अपनी सुरक्षा मजबूत करनी होगी, देश भी दे सेना का साथ
पुलवामा हमले के राजनीतिक सामाजिक और सामरिक सबक विषय पर जागरण विमर्श बैठक हुई। इसमें रिटायर्ड कर्नल रमेश चंद्र नागपाल ने कहा कि पुलवामा हमले से सबक लेते हुए सेना का साथ दें।
पानीपत, जेएनएन। पुलवामा आतंकी हमला सेना के साथ-साथ सरकार के लिए सबक है। देश की सुरक्षा और सेना को मजबूत करने का वक्त है। पाकिस्तान से युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। युद्ध का असर लोगों की निजी जिंदगी पर भी पड़ेगा। महंगाई बढ़ सकती है। उत्पादकों के आयात-निर्यात पर भी फर्क पड़ेगा। अगर ऐसा होता है तो देशवासियों को भी सेना का साथ देना चाहिए। ये कहना है रिटायर्ड कर्नल रमेश चंद्र नागपाल का। जागरण विमर्श के तहत 'पुलवामा हमले के राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक सबक' विषय पर हुई बैठक में कर्नल ने देश हित के लिए लोगों का साथ जरूरी बताया।
कर्नल रमेश चंद्र ने कहा कि पुलवामा में आतंकी हमला देश के लिए कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी बड़े-बड़े आतंकी हमले लोगों ने देखे हैं। सेना तो हर समय इससे जूझती है। बावजूद सेना और देश के लोगों का मनोबल पाकिस्तान नहीं तोड़ सकता। हालांकि सीआरपीएफ को सतर्क रहना चाहिए था। इतनी संख्या में जवानों को एक साथ जत्थे में नहीं जाना चाहिए।
सरकार पहल नहीं करेगी, लेकिन छोड़ेगी भी नहीं
कर्नल रमेश ने बताया कि मैं साल 1965 और 1971 के युद्ध में शामिल था। अनुभव है कि सरकार और सेना प्लानिंग कर रही है। कुछ प्रॉसेस होता है, उसमें समय लग सकता है। वैसे भी दुश्मन को मात देने के लिए सरप्राइज अटैक जरूरी है। हालांकि पाकिस्तान युद्ध के पक्ष में नहीं होगा। अगर ऐसा करता है तो भारत उसका मजबूत तरीके से जवाब देगा।
युद्ध के बाद आर्थिक समस्या से जूझना पड़ेगा, लोगों का साथ जरूरी
कर्नल ने कहा कि कोई भी देश आज के समय में युद्ध नहीं चाहता है। अगर कोई मुल्क आतंकी गतिविधि में सक्रिय है तो उससे निपटने के और रास्ते हैं। उन्होंने कहा, युद्ध के बाद दोनों मुल्कों को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ेगा। कहा, देश में बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं या दूसरे देशों में आपदा आती है तो महंगाई बढऩे लगती है। चीजों के रेट घटते बढ़ते हैं। लोगों की जिंदगी में काफी फर्क बढ़ता है। युद्ध होता है तो लोगों को सेना के साथ खड़ा होना होगा।
पहले देशद्रोहियों से निपटना होगा
कर्नल रमेश चंद्र नागपाल ने बताया कि सेना के सोर्सेज होते हैं। वह देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर आतंकियों से निपटते हैं। ऐसी आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए सेना को और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं उससे ज्यादा जरूरी है कि जो देशद्रोही हैं, उनसे कैसे निपटा जाए। सरकार के लिए ये बड़ी चुनौती है। अगर इनसे नहीं निपटा गया, तो सेना के लिए मुश्किलें खड़ी होती रहेंगी।
हर आम आदमी देश का सैनिक है
कर्नल रमेश चंद्र नागपाल ने कहा, सेना को मजबूत करना होगा। उन्हें छूट देने के साथ उनकी मांग को भी पूरा करना चाहिए। सेना बार्डर पर कम, देश के अंदर दुश्मनों से घिरी है। ऐसे दुश्मनों की पहचान जरूरी है। इसके लिए आम आदमी मदद कर सकता है। वह किसी सैनिक से कम नहीं है। अपने आसपास होने वाली गतिविधियों की सूचना सही तरीके से सेना तक पहुंचे तो इससे निपटा जा सकता है।
कौन हैं रिटायर्ड कर्नल रमेश चंद्र नागपाल
पानीपत निवासी कर्नल रमेश चंद्र नागपाल का जन्म सन् 1944 को हुआ था। कोर ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल में रहे। 1965 के युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे, लेकिन 1971 के युद्ध में मोर्चा संभाला। 1996 में मेरठ से रिटायर्ड हुए।