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डालर की खनक युवाओं को खींच रही विदेश, कनाडा और आस्ट्रेलिया बने पसली पसंद

पंजाब से सटे पिहोवा में पिछले कई वर्षाें से युवा पढ़ाई और दूसरे लोग नौकरी के लिए विदेश में जाकर बस रहे हैं। उनके लाइफ स्टाइल को देखकर नई पीढ़ी में विदेश में पढ़ाई करने और नौकरी करने जा रहे हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 09 Jan 2022 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jan 2022 04:57 PM (IST)
डालर की खनक युवाओं को खींच रही विदेश, कनाडा और आस्ट्रेलिया बने पसली पसंद
विदेश में नौकरी करने जा रहे युवा।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। डालर की खनक युवाओं को अपनी तरफ खींच रही है। यही कारण है कि युवा अपने वतन को छोड़ दूसरे देशों में जाकर बस रहे हैं। पिछले पांच सालों में इसमें एक बूम आया है। जानकारों की माने तो कुरुक्षेत्र से करीब पांच लाख लोग विदेश में हैं। इनमें करीब एक लाख बच्चे हैं। वे यहां रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ अच्छी जीवनशैली जाना चाहते हैं। कुछ लोग तो यहां अपने अच्छे काम धंधे छोड़कर विदेश में जाकर नौकरी कर रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है।

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पंजाब से सटे पिहोवा में पिछले कई वर्षाें से युवा पढ़ाई और दूसरे लोग नौकरी के लिए विदेश में जाकर बस रहे हैं। उनके लाइफ स्टाइल को देखकर नई पीढ़ी में विदेश में पढ़ाई करने और नौकरी करने जा रहे हैं। हम पिहोवा क्षेत्र की बात करें तो कई गांवों में खाली मकान पड़े हैं। यहां या तो उनके बुजुर्ग रह रहे हैं या फिर किसी को देखरेख करने के लिए मकान दे रखे हैं। कुरुक्षेत्र स्थित एफिनिटी ओवरसीज के निदेशक विंकल शर्मा और जयकुमार शर्मा ने बताया कि पहले बिजनेसमैन और जमींदार अपने बच्चों को पढ़ाई या इसके बाद नौकरी करने के लिए विदेश में भेजते थे। अब सर्विस क्लास भी अपने बच्चों को विदेश भेज रहे हैं। प्रदेश में जीटी रोड बेल्ट पर अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, कैथल व करनाल के युवा सबसे अधिक विदेश में जा रहे हैं। पिछले पांच साल से युवाओं में क्रेज भी आया है।

शार्ट कट में सपने हो रहे चूर

विंकल शर्मा ने बताया कि कुछ लोग शार्ट कट से विदेश जाने का प्रयास करते हैं। वे एजेंटों को 30 से 40 लाख रुपये तक दे देते हैं, लेकिन वे विदेश में नहीं जा पाते या गलत तरीके से जाने पर पकड़े जाते हैं। उनको यहां डिपोट कर दिया जाता है। कनाडा में पिछले में 16 हजार एप्लीकेशन रद की थी। इसके साथ स्थानीय करीब 22 कालेजों की मान्यता रद की थी। काेरोना के दौरान कई देशों से युवाओं को डिपोट किया था। विदेश भेजने के नाम धोखाधड़ी करने के हर रोज सामने आ रहे मामले इसी तरह के हैं।

यह है सही रास्ता

युवाओं को आइईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) में अच्छे बैंड लाकर सही रास्ते पर चलकर अपने सपने को साकार करना चाहिए। कनाडा में छह बैंड और इससे ऊपर वाले युवाओं को वीजा मिलता है। इसके साथ एलएमआइए (लेबर मार्केट इंपेक्टट एसेसमेंट) से भी विदेश जा सकते हैं। एसडीएस (स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम) प्रोग्राम में युवा विदेश में जाते हैं। इसके अलावा नान एसडीएस में लोग विदेश में जाते हैं। दोनों में फंड का अंतर होता है।


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