलर किसने और किस उद्देश्य से तैयार किया है। सूत्रों की माने तो निदेशक ने इस ट्रेलर में आने वाली फिल्म के कुछ अंश तो दिखाए हैं। लेकिन पूरी फिल्म को जाहिर नहीं किया है। यह निदेशक पर निर्भर करेगा कि वह भविष्य में अपने पात्रों से किस तरह की भूमिका अदा करवाएंगे। सूत्रों की मानें तो इस पूरी फिल्म के निर्माता-निर्देशक राव इंद्रजीत सिंह हैं, लेकिन उनके कार्यालय ने इस बात से कतई इंकार किया है। राव के एक निकटस्थ का कहना है कि केंद्रीय मंत्री को पत्रकार वार्ता की जानकारी ही तब लगी है, जब विधायक व मेयर होटल पहुंच गए थे।
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बेटी की टिकट और बड़ा ओहदा राव इंद्रजीत सिंह की तमन्ना किसी से छुपी हुई नहीं है। वह बेटी आरती राव के लिए टिकट व खुद के लिए बड़ा ओहदा चाहते हैं। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से राव कई बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना दावा जता चुके हैं। भाजपा राव को लेकर इसलिए निश्चिंत है, क्योंकि कोई दूसरी पार्टी राव की यह इच्छा पूरी करती नहीं दिख रही है। भाजपाइयों का मानना है कि राव को जितना दिया गया है, उतना आज तक उन्हें काग्रेस ने नहीं दिया था। सूत्रों के अनुसार राव दबाव की राजनीति करके भाजपा नेतृत्व से पिछली बार से अधिक हासिल करना चाहते हैं। भाजपा उनकी बात नहीं मानती है तो हरियाणा इंसाफ काग्रेस को लेकर चल रही चर्चाएं भी सच में बदल सकती हैं। कुछ दिन पूर्व जननायक जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी व हरियाणा इंसाफ पार्टी के गठजोड़ की जो बातें चली थी, उनमें फिर से तेजी आएगी लेकिन मुखिया की कुर्सी कि संभावना कहीं नहीं है। इन परिस्थितियों में राव के सामने केवल एक ही लक्ष्य है-खुद की सीट सुरक्षित करना, बेटी का भविष्य सुरक्षित करना व कुछ समर्थकों के लिए अधिक से अधिक टिकट हासिल करना। राव समर्थकों का मनोहर पर उपेक्षा के आरोप लगाना व राव नरबीर सिंह पर निशाना साधना इसी रणनीति का हिस्सा है। चुनाव निकट आने पर राव का यह हिट फार्मूला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी तमन्ना किस तरह पूरी होती है।