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प्रतिबंध हटा लेकिन ग्रीन पटाखे है ही नहीं, बिकेंगे कैसे

दिवाली के मद्देनजर पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ जहां लोगों में बैन हटने की खुशी है तो वहीं पर्यावरण अधिकारी भी इस मामले में संतोष जता रहे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जिन कम प्रदूषण और कम आवा•ा वाले पटाखे यानी ग्रीन पटाखों का •ाक्रि है वो आ़खरि क्या है? ये किसी को पता ही नहीं। न तो पटाखे बेचने वालों को और न ही पटाखे खरीदने वालों को इसकी जानकारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 06:23 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 06:23 PM (IST)
प्रतिबंध हटा लेकिन ग्रीन पटाखे है ही नहीं, बिकेंगे कैसे
प्रतिबंध हटा लेकिन ग्रीन पटाखे है ही नहीं, बिकेंगे कैसे

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : दिवाली के मद्देनजर पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ जहां लोगों में बैन हटने की खुशी है तो वहीं पर्यावरण अधिकारी भी इस मामले में संतोष जता रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जिन कम प्रदूषण और कम आवाज वाले पटाखे यानी ग्रीन पटाखों का जिक्र है वो आखिर क्या हैं? ये किसी को पता ही नहीं। न तो पटाखे बेचने वालों को और न ही पटाखे खरीदने वालों को इसकी जानकारी है। लाइसेंस वाले भी नहीं बेच पा रहे पटाखे

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दिल्ली-एनसीआर में केवल लाइसेंस होल्डर ही पटाखे बेच सकेंगे तथा ये लोग भी केवल ग्रीन पटाखों को बेच सकेंगे। उच्चतम न्यायालय ने तो अपना निर्णय दे दिया है, लेकिन बड़ा सवाल आज भी आम आदमी के सामने ग्रीन पटाखों की परिभाषा को लेकर आ रहा है। अभी तक किसी को ग्रीन पटाखे के बारे में जानकारी भी नहीं है। ग्रीन पटाखे का नाम सुनकर ऐसा लग रहा है, मानों हरे रंग के कागज में लिपटा पटाखा हो। हालांकि पटाखा विक्रेताओं को भी अभी महज इतनी जानकारी है, ये ग्रीन पटाखे कम आवाज और कम प्रदूषण करने वाले हैं। पटाखा लाइसेंस होल्डर राकेश कुमार बताते हैं कि उच्चतम न्यायालय ने जिन ग्रीन पटाखों की संज्ञा दी है, वे अभी तक फैक्ट्रियों में ही नहीं बन पाएं है तो दुकानों पर सप्लाई कैसे होंगे। तमिलनाडू की फैक्ट्रियों में पटाखे तैयार होकर दिल्ली व रेवाड़ी आते हैं लेकिन उच्चतम न्यायालय का निर्णय काफी देरी से आया, जिसके चलते एक भी ग्रीन पटाखा बनकर नहीं आया है। लाइसेंस होने के बावजूद मैंने तो अपने गोदाम पर ताला लगाया हुआ है।

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लाइसेंस होल्डर राकेश कुमार के अनुसार ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवात में सामान्य पटाखों की तरह ही होंगे, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होगा। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फीसद तक कम हानिकारक गैस पैदा होगी। सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर गैस निकलती है, लेकिन ग्रीन पटाखों में इनकी मात्रा कम होगी। ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले मसाले बहुत हद तक सामान्य पटाखों से अलग होंगे।

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पटाखे बेचने और चलाने पर कड़ी कार्रवाई

दिवाली पर ग्रीन पटाखों के अलावा पुराने पटाखों को चलाने व बेचने पर कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि केवल पीईएसओ (पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाइजेशन) द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बजाए जा सकेंगे। प्रशासन की ओर से इसके लिए निगरानी तंत्र भी गठित किया गया है। ग्रीन पटाखे केवल दिवाली की रात 8 से 10 बजे के बीच ही चलाए जा सकेंगे। संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी व एसडीएम अपने-अपने क्षेत्र में इस पर कड़ी निगरानी रखेंगे।

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जिला प्रशासन उच्चतम न्यायालय के आदेशों की पालना कर रहा है। पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है। न्यायालय ने केवल ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी है, इसलिए केवल ग्रीन पटाखे ही लोग चलाएं। पुराने पटाखे चलाए व बेचे गए तो कार्रवाई होगी।

-अशोक कुमार शर्मा, उपायुक्त।


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