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भरोसेमंद विधायकों की टिकट पर नहीं चलेगी कैंची

विधानसभा चुनाव निकट आने के साथ ही टिकटार्थियों की भीड़ भी बढ़ रही है। लोस चुनाव में शत प्रतिशत सीटें जीतने के कारण स्वभाविक रूप से भाजपा में दावेदार सबसे अधिक है। एक अनार सौ बीमार की स्थिति में कहीं किसी विधायक की टिकट कटने की चर्चा है तो कहीं किसी विधायक को फिर मैदान में उतारने की बात हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 04:56 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 04:56 PM (IST)
भरोसेमंद विधायकों की टिकट पर नहीं चलेगी कैंची

फोटो नंबर: 12

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-शाह के संकेत के बाद वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं को अधिक प्रतिनिधित्व की उम्मीद

-दूसरे दलों के टिकट की गारंटी चाहने वाले कई नेताओं को मिल रही है निराशा

-बिना शर्त एंट्री के लिए भाजपा ने खोला दरवाजा, टिकट की गारंटी चाहने वालों को दूर से नमस्कार महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी

विधानसभा चुनाव निकट आने के साथ ही टिकटार्थियों की भीड़ भी बढ़ रही है। लोस चुनाव में शत प्रतिशत सीटें जीतने के कारण स्वभाविक रूप से भाजपा में दावेदार सबसे अधिक है। एक अनार सौ बीमार की स्थिति में कहीं किसी विधायक की टिकट कटने की चर्चा है तो कहीं किसी विधायक को फिर मैदान में उतारने की बात हो रही है। सूत्रों के अनुसार मौजूदा सभी विधायकों को इस बार भाजपा टिकट नहीं देगी, लेकिन भरोसेमंद विधायकों की टिकट पर कैंची भी नहीं चलेगी।

भरोसेमंद की पार्टी की अपनी व्याख्या है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर मुख्यमंत्री मनोहरलाल तक, पार्टी के राष्ट्रीय प्रभारी अनिल जैन से लेकर प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला तक कई बार यह संकेत दे चुके हैं कि पार्टी जिताऊ, टिकाऊ व स्वच्छ छवि के चेहरों को प्राथमिकता देगी। मतलब साफ है। सबसे पहले जीतने की क्षमता की परख होगी। इसके बाद यह देखा जाएगा कि संबंधित व्यक्ति या विधायक पार्टी से स्थायी रूप से जुड़ा रह सकता है या नहीं। इन दो कसौटी पर परखे जाने के बाद तीसरी कसौटी साफ छवि की रहेगी। योग दिवस पर रोहतक पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के संकेत के बाद वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं को अधिक प्रतिनिधित्व की उम्मीद बंधी है। शाह का संकेत स्पष्ट है कि मौजूदा माहौल में अधिक से अधिक उन चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा जाए, जो कैडर से जुड़े रहे हैं। शाह का इशारा मिलने के बाद दूसरे दलों के टिकट की गारंटी चाहने वाले कई नेताओं को भाजपा दिग्गजों से निराशा मिल रही है। भाजपा ने बिना शर्त एंट्री के लिए तो दरवाजा खोल दिया है, लेकिन अपवादों को छोड़कर टिकट की गारंटी चाहने वाले अधिकांश नेताओं को दूर से ही नमस्कार किया जा रहा है।

--- उधार के चेहरों को कम मिलेगा इनाम

सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में हवा बनने के बाद हाथ आए दुर्लभ मौके का इनाम पार्टी पूरी तरह उधार के चेहरों को नहीं देना चाहती। पार्टी कांग्रेस व दूसरे दलों के कुछ बड़े चेहरों को सम्मान देने की सोच सकती है, लेकिन बिना निष्ठा के चुनावी तैयारी में लगे चेहरों को पहले कार्यकर्ता का रोल निभाना होगा।

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टिकटों का मसला केंद्रीय नेतृत्व व संसदीय बोर्ड से जुड़ा है। भाजपा में अंतिम निर्णय संसदीय बोर्ड के स्तर पर होता है। मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सहित प्रादेशिक इकाई से जुड़े प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद टिकट के फैसले होते हैं, लेकिन जिताऊ, टिकाऊ और स्वच्छ छवि को तो हमेशा प्राथिमकता दी जाती रही है। इस बार भी ऐसा ही होगा।

-वीर कुमार यादव, प्रदेश प्रवक्ता

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