बेटी के लिए सियासी जमीन तैयार करने में जुटे राव
लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही तमाम वरिष्ठ नेता अब विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। अहीरवाल के दिग्गज राव इंद्रजीत सिंह भी बिना वक्त गंवाए अब बेटी आरती राव के लिए सियासी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। राव केंद्रीय मंत्री रहे राज्यसभा सदस्य चौ. बीरेंद्र सिंह की राह पर आगे बढ़ना चाह रहे हैं। बीरेंद्र सिंह तो अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से लोकसभा में भेजने में कामयाब हो चुके हैं जबकि राव का इरादा आरती को विस में भेजकर राज्य सरकार में सीधी भागीदारी हासिल करने का है।
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही तमाम वरिष्ठ नेता अब विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। अहीरवाल के दिग्गज राव इंद्रजीत सिंह भी बिना वक्त गंवाए बेटी आरती राव के लिए सियासी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। राव केंद्रीय मंत्री रहे राज्यसभा सदस्य चौ. बीरेंद्र सिंह की राह पर आगे बढ़ना चाह रहे हैं। बीरेंद्र सिंह तो अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से लोकसभा में भेजने में कामयाब हो चुके हैं, जबकि राव का इरादा आरती को विस में भेजकर राज्य सरकार में सीधी भागीदारी हासिल करने का है।
राव को कितनी कामयाबी मिलती है इसका जवाब समय देगा, लेकिन राव अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। तेज धूप की चिता छोड़कर उन्होंने पीएम के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही रेवाड़ी को केंद्र में रखकर धन्यवादी दौरे शुरू कर दिए हैं। राव रेवाड़ी विस के उन छोटे-छोटे गांवों तक भी पहुंच रहे हैं जहां चुनाव प्रचार के दौरान नहीं पहुंच पाए थे।
वर्ष 2014 में भी किया था प्रयास
बेटी आरती राव को राजनीतिक विरासत सौंपने की बात राव कई बार कह चुके हैं। 2014 के विस चुनाव से पूर्व नारनौल रैली में उन्होंने आरती को अपना राजनीतिक वारिस घोषित कर दिया था। वर्ष 2014 में राव के प्रयास के बावजूद पार्टी ने आरती को टिकट नहीं दी, लेकिन इंद्रजीत सिंह ने आस नहीं छोड़ी है। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार राव को निराश नहीं करेगी, लेकिन विधानसभा सीट रेवाड़ी के अलावा कोई दूसरी भी हो सकती है।
रेवाड़ी सीट से फिलहाल ये हैं समीकरण
राव अपनी बेटी आरती राव को जिस रेवाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाह रहे हैं वहां का प्रतिनिधित्व फिलहाल भाजपा विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास कर रहे हैं। ऐसी चर्चा चल रही है या चलाई जा रही है कि कापड़ीवास 75 पार के फार्मूले की चपेट में आ जाएंगे, लेकिन विधायक खेमा यह बताने में लगा है कि कापड़ीवास तो 73 साल के 'युवा' हैं और आसानी से किसी दूसरे को टिकट लेने नहीं देंगे। विधायक के अलावा टिकट के दूसरे मजबूत दावेदार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविद यादव हैं। रोहतक लोकसभा प्रभारी के तौर पर उनकी मेहनत को संगठन में स्वीकार्यता मिली है। कापड़ीवास ने पिछली बार अंतिम समय में अरविद यादव को टिकट की दौड़ में मात दी थी, लेकिन इस बार अरविद को बाजी पक्ष में रहने की उम्मीद है। राव की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष गतिविधियों को देखकर अब यह तय लग रहा है कि आरती व अरविद को टिकट के लिए सबसे पहले रणधीर कापड़ीवास से रण करना होगा। पीतल नगरी से सतीश खोला, मुकेश कापड़ीवास, अमित यादव, व योगेंद्र पालीवाल जैसे अन्य चेहरे भी चुनाव लड़ने की मंशा रखे हुए हैं। क्षेत्रीय दलों की राजनीति करते रहे सतीश यादव के भी देर-सवेर भाजपाई बनने की चर्चाएं अभी बंद नहीं हुई है, लेकिन राव के रेवाड़ी के रणनीतिक दौरों ने सबके कान खड़े कर दिए हैं। आरती की सक्रियता टिकट की दौड़ में शामिल अन्य नेताओं की चिता बढ़ा रही है।