जमीनों के रेट घटाने-बढ़ाने के लिए अफवाहों का सहारा
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जमीनों के रेट कम करने या बढ़ाने के लिए पिछले कुछ समय
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जमीनों के रेट कम करने या बढ़ाने के लिए पिछले कुछ समय से अफवाहों का सहारा लिया जा रहा है। किसी क्षेत्र विशेष में रेट घटाने के लिए उसके बीच से बुलेट ट्रेन का रूट घोषित कर दिया जाता है तो किसी जगह जमीन के रेट बढ़ाने के लिए मेट्रो स्टेशन घोषित कर दिया जाता है। कल्पना
लोक के सहारे कहीं पर एमआरटीएस (मास रेपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम) का स्टेशन बनना प्रस्तावित बताया जा रहा है तो किसी खास जगह आरआरटीएस (रीजनल रेपिड ट्रांजिट सिस्टम) का स्टेशन बनने की अफवाह चलाई जा रही है, जबकि हकीकत यह है कि आम लोगों को एमआरटीएस व आरआरटीएस का
अंतर तक भी नहीं पता है।
लोगों की कम जानकारी का फायदा कुछ भूमाफिया उठा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गढ़ी बोलनी रोड की कुछ कालोनियों के बीच से तो मेट्रो और आरआरटीएस का रूट नहीं बल्कि बुलेट ट्रेन का रूट तय कर दिया गया है, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। लोगों का कहना है कि अफवाहों को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर
समय-समय पर सच सामने लाया जाना चाहिए। उन परियोजनाओं के रूट की आम लोगों को जानकारी दी जानी चाहिए, जिनका सरोकार लोगों से जुड़ा हो। लोक संपर्क विभाग तक भी उन परियोजनाओं की जानकारी नहीं पहुंच पाती, जिनकी जानकारी के लिए लोग मारे-मारे जिला नगर योजनाकार कार्यालयों के चक्कर लगाते हैं। सूत्रों के अनुसार डीटीपी कार्यालय में बाबू उन दस्तावेजों को छुपाकर रखते हैं, जिन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। लोगों को डीटीपी कार्यालय से ऐसे ड्राफ्ट प्लान भी थमा दिए जाते हैं, जिनकी संशोधन के बाद उपयोगिता ही नहीं रही।
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ये है आरआरटीएस व एमआरटीएस
आरआरटीएस (रीजनल रेपिड ट्रांजिट सिस्टम) ट्रेन भारत की ऐसी पहली परिवहन परियोजना है, जिसमें रीजनल रूट पर 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से त्वरित ट्रेन दौड़ेगी। हर तीन मिनट के अंतर से दौड़ने वाली इन ट्रेनों के स्टेशन दूर-दूर होंगे। अलवर से दिल्ली के बीच केवल 19 स्टेशन निर्धारित है। ठहराव के बाद इन
ट्रेनों की औसत रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा रहेगी। दूसरी ओर एमआरटीएस (मास रेपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम) की तुलना इस समय गुरुग्राम व दिल्ली में दौड़ रही मेट्रो है। इनकी औसत गति ठहराव के बाद लगभग 60 किमी है और इनके स्टेशन पास-पास होते हैं। आरआरटीएस व एमआरटीएस के रूट अभी तक पूरी
तरह फाइनल नहीं हुए हैं। आरआरटीएस स्टेशनों तक एमआरटीएस, बस सर्विस या अन्य परिवहन साधनों की सुगम पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। आरआरटीएस
का रूट कुछ दिनों बाद अंतिम रूप से फाइनल कर दिया जाएगा। अभी इस बात पर सहमति बन गई है कि जहां तक संभव हो बिना जमीन अधिग्रहण करे ही आरआरटीएस का ट्रैक बिछाया जाए। धारूहेड़ा तक एलीवेटेड रूट लगभग फाइनल कहा जा सकता है। इससे आगे का एलाइनमेंट फाइनल होने में अभी समय लगेगा।