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एक साल में 305 किलोमीटर ट्रैक का हुआ विद्युतीकरण

उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा वर्ष 2021-22 में पर्यावरण अनुकूल रेल संचालन के लिए 305 किलोमीटर ब्राडगेज लाइनों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:29 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 06:29 PM (IST)
एक साल में 305 किलोमीटर ट्रैक का हुआ विद्युतीकरण

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा वर्ष 2021-22 में पर्यावरण अनुकूल रेल संचालन के लिए 305 किलोमीटर ब्राडगेज लाइनों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। रेलवे द्वारा 2023 तक सभी रेल लाइनों के विद्युतीकरण करने का लक्ष्य है। अब तक कुल 2,489 किलोमीटर विद्युतीकरण कार्य किया जा चुका है।

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उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशिकिरण ने बताया कि महाप्रबंधक विजय शर्मा के निर्देश पर उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किए जा रहे हैं। विद्युतीकरण के कार्य को विगत वर्षों के बजट में प्राथमिकता दी गई है तथा संपूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में 15 जनवरी तक 305 किलोमीटर रेलखंड के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया गया। उत्तर पश्चिम रेलवे के महत्वपूर्ण रेलखंड रेवाडी-अजमेर वाया फुलेरा तथा रेवाड़ी-अजमेर वाया जयपुर से पालनपुर होते हुए अहमदाबाद तक इलेक्ट्रिक ट्रेन पर यात्री रेलसेवाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही अजमेर से उदयपुर मार्ग का भी विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो गया है तथा राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल उदयपुर का जुड़ाव अजमेर, जयपुर तथा दिल्ली से इलेक्ट्रिक ट्रेन से संपर्क स्थापित हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे का फुलेरा-जोधपुर व हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य आरंभ कर वर्ष 2023 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। सस्ती दर पर बिजली खरीद के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे के राजस्थान में राजगढ़, रींगस, किशनगढ़, बर, खिमेल एवं नावां सहित छह ट्रेन सब स्टेशन और गुजरात में श्रीअमीरगढ़ ट्रेन सब स्टेशन पर पावर सप्लाई ओपर एक्सेस के माध्यम से खरीदी जा रही है। उन्होंने बताया कि विद्युतीकरण के बाद डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी, विद्युत इंजनों की भार क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार वहन हो सकेगा, अधिक ट्रेनों का संचालन संभव होगा, ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों की परंपरागत गाड़ियों से औसत गति अधिक होती है। डीजल की अपेक्षा बिजली की लागत कम होने से राजस्व की बचत होगी।


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