नमी की अधिकता बनी सरसों की सरकारी खरीद में रोड़ा
जागरण संवाददाता,रेवाड़ी: समर्थन मूल्य चार हजार रुपये प्रति क्विंटल पर सरसों की सरकारी खर
जागरण संवाददाता,रेवाड़ी: समर्थन मूल्य चार हजार रुपये प्रति क्विंटल पर सरसों की सरकारी खरीद प्रारंभ होने के बाद भी किसानों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। बृहस्पतिवार को सरकारी खरीद केंद्र पर महज 87 क्विंटल ही सरसों बिक्री के लिए पहुंची, जबकि अनाज मंडी में खुले में लगभग 2800 क्विंटल सरसों की आवक हुई। मौसम के बिगड़ने की वजह से सरसों में नमी की मात्रा अभी भी काफी अधिक है जिसके कारण किसान सरकारी केंद्र की बजाय अनाज मंडी में ही सरसों को बेचना पसंद कर रहे हैं। मंडी में भी भाव सामान्य
सरकार द्वारा समर्थन मूल्य चार हजार रुपये प्रति क्विंटल घोषित किए जाने के बाद अनाज मंडी के व्यापारियों द्वारा भी सरसों के भाव बढ़ा दिए गए हैं। इस समय मंडी में सरसों के भाव 3500 रुपये से 3800 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे हैं, जिसके चलते ज्यादातर किसान सरकारी केंद्र पर आने वाली परेशानियों से बचने के लिए सरकारी केंद्र की बजाय मंडी में ही सरसों की बिक्री कर रहे हैं। हालांकि मंडी में आ रही सरसों में नमी की मात्रा तय सरकारी मानदंड से अधिक है। सरकारी बिक्री के लिए सरसों में नमी की मात्रा 8 फीसद से अधिक नहीं होनी चाहिए जबकि मंडी में जो सरसों पहुंच रही है उसमें नमी की मात्रा 20 फीसद एवं इससे अधिक है। किसानों को कहना है कि मौसम बिगड़ने की वजह से नमी की मात्रा अधिक बनी हुई है जिसका कोई समाधान नहीं है। वहीं जिला फिलहाल दो दिनों से मौसम फिर बिगड़ रहा है जिससे किसान कटाई के बाद अपनी सरसों को भी नहीं बेच पा रहे हैं। ऐसे में उनके पास सिवाय व्यापारियों के सरसों को बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकारी शर्तों की वजह से शहर के बावल रेाड स्थित नई सब्जी मंडी में हो रही सरसों की सरकारी खरीद के लिए भी किसान बमुश्किल दस-बीस से अधिक नहीं पहुंच रहे हैं। बिक्री की मात्रा तय करने से भी परेशानी
सरकार द्वारा एक एकड़ क्षेत्र की केवल 6.6 क्विंटल सरसों के साथ अधिकतम खरीद सीमा 25 क्विंटल तय की हुई है। इस बार जिला में सरसों का रकबा भी काफी अधिक है। कुछ क्षेत्रों में हुए नुकसान को छोड़ दें तो सरसों का उत्पादन भी काफी अच्छा हुआ है। वहीं सामान्यत: एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 9 से 10 क्विंटल सरसों की पैदावार होती है जबकि सरकारी केंद्र पर महज साढ़े छह क्विंटल ही खरीद की जा रही है। ऐसे में किसान परेशानी से बचने के लिए व्यापारियों के पास ही सरसों बेचने को वरीयता दे रहे हैँ। वहीं सीमावर्ती अलवर जिला के गांवों से भी सरसों की अच्छी आवक हो रही है।