लीड : मजबूत इरादों से नेत्रहीनता को किया पस्त
नमो देव्यै महा देव्यै ------------- -नेत्रहीन होने के बाद भी नहीं छोड़ी पढ़ाई -आबकारी कराधान वि
नमो देव्यै महा देव्यै
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-नेत्रहीन होने के बाद भी नहीं छोड़ी पढ़ाई
-आबकारी कराधान विभाग में मिली नौकरी
फोटो संख्या : 13
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : अहीरवाल की बेटियां पायलट बनकर जहां हवा से बातें कर रही हैं, वहीं एक बेटी ऐसी भी है, जो नेत्रहीन होने के बाद भी अपने मजबूत इरादों से न केवल हर परीक्षा में सफल रही है, अपितु इन्हीं इरादों से आबकारी कराधान विभाग में नौकरी हासिल की है।
शहर के गांव ढालियावास में रहने वाली सविता ने साबित कर दिया है कि मजबूत इरादे हों तो न केवल अभाव अपितु नेत्रहीनता भी आड़े नहीं आती है।
कपड़े सिलाई का कार्य करने वाले ईश्वर सिंह की बेटी सविता बचपन से ही नेत्रहीन थी। जब सविता ने होश संभाला तो अपने जीवन में अंधेरा पाया, और उस अंधेरे को उसने अपनी शिक्षा तथा ज्ञान के जरिये आज दूर कर दिया है। सविता भले ही अपनी आंखों से वह सब नहीं देख सकती है, लेकिन उसके आभास और अपनी मेहनत से उसे जो खुशी मिलती है उससे वह बेहद प्रसन्नचित है। नेत्रहीन होने के कारण शुरूआती दौर में जहां कठिनाई का सामना करना पड़ा, लेकिन माता-पिता के प्रयासों से उसने 8वीं तक की पढ़ाई ब्रेल लिपी से की। कक्षा 9 में आने के बाद यह पढ़ाई नहीं होने के बाद उसने पढ़ने की जिद जारी रखी तो उसकी सहायक बनी छोटी बहन संगीता। संगीता सविता को हर पाठ याद कराती थी, और यही क्रम परीक्षा में करती।
परीक्षाओं के दौरान उन्हें लिखने वाले मिलते हैं, लेकिन सविता ने यहां पर अपनी इच्छा शक्ति के बलबूते स्कूल में प्रथम स्थान हासिल किया। दसवीं कक्षा की परीक्षा में उसने 85 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए तथा बारहवीं में भी नान मेडिकल श्रेणी में 90 प्रतिशत अंक हासिल करके स्कूल के साथ जिले का नाम रोशन किया। कालेज में प्रवेश के दौरान सविता को सरकारी सहयोग तो दूर अपितु प्रवेश देने से ही मना कर दिया गया। पक्के इरादों से आगे बढ़ रही सविता ने कहा कि वह प्रवेश लेकर आगे पढ़ेगी। बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने 75 प्रतिशत अंक हासिल किए और बीएड में प्रवेश लिया था। इसी बीच आबकारी कराधान विभाग की ओर से आयोजित क्लर्क की परीक्षा में शामिल हुई तो सफलता हासिल की। अब सविता को आबकारी कराधान विभाग में क्लर्क की नौकरी मिल गई है और वह जल्द ही ज्वाइन करेगी।
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उपलब्धि
-नेत्रहीन होने के बाद ही लगातार पढ़ाई जारी रखी।
-10वीं की बोर्ड परीक्षा में 85 प्रतिशत अंक हासिल किए।
-12वीं की नान मेडिकल श्रेणी में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए।
-बीएससी में 75 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल।