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यमुनानगर विधानसभा सीट पर दावेदारों की लिस्ट लंबी, फिर भी शहर में महिला शक्ति का दबदबा Panipat News

यमुनानगर में हमेशा से दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी होती है। इसके बावजूद यहां महिला शक्ति का ही दबदबा रहा है। फिर चाहे वह विधानसभा या नगर निगम का चुनाव।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 04:06 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 04:06 PM (IST)
यमुनानगर विधानसभा सीट पर दावेदारों की लिस्ट लंबी, फिर भी शहर में महिला शक्ति का दबदबा Panipat News
यमुनानगर विधानसभा सीट पर दावेदारों की लिस्ट लंबी, फिर भी शहर में महिला शक्ति का दबदबा Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। शहर की सीट पर टिकट के लिए भले की दावेदारों की फेहरिस्त में महिलाओं की संख्या कम हो, लेकिन इस सीट पर महिला शक्ति का खूब दबदबा रहा। हालांकि ये सीट महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं थी। यहां से एक बार कांग्रेस से कृष्णा पंडित ने चुनाव जीता और सरकार में संसदीय सचिव रहीं। तीन बार कमला वर्मा भाजपा से विधायक चुनी गईं। सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं। निगम के गठन के बाद पहली मेयर भी सरोज बाला चुनी गई। 

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निगम में 11 महिला पार्षद

नगर निगम के हाउस में भी महिला शक्ति का वर्चस्व है। निगम के कुल 22 वार्डों में से 11 पार्षद महिलाएं है। इनमें भाजपा से सात महिला पार्षद है। निगम एरिया में पुरूषों से ज्यादा वोट महिलाओं की हैं।

उस समय भाजपा के प्रदेश में बने थे चंद विधायक

बात उन दिनों कि है जब भाजपा हरियाणा में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी। संघर्ष कर जमीन तलाशी जा रही थी। तब भाजपा ने कमला वर्मा को महिला अध्यक्ष के पद से नवाजा था। ये भाजपा की पहली महिला अध्यक्ष रहीं। कड़े संघर्ष की लड़ाई लड़ते हुए कमला वर्मा ने यमुनानगर सीट जीतकर तीन दफा भाजपा की झोली में डाली। उसके बाद पूर्व विधायक डॉक्टर जयप्रकाश की पत्नी डॉक्अर कृष्णा पंडित चुनाव जीतीं। वर्ष 2014 में उनको भी हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस 10 हजार के आंकडा भी नहीं छू पाई थी।  

यहां पर एक बार भी मौका नहीं मिला

जगाधरी विधानसभा, साढौरा विधानसभा से रादौर विधानसभा से एक बार भी महिलाओं को विधानसभा में जाने का मौका नहीं मिला। हालांकि इन सीटों से महिला चुनावी मैदान में जरूर उतरी है। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। साढौरा एरिया से भाजपा के बलवंत चौधरी के सामने  पिंकी छप्पर ( पहले इनेलो] अब कांग्रेस में ) चंद वोटों से हार गई थी। इसी तरह प्रदेश के पहले सीएम भगवत दयाल शर्मा की पुत्र वूध और राज्यमंत्री रहे राजेश शर्मा की पत्नी विनय शर्मा यमुनानगर सीट से चुनावी मैदान में उतरी थीं। उनकी इस चुनाव में जमानत जब्त हो गई थी। इसी तरह से आजाद प्रत्याशी कमेटी की पूर्व वाइस प्रेजीडेंट कौशल्या जांगडा को जगाधरी विधानसभा से करारी हार मिली थी।

कब कौन रहे विधायक   

1967 भगवत दयाल शर्मा विधायक बने। ये पहले मुख्यमंत्री भी रहे। 1968 में मलिक चंद गंभीर, 1972 में  गिरीश चंद्र, 1977 में  कमला वर्मा बनी और कैबिनेट में मंत्री बनी। 1982 में राजेश कुमार विधायक बने और खेलमंत्री का पद मिला। 1987 में फिर कमला वर्मा विधायक बनी। 1991 में राजेश कुमार, 1996 में कमला वर्मा ने तीसरी बार पारी खेली और जीतकर कैबिनेट में मंत्री बनी। 2000 में जेपी शर्मा व 2005 में डॉ. कृष्ण पंडित विधायक बनीं। 2009 में दिलबाग सिंह व 2014 में घनश्याम दास अरोड़ा विधायक बने।


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