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बंजर जमीं पर उगा दी उम्मीदों की फसल, युवा किसान ने उबड़-खाबड़ से बदली तकदीर

शिवालिक की तलहटी में एक युवा किसान ने बंजर जमीन से अपनी तकदीर बदल ली। अब इस जमीन पर आंवला लहलहा रहा। युवा किसान ने मेहनत कर आठ एकड़ जमीन उबड़-खाबड़ जमीन पर फसल की।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 12:40 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 12:40 PM (IST)
बंजर जमीं पर उगा दी उम्मीदों की फसल, युवा किसान ने उबड़-खाबड़ से बदली तकदीर
बंजर जमीं पर उगा दी उम्मीदों की फसल, युवा किसान ने उबड़-खाबड़ से बदली तकदीर

पानीपत/यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। शिवालिक की तलहटी में बंजर कही जाने वाली जमीन अब सोना उगल रही है। आंवला की फसल खूब लहलहा रही है। यहां का आंवला मुरब्बा, कैंटी, अचार व जूस के रूप में दुनिया भर में धूम मचा रहा है। नगली-32 के युवा किसान अहमद अली की मेहनत ने न केवल उबड़-खाबड़ आठ एकड़ जमीन की तकदीर बदली है बल्कि कुछ नया करके दिखाया। जिले का पहला किसान है जो आंवले की फसल तैयार कर रहा है। उनके मुताबिक एक पेड़ से 250-300 क्विंटल आंवले की पैदावार हो रही है। उद्यान विभाग के उच्चाधिकारी भी इसे बड़ी उपलब्धि करार दे रहे हैं और समय-समय पर बाग का निरीक्षण भी करते हैं। 

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एक तीर से साधे कई निशाने

दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान किसान अहमद अली ने बताया कि उनकी जमीन शिवालिक की पहाडिय़ों के एरिया में है। यह काफी उबड़-खबड़ थी। बंजर पड़ी हुई थी। कोई फसल नहीं होती थी। उन्होंने उद्यान विभाग के अधिकारियों से सलाह-मश्वरा किया। उन्होंने इस जमीन पर बाग लगाने की सलाह दी। शुरुआती दौर में आम का बाग लगाया। उसके बाद सोचा कि क्यों न औषधीय खेती की ओर भी बढ़ा जाए। उन्होंने करीब आठ एकड़ बंजर जमीन को काफी मशक्कत के बाद उपजाऊ में बदला। यहां करीब 15 हजार आंवले की पौधे लगाए। डेढ़ सााल बाद फल आना शुरू हो गया था। अब आठ साल से लगातार इन पेड़ों पर फल लग रहा है। दूसरा, बाग लगाकर जल संरक्षण का भी संदेश दिया जा रहा है।

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एक बार लगाया पौधा, 30 साल तक मिलेगा फल

अहमद अली ने बताया कि वह ग्रेजुएट है। उद्यान विभाग के विशेषज्ञों के परामर्शानुसार की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि आंवला की फसल काफी फायदेमंद है। आमदन का बेहतर जरिया है और इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है। यह उत्तम प्रकार की औषधी है। बाजार में दाम भी अच्छे मिलते हैं। एक बार पौधा लगाकर 30 साल तक लगातार फल मिलता है। उन्होंने बताया कि आंवला की अधिकतर सप्लाई उप्र के विभिन्न जिलों में होती है। यहां इससे अलग-अलग किस्म के उत्पाद तैयार होते हैं। इसके अलावा दिल्ली भी सप्लाई करते हैं। 

फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की योजना

किसान ने बताया कि भविष्य में वह फूड प्रोसेसिंग यूनिट  लगाने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए सरकार के सहयोग की जरूरत है। यूनिट लगाकर वे आंवला से खुद ही अचार, चूर्ण, कैंडी, मुरब्बा व जूस तैयार कर सकते हैं। उसके बाद उनको आंवला मंडियों में बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के चलते थोक विक्रेताओं से आंवला के आर्डर आ रहे रहे हैं।

ये हैं फायदे 

आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. ललित सैनी का कहना है कि आंवला विटामीन सी का बड़ा स्त्रोत है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है जोकि कोरेाना वायरस से बचाव के लिए जरूरी है। इसकी तासीर ठंडी होती है। त्वचा रोगों में कारगर है। आयरन, प्रोटीन, फाइबर व कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाई जाती है। स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। एसीडिटी को खत्म करता है। हर दिन एक आंवले का सेवन स्वास्थ्य वर्धक है। इसको हम चूर्ण, कैंडी, मरब्बा व जूस के रूप में भी ले सकते हैं।   

नगली-32 के किसान अहमद अली वाकई मिसाल कायम कर रहे हैं। उद्यान विभाग की ओर से ही उनके खेतों में आंवले के पौधे लगवाए थे। मैं स्वयं समय-समय पर इनका निरीक्षण करता हूं। आंवला औषधीय पौधा है और इसका सेवन विभिन्न रोगों की रोकथाम के लिए किया जाता है। किसान को अच्छी आमदन हो रही है। दूसरे किसानों को भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। 

डॉ. रमेश पाल सैनी, जिला उद्यान अधिकारी 

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