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दबंग की छवि से बचने के लिए प्रत्याशी नहीं ले रहे पहलवानों का साथ

विधानसभा चुनाव के दौरान पहलवानों को अपने साथ रखने में प्रत्याशी शान समझते थे। पहलवानों को खूब खिलाया-पिलाया जाता था। पैसा भी देते थे। इस बार पहलवानों से दूरी बनाए हुए हैं। उन्हें चिता है कि अगर पहलवान उनके साथ रहेंगे तो छवि दंबग की बन जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 07:54 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 07:54 AM (IST)
दबंग की छवि से बचने के लिए प्रत्याशी नहीं ले रहे पहलवानों का साथ
दबंग की छवि से बचने के लिए प्रत्याशी नहीं ले रहे पहलवानों का साथ

विधानसभा चुनाव के दौरान पहलवानों को अपने साथ रखने में प्रत्याशी शान समझते थे। पहलवानों को खूब खिलाया-पिलाया जाता था। पैसा भी देते थे। इस बार पहलवानों से दूरी बनाए हुए हैं। उन्हें चिता है कि अगर पहलवान उनके साथ रहेंगे तो छवि दंबग की बन जाएगी। मतदाताओं में भय का माहौल बनेगा और वोट खिसक जाएंगे। पहले पहलवानों का प्रत्याशी इंतजार करते थे। अब स्थित उलट है। पहलवानों को प्रत्याशियों का इंतजार है। एक अखाड़ा संचालक ने कहा कि चुनाव के दौरान प्रत्याशी प्रचार के लिए पहलवानों की मान-मनौव्वल करते थे। वे पहलवानों का गलत इस्तेमाल थे। अब पहलवान चुनाव से दूर हैं। प्रत्याशियों को गच्चा दे रहे सरपंच

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प्रत्याशी सरपंचों को अपने पाले में करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। समालखा और इसराना विधानसभा क्षेत्र के ऐसे कई सरपंच हैं जो प्रत्याशियों गच्चा रहे हैं। प्रत्याशी उन्हें अपना मान रहे हैं। उन्हें के जरिये काफी वोट मिलने की उम्मीद पाले हुए हैं। वहीं सरपंच सुबह एक प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में दिखते हैं तो रात को दूसरे प्रत्याशी का मंच साझा करते हैं। मतदाता भी उलझन में है कि उनके सरपंच आखिर किस प्रत्याशी के साथ हैं? बाहरी कॉलोनियों के मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशी बेचैन

पानीपत ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की बाहरी कॉलोनियों में ज्यादातर मतदाता उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। इनके मत भी यहीं पर बने हुए हैं। ये मतदाता चुप्पी साधे हैं। जो भी प्रत्याशी उनके पास जाता है वोट उसी को देने की बात कह देते हैं, लेकिन किसी के प्रचार-प्रसार में सहभागी नहीं हो रहे हैं। पहले के चुनाव में ये लोग प्रत्याशी के साथ खड़े दिखाई देते थे। मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशी बेचैन हैं।

प्रस्तुति : विजय गाहल्याण


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